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36 की जगह मात्र 14 डॉक्टर कार्यरत

लापरवाही. नहीं सुधर रही सदर अस्पताल की व्यवस्था जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण सदर अस्पताल की हालत दिनोंदिन बद से बदतर होती जा रही है. इससे मरीजों को परेशानी हो रही है. सुपौल : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लाख दावों के बावजूद सदर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार […]

लापरवाही. नहीं सुधर रही सदर अस्पताल की व्यवस्था

जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण सदर अस्पताल की हालत दिनोंदिन बद से बदतर होती जा रही है. इससे मरीजों को परेशानी हो रही है.
सुपौल : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लाख दावों के बावजूद सदर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. जिला प्रशासन की उदासीनता और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिली भगत के कारण सदर अस्पताल की हालत दिनोंदिन बद से बदतर होती जा रही है. अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी का अस्पताल पर नियंत्रण समाप्त हो चुका है. अस्पताल में पदस्थापित अधिकतर चिकित्सक व कर्मी अपने हिसाब से ड‍्यूटी करते हैं.
वहीं सदर अस्पताल में पदस्थापित ज्यादातर चिकित्सक के गायब का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल प्रबंधन की माने तो चार नव पदस्थापित चिकित्सक योगदान के बाद से अब तक गायब है, जबकि पहले से पदस्थापित कई चिकित्सक के छुट्टी पर रहने के कारण ऐसी स्थिति बनी है. चिकित्सक के नहीं रहने के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को फजीहत का सामना करना पड़ता है. इससे मरीजों की परेशानी घटने के बजाय और भी अधिक बढ़ जाती है.
सदर अस्पताल में यूं तो चिकित्सकों के 36 पद सृजित हैं, लेकिन वर्तमान समय में अस्पताल में मात्र 14 चिकित्सक कार्यरत हैं. अस्पताल प्रशासन के अनुसार 23 चिकित्सक पद स्थापित हैं. जिनमें पांच नव पदस्थापित चिकित्सक अस्पताल में योगदान के बाद से ही अनुपस्थित हैं. जबकि महिला चिकित्सक रीता महतो व डॉ विनय कुमार लंबी छुट्टी पर चले गये हैं.
वहीं एक चिकित्सक डॉ रामचंद्र ने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके कारण फिलवक्त अस्पताल में महज 14 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. 22 लाख की आबादी वाले इस जिले के सदर अस्पताल में इन दिनों 14 चिकित्सकों के भरोसे ही सात प्रकार की ओपीडी सेवा के साथ-साथ 24 घंटे आपातकालीन सेवा भी बहाल रखने की मशक्कत की जा रही है.
डॉक्टरों का शोषण कर रहा विभाग
उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी ने बताया कि विभागीय उदासीनता के कारण अस्पताल की स्थिति दिन ब दिन बदतर होती जा रही है. विभाग से अनुरोध के बाद भी अस्पताल में पद के अनुरूप चिकित्सकों का पद स्थापना नहीं किया जा रहा है. वहीं 64 वर्ष उम्र हो चुके चिकित्सकों को भय दिखा कर ड‍्यूटी कराया जाता है. जिससे प्रतिनियुक्त चिकित्सकों में असंतोष का माहौल व्याप्त है.
एक चिकित्सक के भरोसे दो सौ मरीज
सदर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण इन दिनों सदर अस्पताल में इलाज के नाम पर महज खानापूर्ति किया जा रहा है. गुरुवार को अस्पताल के ओपीडी में चार चिकित्सक करीब 700 से अधिक मरीज का इलाज करने में व्यस्त थे. इस दौरान चिकित्सकों के समक्ष रोगी को बीमारी का नाम पूछ कर दवा लिखने की मजबूरी बनी हुई थी.
वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एसबी चौधरी करीब 150 से अधिक मरीज को देखने के बाद दोपहर करीब एक बजे ओपीडी छोड़कर चले गये थे. इस कारण बीमार बच्चों को दिखाने के लिए परिजन इधर-उधर भटक रहे थे. चिकित्सकों की कमी के कारण ओपीडी गेट पर मरीजों की भारी भीड़ लगी हुई थी.

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