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स्टेशन परिसर अतक्रिमण की चपेट में

निर्मली : पेयजल की सुविधा हो या शौचालय या फिर साफ-सफाई, इन सभी सुविधाओं से रेल यात्री महरूम हैं. रेल मंत्रालय द्वारा कुछ स्टेशनों पर मार्केटिंग काॅम्प्लेक्स, तो कुछ स्टेशनों को ई सेवा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. पर, निर्मली रेलवे स्टेशन परिसर में यात्रियों की सुविधा के लिए उपलब्ध सभी संसाधन […]

निर्मली : पेयजल की सुविधा हो या शौचालय या फिर साफ-सफाई, इन सभी सुविधाओं से रेल यात्री महरूम हैं. रेल मंत्रालय द्वारा कुछ स्टेशनों पर मार्केटिंग काॅम्प्लेक्स, तो कुछ स्टेशनों को ई सेवा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

पर, निर्मली रेलवे स्टेशन परिसर में यात्रियों की सुविधा के लिए उपलब्ध सभी संसाधन बेकार पड़े हैं. साथ ही स्टेशन परिसर का अधिकांश हिस्सा एक तरफ जहां अतिक्रमण की चपेट में है, वहीं स्टेशन परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इस कारण स्थानीय सहित दूर-दराज के क्षेत्रों से ट्रेन के लिए प्रतीक्षा रत यात्रियों को समय व्यतीत करना सिर दर्द साबित होता है.

अतिक्रमणकारी अब इतने निडर हैं कि रेलवे परिसर के साथ-साथ प्लेटफॉर्म पर भी अपनी दुकानें सजाने लगे हैं. बावजूद इसके रेल प्रबंधन मूकदर्शक बना हुआ है. उदासीन बना है रेल प्रबंधनरेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा की जिम्मेवारी रेल प्रबंधन की होती है, लेकिन स्टेशन प्रबंधन की उदासीनता का खामियाजा आये दिन रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. स्टेशन परिसर में दृष्टिगत मूलभूत समस्या के बावजूद प्रबंधन का रवैया उदासीन बना है. मानो उनका इस समस्या से कोई लेना-देना ही नहीं है.

आलम यह है कि स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है, और न ही यहां का शौचालय उपयोग करने लायक है. इस कारण यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है. यात्रियों ने रेल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए बताया कि स्टेशन व परिसर में संचालित दुकानों के साथ या तो इनकी सांठ गांठ है, ताकि बोतल बंद पेयजल की बिक्री हो सके.

नहीं हुआ सपना साकार मुख्यालय को निर्मली से जोड़ने को लेकर कोसी महासेतु का कार्य प्रारंभ किया गया. कई वर्ष बीतने के बावजूद रेलखंड के कार्य पर ग्रहण लगा हुआ है. मालूम हो कि कोसी क्षेत्र के लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा मिले तोहफे को साकार नहीं होते देख भारी निराशा हो रही है.

विदित हो कि वर्ष 2003 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार द्वारा कोसी क्षेत्र को कोसी रेल महासेतु का तोहफा दिया गया था. जिसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के द्वारा किया गया. लेकिन कोसी क्षेत्र की जनता अब भी आस लगाये हुए हैं कि जाने कब वो दिन बहुरेंगे जब यात्री रेल मार्ग से कोसी रेल महासेतु होते हुए

सहरसा, फारबिसगंज, सुपौल सहित अन्य स्थानों का सफर करेंगे.60 किमी का सफर करते हैं छह घंटे में निर्मली -सकरी रेल मार्ग की दूरी तकरीबन 60 किलोमीटर की है. जहां इस मीटर गेज पर परिचालित ट्रेन को गंतव्य तक पहुंचने में छह घंटे का समय लगता है.

जबकि रेल प्रबंधन द्वारा चार घंटे का समय निर्धारित है. लेकिन अधिकांश सवारी गाड़ी छह घंटे में पहुंच रही है. ट्रेन के की गति कम रहने के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है. इस बाबत निर्मली रेलवे स्टेशन मास्टर विवेकानंद ठाकुर बताते हैं

कि रेलवे परिसर को अतिक्रमण मुक्त किये जाने को लेकर वरीय पदाधिकारी को अवगत कराया गया है. सफाई कर्मियों की कमी के कारण साफ-सफाई में कमी रहती है. इसके लिये हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

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