निर्मली : मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार को प्रसव कराने आयी महिला के परिजनों ने पीएचसी प्रभारी सहित अन्य चिकित्सकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर बवाल काटा. हंगामा कर रहे आक्रोशित पीएचसी प्रभारी डॉ राम प्रसाद मेहता पर प्रसव पीड़ित महिला का ससमय एडमिट नहीं करने का आरोप लगा रहे थे. आक्रोशित परिजनों का कहना था कि अस्पताल प्रबंधन की गड़बड़ी के कारण महिला का अस्पताल परिसर में ही प्रसव हो गया. परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बगैर रुपये लिए एंबुलेंस सेवा का लाभ नहीं दिया जाता है.
आक्रोशित लोगों के उग्र तेवर देख कर पीएचसी प्रभारी ने निर्मली थाना को दूरभाष पर सूचना दी. जहां थानाध्यक्ष दीनानाथ मंडल सहित अन्य पुलिस कर्मियों ने अस्पताल पहुंचकर आक्रोशितों को समझा-बुझा कर मामला को शांत कराया,
घटना के बाबत प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मरौना प्रखंड स्थित बेलही निवासी मो रहमान की पत्नी शहाना खातुन को परिजनों ने प्रसव कराने हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र निर्मली लाया. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता के कारण कई घंटों तक महिला को अस्पताल में एडमिट नहीं किया गया. जिस वजह से महिला का अस्पताल परिसर में ही प्रसव हो गया. अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता को देख परिजनों का आक्रोश भड़क उठा और परिजन हंगामा करने लगे. कहा कि पीड़ित परिजनों द्वारा जब एंबुलेंस सेवा के लिए कॉल किया तो उन्हें जवाब दिया गया कि आप अपने गांव से 10 लोगों को लेकर आइये ताकि एंबुलेंस को धक्का देकर स्टार्ट किया जा सके. इतना सुनकर परेशान पीड़िता के परिजनों ने किराये के वाहन से पीड़िता को प्रसव के लिए निर्मली पीएचसी लाया और जब अस्पताल परिसर में प्रसव हो गया तो उसे काफी देर तक अस्पताल में भर्ती भी नहीं लिया गया.
इस बाबत पूछने पर पीएचसी प्रभारी डाॅ रामप्रसाद मेहता ने बताया कि मंगलवार की दोपहर करीब 01.30 बजे प्रसव होने के उपरांत नवजात के साथ एक महिला अस्पताल पहुंची. जहां उपस्थित चिकित्सकों व नर्सों ने तत्काल ही महिला का उपचार प्रारंभ कर दिया. परन्तु प्रसूता के पति मो रहमान द्वारा पैसे के लिये अस्पताल में नाम इंट्री कराने हेतु अस्पताल परिसर में हंगामा किया गया. डाॅ मेहता ने बताया प्रावधान के अनुसार अस्पताल में प्रसव नहीं होने की स्थिति में सहायता राशि नहीं दी जा सकती है. जहां तक एंबुलेंस नहीं देने का आरोप परिजन लगा रहे हैं, यह आरोप बेबुनियाद है, एंबुलेंस की मांग परिजनों द्वारा नहीं की गयी है.