सुपौल : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को शत प्रतिशत लागू कराने के उद्देश्य से सरकार की मुहिम जिले में कामयाबी की उड़ान नहीं भर पा रही. साथ ही इसका जिम्मा उठाये लोग ही इसके आड़े आ रहे हैं. जिले की शिक्षा व्यवस्था वैसे भी किसी न किसी कारण से सुर्खियों में रही है, लेकिन जो ताजा मामला सामने आया है वह अजीबोगरीब है.
यह मामला जिले के पिपरा प्रखंड स्थित संचालित हरिजन प्राथमिक विद्यालय ठाढ़ी भवानीपुर से जुड़ा है. जहां एक ही विद्यालय में दो हेडमास्टर अलग अलग तरीके से न सिर्फ विद्यालय प्रधान होने का दावा कर रहे हैं, बल्कि स्कूल के शिक्षकों की अनुपस्थिति भी दो रजिस्टर के सहारे संचालित हो रही है.
खास बात यह है कि अब तक किसी विभागीय अधिकारियों ने इस मसले का समाधान करने की पहल नहीं की. लिहाजा ये कहना गलत नहीं होगा कि यहां विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही है और विभागीय अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं. शिक्षा समिति के गठन के दौरान उत्पन्न विवाद अनुमंडल लोक शिकायत निवारण या फिर जिला लोक शिकायत से उच्च न्यायालय तक पहुंचा. मामले में न्यायालय ने संज्ञान भी लिया, लेकिन न्यायालय के आदेश को लागू करवा पाने में विभाग के भी पसीने छूट गये.
अलबत्ता स्थिति जस की तस होने से दोनों हेडमास्टर अपने अपने तरीके से विद्यालय संचालन कर रहे हैं. दोनों शिक्षकों के अपने अपने दावे हैं किसी को बीडीओ ने हेडमास्टर के पद पर प्रतिनियुक्ति कर दिया तो किसी को न्यायालय का आदेश प्राप्त है. शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मसले पर विशेष कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं. गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की गारंटी को लेकर विभाग द्वारा समय समय पर शिक्षकों के ऊपर कार्रवाई की जाती रही है. गौरतलब हो कि यह मामला वर्ष 2015 से उलझा हुआ है.
जानकारी के अनुसार पूर्व में उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर रुखसाना खातून पदस्थापित थी. शिक्षा समिति के गठन के दौरान विद्यालय में हो हंगामा हुआ. जहां मामला को शांत कराने के उद्देश्य से जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद बीडीओ ने तत्काल नियोजित शिक्षक उदय पासवान को हेडमास्टर का प्रभार दिया. उक्त समय से ही तत्कालीन प्रधानाध्यापक रुखसाना खातून लड़ाई लड़ रही है. इस बाबत मामला अनुमंडल लोक शिकायत में दायर हुआ.
जहां रुखसाना खातून को प्रशासनिक दृष्टिकोण से विद्यालयी व्यवस्था बरकरार रखने के लिए स्थानांतरण का आदेश दिया गया. इसके बाद रुखसाना ने जिला लोक शिकायत में मामला को रखा. जिला लोक शिकायत ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए रुखसाना के पक्ष में निर्णय दिया. जिला लोक शिकायत के आदेश को लागू नहीं किये जाने के बाद रुखसाना ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने रुखसाना के पूर्व के पद पर बने रहने का आदेश विभाग को दिया. बीते फरवरी माह के आदेश निर्गत होने के बावजूद अब तक रुखसाना को हेडमास्टर का प्रभार विभाग द्वारा नहीं दिलाया जा सका है.
सात महीने पहले कोर्ट ने जारी किया था आदेश, अब तक विभाग ने नहीं की पहल
डीपीओ स्थापना ने भी हाइकोर्ट के आदेश को मानते हुए पिपरा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को आदेश लागू करने का निर्देश दिया. अब सवाल उठता है कि विभागीय और कोर्ट के आदेश का अनुपालन कौन करवाये. जबकि सात महीने पूर्व कोर्ट का आदेश जारी हुआ लेकिन अब तक इस दिशा में विभाग द्वारा पहल नहीं किया गया है. सूत्रों की माने तो इस समय स्कूल में दो रजिस्टर का संधारण हो रहा है. एक रजिस्टर वर्तमान हेडमास्टर उदय पासवान सहित तीन अन्य शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं.
वहीं दूसरे रजिस्टर पर तत्कालीन प्रधान रुखसाना सहित दो अन्य शिक्षक उपस्थिति दर्ज करते हैं. जाहिर है कि ऐसा पहला विद्यालय होगा जिस स्कूल में दो अलग अलग रजिस्टर पर उपस्थिति दर्ज होती होगी. मामले की पड़ताल करते हुए बीईओ सूर्य कुमार यादव से बात की तो उन्होंने पहले अनभिज्ञता जाहिर की. फिर उन्होंने बताया कि उक्त विद्यालय में दो रजिस्टर इस कारण से खुले हैं कि एक नियमित शिक्षक है और दूसरा नियोजित शिक्षक. नियमित शिक्षक की उपस्थिति डीडी के पास जमा होता है.
जबकि नियोजित का बीइओ के पास. लिहाजा कोई विशेष बात नहीं है. अब अगर हम बीइओ की बात पर गौर करें तो मामला स्पष्ट होता नजर आ रहा है कि पूर्व हेडमास्टर रुखसाना के रजिस्टर पर नियोजित शिक्षक संजय यादव की उपस्थिति दर्ज होती है.
यह मामला संज्ञान में नहीं है. संबंधित बीइओ से जानकारी प्राप्त कर दोषियों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई करेंगे.
गोपीनाथ मिश्रा, डीइओ, सुपौल