एनसीइआरटी की किताबें नहीं पढ़ाने पर दो स्कूलों पर कार्रवाई
निजी विद्यालयों में एससीइआरटी व एनसीइआरटी की किताबें नहीं पढ़ाने के मामले में शिक्षा विभाग ने दो स्कूलों पर कार्रवाई करते हुए स्पष्टीकरण पूछा है. इनको तीन दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है
प्रतिनिधि, सीवान.निजी विद्यालयों में एससीइआरटी व एनसीइआरटी की किताबें नहीं पढ़ाने के मामले में शिक्षा विभाग ने दो स्कूलों पर कार्रवाई करते हुए स्पष्टीकरण पूछा है. इनको तीन दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है. स्कूल में एससीइआरटी और एनसीइआरटी की किताबें नहीं चलाने के मामले में एक अभिभावक द्वारा जिला पदाधिकारी के समक्ष आवेदन दिया था. जबकि दूसरे विद्यालय के विरूद्ध जिला लोक सूचना पदाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर किया था. बताते चलें कि अभिभावकों द्वारा परिवाद दायर करने के पश्चात जब शिक्षा विभाग ने आवेदन को संज्ञान में लेते हुए मामले को खंगाला तो पाया कि पिछले वर्ष 12 अगस्त 2024 को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने सभी निजी विद्यालयों को कक्षा एक से 12 वीं तक एससीइआरटी व एनसीइआरटी की किताबें चालने का निर्देश दिया था. जिसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव द्वारा जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए सभी निजी विद्यालय के निदेशक, व्यवस्थापक व प्राचार्य को एससीइआरटी व एनसीइआरटी की ही किताबें चलाने का फरमान जारी किया है. डीइओ राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अभयावेदन के आधार पर जांच के दौरान पाया गया कि दोनों विद्यालयों में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निर्देश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. डीइओ ने बताया कि दोनों विद्यालयों से स्पष्टीकण पूछते हुए तीन दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है. एक हजार से अधिक निजी विद्यालय हैं जिला में- जिले में तकरीबन ग्यारह सौ से अधिक निजी विद्यालयों का संचालन होता है. जिसमें प्रस्वीकृत्ति प्राप्त विद्यालयों की संख्या 517 है. जिसमें नामांकित बच्चों की संख्या 1.5 लाख से अधिक है. जानकारों का कहना है कि वर्ग एक से 12 वीं की किताबों पर औसतन दो हजार से 6 हजार रूपये का खर्च आता है. वर्ग आठवीं का किताब पांच हजार रूपये का पड़ रहा है. जबकि एससीइआरटी व एनसीइआरटी की किताब एक हजार के भीतर ही मिल जाती हैं. हालांकि एनसीईआरटी की किताबों के संचालन के संबंध में निजी विद्यालयों का अपना तर्क है. प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसियेशन के सचिव शिवजी प्रसाद का कहना हैै कि समय से एससीइआरटी व एनसीइआरटी किताबें मुहैया कराने में सक्षम नहीं है. निजी प्रकाशन को सरकार कागज पर कोई सब्सिडी भी नहीं देती है. ऐसे में किताबों का महंगा होना लाजमी है.
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