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बीत रहा 2014, नहीं पूरी हुई बड़ी रेल लाइन परियोजना

सुपौल : एक और वर्ष पूरा होने के बाद भी जिलावासियों का बड़ी रेल लाइन का सपना अब भी अधूरा है. सुपौल देश में शायद एकमात्र जिला है, जहां एक गज भी बड़ी रेल लाइन की स्थापना नहीं हुई है. सहरसा-फारबीसगंज रेल खंड में अब भी अंगरेजों के जमाने की छोटी रेल ही दौड़ती है […]

सुपौल : एक और वर्ष पूरा होने के बाद भी जिलावासियों का बड़ी रेल लाइन का सपना अब भी अधूरा है. सुपौल देश में शायद एकमात्र जिला है, जहां एक गज भी बड़ी रेल लाइन की स्थापना नहीं हुई है. सहरसा-फारबीसगंज रेल खंड में अब भी अंगरेजों के जमाने की छोटी रेल ही दौड़ती है और 40 लाख लोगों की जिंदगी अब भी छुक-छुक करती आदम जमाने की पटरी से जुड़ी है.

करीब 11 वर्ष पूर्व जब इस इलाके में भी अमान परिवर्तन की पहल हुई थी तो लोगों में उम्मीदें जगी थी, लेकिन निर्धारित अवधि बीत जाने के बावजूद अपेक्षित कार्य नहीं होने से लोगों की उम्मीदें टूटने लगी है. केंद्र में नयी सरकार के गठन के बाद नये रेल मंत्री से लोगों की उम्मीदें जगी है.

रेल मंत्री पर टिकी है निगाहें: केंद्र में गठित नयी सरकार द्वारा विकास के व्यापक दावे किये जा रहे हैं. चुनाव के वक्त क्षेत्र की जनता को बड़ी रेल लाइन का आश्वासन भी दिया गया था. जो अब तक पूरा होता नहीं दिख रहा. जिसके कारण जिलावासियों में असंतोष व्याप्त है.

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