सुपौल : इसे मानवीय रिश्तों में आ रही नैतिक ह्रास कहें या विकलांग बच्ची के भरण-पोषण और भविष्य की परेशानियों का डर, जिस वजह से एक माता-पिता को अपने संतान को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. मानवता को कलंकित करने वाला ऐसा ही एक मामला बुधवार को मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में देखने को मिला.
सदर अस्पताल परिसर में पीछे बने नाले में बुधवार को करीब तीन वर्षीया विकलांग बच्ची लावारिस अवस्था में मिली. जिस पर संयोगवश अस्पताल कर्मी की नजर गयी. जिसके बाद तत्काल पुलिस को सूचना दी गयी. सूचना पर पहुंचे सअनि विजय कुमार उपाध्याय ने बच्ची को प्राथमिक उपचार के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया.
सूचना पर बाल कल्याण समिति के सदस्य भगवान पाठक व जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिलीप कुमार कामत ने सदर अस्पताल पहुंच कर बच्ची को विशेष दत्तक ग्रहण अभिकरण (बाल गृह) सहरसा को सौंप दिया.