उदासीनता. विभागीय अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
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नहीं रुक रही ओवरलोडिंग
उदासीनता. विभागीय अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान यात्री वाहन के चालक अधिक कमाने के कारण यात्रियों को वाहन में भेंड़-बकरियों की तरह बैठाते हैं. बड़े वाहनों की बात कौन कहे ऑटो में भी दर्जन से अधिक यात्रियों को बिठाया जाता है. सुपौल : इस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत निर्मित एनएच 57 हो अथवा जिले की अन्य […]
यात्री वाहन के चालक अधिक कमाने के कारण यात्रियों को वाहन में भेंड़-बकरियों की तरह बैठाते हैं. बड़े वाहनों की बात कौन कहे ऑटो में भी दर्जन से अधिक यात्रियों को बिठाया जाता है.
सुपौल : इस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत निर्मित एनएच 57 हो अथवा जिले की अन्य सड़कें परिवहन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण इन सड़कों पर फर्राटे भर रही वाहनों के ओवर लोडिंग पर विराम नहीं लग पा रहा है़ यात्री वाहन के चालक अधिक लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से यात्रियों को वाहन में भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर वाहनों का परिचालन कर रहे है़ं स्थिति यह है कि बड़े वाहनों की बात कौन कहे ऑटो में भी करीब एक दर्जन से अधिक यात्रियों को बिठा कर यात्रा करवाया जाता है़ सबसे दिलचस्प बात यह है कि बिहार राज्य पथ परिवहन द्वारा सहरसा से सुपौल के रास्ते दरभंगा व मुजफ्फरपुर तक परिचालित यात्री बस में भी क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया जाता है. यहां तक कि बस के ऊपर बैठ यात्री अपने जान जोखिम में डाल कर यात्रा कर रहे है़ं
ओवर लोडिंग बन रहा दुर्घटना का कारण : जिले की चकाचक सड़कों पर आये दिन दुर्घटनाएं घटित होती रहती है़ ऐसा कोई भी दिन नहीं हो जिस दिन जिले की सड़कों पर लोग दुर्घटना का शिकार नहीं होते़ बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारी लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने में विफल साबित हो रहे हैं. प्रतिदिन घटित होने वाले इन दुर्घटनाओं की मुख्य वजह वाहनों पर क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठा कर सफर करवाना बताया जाता है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से ओवर लोडिंग पर विराम लगने की बजाय दिन ब दिन इसमें वृद्धि ही होती जा रही है़
नहीं हो रही कोई कार्रवाई
ओवर लोडिंग की वजह से जिले में हो रही दुर्घटनाओं के बारे में ऐसा नहीं है कि विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी सब कुछ जान कर भी अनजान बने हुए है़ं जिस बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की बस के छत पर यात्रियों को बिठा कर यात्रा करवाया जाता है, वह बस प्रति दिन आने-जाने के क्रम में समाहरणालय, जिला परिवहन कार्यालय एवं सदर थाना के सामने से गुजरती है़ बावजूद आज तक इस दिशा में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किया जाना चिंता का विषय है़
लोगों को भी होना होगा जागरूक
परिवहन विभाग की उदासीनता के बीच दुर्घटनाओं से बचने के लिए यात्रियों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है़ जल्दी अपने गंतव्य तक पहुंचने के चक्कर में पूर्व से खचाखच भरे वाहनों पर यात्रा करने वाले यात्री गंतव्य तक तो नहीं पहुंच पाते, उन्हें लोगों द्वारा अस्पताल पहुंचाया जाता है़ हाल के दिनों में सरकार के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया गया़ नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से लोगों को परिवहन नियमों की जानकारी दी गयी, लेकिन लोग सब कुछ जानते हुए भी अपनी जान को जोखिम में डाल कर यात्रा करते है़ं जिस पर प्रशासन व पुलिस द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती है़
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