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लोकतंत्र पर भीड़ तंत्र व औसत तंत्र हो रहा हावी

सुपौल : वो गुजरे जमाने की बात है जब अच्छे कार्यों को सराहे जाने के उपरांत नेताजी शब्द का नाम दिया जाता था, लेकिन आधुनिक दौर में नेताजी शब्द सुनते ही लोगों के मन में नकारात्मक भाव पनप रहा है. चुनाव के समय सभी के जुबानों से लोकतंत्र शब्द की चर्चा हो रही है. 1970 […]

सुपौल : वो गुजरे जमाने की बात है जब अच्छे कार्यों को सराहे जाने के उपरांत नेताजी शब्द का नाम दिया जाता था, लेकिन आधुनिक दौर में नेताजी शब्द सुनते ही लोगों के मन में नकारात्मक भाव पनप रहा है. चुनाव के समय सभी के जुबानों से लोकतंत्र शब्द की चर्चा हो रही है. 1970 से पूर्व के दशकों के लोकतंत्र में कटुता की भावना नहीं दिख रही थी.

इसके बाद जब से राजनीति में अपराधी करण की बात सामने आयी. साथ ही उदारीकरण, निजी करण व भूमंडली करण का दौर सामने आया तो लोकतंत्र के स्वरूप पर भीड़ तंत्र व औसत तंत्र हावी होने लगा है. वर्तमान परिवेश में समाज के कर्णधारों ने लोकतंत्र की दशा व दिशा ही बदल डाला है. कहीं जातिवाद तो कहीं वंशवाद या फिर धार्मिक भावनाओं से खिलबाड़ किया जाना.

इस बार के चुनाव में क्षेत्र की भोली भाली जनता पूर्ण रूप से सजग है. जिले में सभी पांचों विधान सभाओं के लिए आगामी पांच नवंबर को मतदान कराया जाना है. स्वच्छ मतदान कराये जाने को लेकर विभाग भी सख्त है. साथ ही मतदाताओं को मतदान में किसी प्रकार का परेशानी का सामना ना हो.

इसे लेकर प्रतिदिन संबंधितों द्वारा मतदान केंद्र का जायजा लिया जा रहा है. साथ ही चुनाव में मतदाताओं की अधिक से अधिक भागीदारी हो इसके लिए भी प्रयासरत है. सभी उम्मीदवार अपने – अपने विधान सभा क्षेत्र के घर – घर जाकर मतदाता से संपर्क साधने में जुटे हैं. यहां तक कि मजदूरी कर जीवन व्यतीत कर रहे मतदाताओं से प्रत्याशी सुबह या फिर रात के समय मिल कर उनलोगों के दर्द को सुन रहे हैं.

भ्रमण के दौरान कोई उम्मीदवार क्षेत्रीय विकास की बात किये जाने की बात कर जाते हैं तो कुछ अपने – अपने पार्टी के एजेंडे की बात कह वोटरों को अपने पक्ष में करने की जुगत में हैं. साथ ही सभी उम्मीदवारों के कार्यकर्ता द्वारा अपने सगे संबंधियों के माध्यम से वोटरों को रिझाने की बात सामने आ रही है.

जबकि मतदाता द्वारा सभी आगत अतिथियों अपना मत उन्हीं को दान किये जाने की बात कही जा रही है. इस बार के चुनाव में क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों के समूहों की रचना व सरकार किस प्रकार की हो, के मसले पर प्रभात खबर द्वारा ली गयी रायशुमारी में मतदाताओं का विचार कुछ ऐसा रहा.

बेरोजगारी का दंश झेल रहे पंकज कुमार झा ने बताया कि पूर्व के चुनाव में प्रत्याशियों के प्रचार के दौरान कर्मठ, सुयोग्य, ईमानदार सहित अन्य शब्द का उपयोग किया जाता था. लेकिन वर्तमान परिवेश में यह शब्द गौण होता जा रहा है. जिस कारण मतदान में एक अन्य विकल्प नोटा को जोड़ा गया है.

जन प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे मानवता को अपनाये. अनिल कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रत्येक मतदाता को वोट करना चाहिए. बताया कि उम्मीदवारों को स्थानीय समस्या पर पहल करते हुए विकास की बात करनी चाहिए. धमेंर्द्र कुमार का मानना है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है. लेकिन वोट की चाह में जन प्रतिनिधियों द्वारा जातिवाद सहित अन्य मसलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जो लोकतंत्र के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है. ललन कुमार ने बताया कि देश काल से उपर कोई नहीं हो सकता.

लेकिन लोकतंत्र को सुसज्जित किये जाने से समाज में अमन चैन व सद्भावना का माहौल लाया जा सकता है. जन प्रतिनिधि को संविधान की रक्षा करते हुए विकास की राजनीति करनी चाहिए. मो हाजी रहमान ने बताया कि जन प्रतिनिधियों को तथ्यपरक राजनीति करनी चाहिए. सरकार में ऐसे राजनेताओं की कमी है.

जिस कारण आज राजनीति में परोपकार को छोड़ निजी स्वार्थ की भावना पनप रही है. जो कतई समीचीन नहीं है. मो कलीम अंसारी राय प्रकट करते हुए कहा कि जन प्रतिनिधि ऐसा हो जिन्हें कभी भी वोट जुटाने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना ना करनी पड़े. बताया कि उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर मतदाता बार- बार उन्हें अपना जन प्रतिनिधि बनाये.अजीत कुमार साह का मानना है कि जन प्रतिनिधियों को जाति,

संप्रदाय से हट कर स्थानीय समस्याओं को तरजीह दे. साथ ही बदलते परिवेश में क्षेत्रों को अत्याधुनिक संसाधनों से लैस करें. वीरेंद्र कामत ने बताया कि जन प्रतिनिधियों को समय – समय पर क्षेत्र का भ्रमण करना चाहिए. ताकि स्थानीय समस्याओं के मसले पर अपेक्षित कार्य करायी जा सके. बताया कि जन प्रतिनिधि को कम से कम प्रत्येक वर्ष में अपने कार्य का जायजा लेते रहना चाहिए.

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