सख्ती. फर्जी चिकित्सकों पर गाज गिरना शुरू
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कार्रवाई से मची खलबली
सख्ती. फर्जी चिकित्सकों पर गाज गिरना शुरू बगैर डिग्री के चिकित्सक कर रहे हैं मरीजों का इलाज ग्रामीण इलाकों में फर्जी चिकित्सकों की भरमार है. दो माह पूर्व फर्जी चिकित्सक जगरनाथ चौधरी व गुलाबचंद चौधरी के क्लिनिक में गलत उपचार के कारण एक सात वर्षीय बालक की हो गयी थी मौत. इलाज के नाम पर […]
बगैर डिग्री के चिकित्सक कर रहे हैं मरीजों का इलाज
ग्रामीण इलाकों में फर्जी चिकित्सकों की भरमार है. दो माह पूर्व फर्जी चिकित्सक जगरनाथ चौधरी व गुलाबचंद चौधरी के क्लिनिक में गलत उपचार के कारण एक सात वर्षीय बालक की हो गयी थी मौत. इलाज के नाम पर मौत बांट रहे कथित डाॅक्टरों पर गाज गिरना शुरू हो गया है.
छातापुर : प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण ईलाकों में फरजी रूप से बोर्ड पर एमबीबीएस, एमडी व एमएस लिख कर चिकित्सा के नाम पर मौत बांट रहे कथित चिकित्सकों पर गाज गिरना शुरू हो गया है.
इस क्रम में पीएचसी प्रभारी डाॅ एसएम चौधरी ने छातापुर थाना क्षेत्र के लालपुर हाट पर फर्जी बोर्ड लगा कर चिकित्सीय कार्य कर रहे जगरन्नाथ चौधरी व गुलाब चंद चौधरी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया है. साथ ही सख्त कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है. क्लिनिक के साथ संचालित उनके दवा दुकान की अनुज्ञप्ति भी रद्द कर दी गई.
चूकि जांच टीम द्वारा किये गये जांच के दौरान उनके दुकान से नकली दवाओं की बरामदी हुई थी. विभाग द्वारा की गई इस प्रकार की कार्रवाई से अन्य ऐसे कथित चिकित्सकों व नकली दवा बेचने वाले दुकानदारों के बीच खलबली मच गई है. मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी का जांच प्रतिवेदन, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुपौल के प्रतिवेदन तथा परिवादी रामेश्वर चौधरी के लिखित शिकायत पत्र संलग्न पीएचसी छातापुर के पत्रांक 389 के आधार पर दर्ज प्राथमीकि मे बताया गया है कि लोक शिकायत निवारण अधिनियम कार्यालय सुपौल से प्राप्त आदेश के आलोक मे पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन कर उसे लालपुर भेजा गया था.
टीम मे वे भी शामिल थे. जहां जांच के दौरान कई बड़े मामलों का खुलासा हुआ है. जहां पाया गया कि दोनों चिकित्सक फरजी रूप से चिकित्सीय कार्य को बीते कई दशक से अंजाम दे रहा था. इस दौरान दोनों ने लोगों को मुर्ख बना कर उपचार के नाम पर पैसे ऐठता रहा. दोनों के द्वारा गलत उपचार के कारण कई मरीजों की मृत्यु भी हो चुकी है. बताया गया है कि फर्जी चिकित्सकों ने चिकित्सीय पढ़ाई भी नहीं की है और ना ही इन्होंने बिहार चिकित्सा परिषद पटना से पंजीकृत भी कराया है. इनका चिकित्सा कार्य सभी दृष्टिकोण से अवैधानिक है.
लोक शिकायत निवारण अधिनियम सुपौल के आदेश के बाद प्रशासन ने उठाया कड़ा कदम
जानकारी के मुताबिक दो माह पूर्व फर्जी चिकित्सक जगरनाथ चौधरी व गुलाबचंद चौधरी के क्लिनिक में गलत उपचार के कारण एक सात वर्षीय बालक की मौत हो गई थी. बालक बुखार से पीड़ित था. जिसे 105 डिग्री बुखार रहने पर भी गलत इंजेक्शन लगा दिया गया. जिससे बालक की मौके पर ही मौत हो गई. मौत के बाद परिजन सहित ग्रामीणों ने क्लिनिक पर बवाल खड़ा कर दिया जहां रोने चिल्लाने की आवाज सुनकर सैकड़ों लोग जमा हो गये. ग्रामीणों से मिली मामले की जानकारी पर थानाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार मिश्र सदलबल के साथ घटना स्थल पर पहुंचे और लोगों को समझा बुझाकर तत्काल मामले को शांत कराया गया.
साथ् आवश्यक कार्रवाई के लिए परदेश में रह रहे मृतक के पिता का इंतजार किया जाने लगा. इसी बीच मामले को रफा दफा करने के लिए मैंनेज का खेल शुरू हो गया. जिसमें आरोपी चिकित्सक ने स्थानीय जनप्रतिनिधि के सहयोग से मोटी रकम खर्च कर मामले दबा दिया. लेकिन गांव में गलत चिकित्सा के कारण हुई कई मौत से आहत स्थानीय रामेश्वर चौधरी व उनके पुत्र संजीव कुमार चौधरी मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों तक पहुंचे.
आलाधिकारियों के संज्ञान में मामला आते ही जांच का दौर शुरू हुआ. कई स्तरों पर जांच होने के पश्चात व्यापक गड़बड़ी पाये जाने के बावजूद पुन: मैनेज में लगे फर्जी चिकित्सकों ने मोटी रकम के बल पर मामले को एक बार फिर दवा दिया. लेकिन परिवादी रामेश्वर चौधरी भी थकने वाले नहीं थे. सभी जांच प्रतिवेदन व साक्ष्य इकट्ठा कर उन्होंने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुपौल के समक्ष मामला दायर कर दिया. तब जाकर विभाग की नींद खुली. पीएचसी प्रभारी के लिखित आदेश पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने को मजबूर हो गई.
कहते हैं अनुसंधानकर्ता
इस बाबत पूछने पर थानाध्यक्ष सह मामले के अनुसंधानकर्ता शैलेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि मामले में दर्ज कांड संख्या 262/16 के अभियुक्त फर्जी चिकित्सकों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी जारी है. गिरफ्तारी के प्रयास के साथ साथ मामले का अनुसंधान भी शुरू कर दिया गया है.
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