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कात्यायनी की हुई पूजा, आज खुलेगा मां दुर्गा का पट
आस्था. भक्ति गीतों से गूंज उठा जिला, बाजार में बढ़ी चहल-चहल, खूब हुई कपड़ों की खरीदारी सीवान : शुक्रवार को मां के कात्यायनी रूप की श्रद्धालुओं ने पूजा की. शनिवार को सप्तमी को अधिकतर पूजा पंडालो के पट खुल जायेंगे. पंडालों में जाकर भक्त मां दुर्गा के दर्शन करेंगे. इसको लेकर सभी पूजा पंडालों को […]
आस्था. भक्ति गीतों से गूंज उठा जिला, बाजार में बढ़ी चहल-चहल, खूब हुई कपड़ों की खरीदारी
सीवान : शुक्रवार को मां के कात्यायनी रूप की श्रद्धालुओं ने पूजा की. शनिवार को सप्तमी को अधिकतर पूजा पंडालो के पट खुल जायेंगे. पंडालों में जाकर भक्त मां दुर्गा के दर्शन करेंगे. इसको लेकर सभी पूजा पंडालों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. कारीगर फाइनल टच दे चुके हैं.
पंडालों में दर्शनार्थियों की भीड़ जुटने लगेगी. सभी लोग मां दुर्गा से सुख ,शांति और समद्धि की कामना करेंगे. हर तरफ आस्था का उत्साह है. कइ पूजा पंडालों के पास आकर्षण लाइटिंग से माता के दरबार की सुंदरता और बढ़ रही है. माता के भजन से मंदिर और गांव सहित मुहल्ले गूंज रहे हैं. यहां भक्त एक से बढ़ कर एक पंडालों का अवलोकन करेंगे.
हर तरफ माहौल देवीमय हो गया है. नवरात्र के मद्देनजर जिले में सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त किया गया है. पूरे जिले में चिह्नित स्थानों पर दंडाधिकारी समेत पुलिसकर्मी की प्रतिनियुक्ति की जायेगी. साथ ही नियंत्रण कक्ष का स्थापना होगी.
मंदिरों में उमड़े भक्त, मां की पूजा की : शुक्रवार को भक्तो ने षष्ठी के मौके पर मां के कात्यायनी रूप की उपासना की. इस दिन काफी संख्या में भक्तों की भीड़ मंदिर में पूजा करने के लिए उमड़ी .
हर तरफ दुर्गा सप्तशती के पाठ किये जा रहे थे. मंत्रोच्चार से पूरा महौल भक्तिमय बना हुआ है. सुबह होते ही पूजा के लिए नगर के कचहरी रोड स्थित दुर्गा मंदिर, गांधी मैदान के बुढ़िया माई मंदिर, जेपी चौक के समीप स्थित काली मंदिर, फतेहपुर के दुर्गा मंदिर में लोगो की भीड़ उमड़ी रही. कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरूप का नाम कात्यायनी पड़ा. मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है. यह अपने प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं.
इनकी चार भुजाएं भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वर मुद्रा में है. अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है. कात्यायनी की पूजा-अर्चना से सभी संकटों का नाश होता है. देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है. भक्त को माता के पूजन द्वारा सहज भाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं. साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है.
यहां बने हैं पंडाल
ललित बस स्टैड, बबुनिया मोड़, फतेहपुर बाइपास,
डाॅ पी देवी मोड़, अस्पताल रोड, श्रीनगर मोड़, महादेवा रोड, पकड़ी मोड़, रामराज्य मोड़, जेपी चौक के समीप, सिसवन ढाले के समीप, गोशाला रोड डाॅ आर किरण के समीप
आज होगी मां कालरात्रि की पूजा
शनिवार को सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जायेगी. सभी पंडालों में मां के पट खुल जायेंगे. मां कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं. इनमें से बिजली की भांति किरणें निकलती रहती हैं. इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं. मां का यह भय उत्पन्न करनेवाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है.
देवी काल-रात्रि का वर्ण काजल के समान काले रंग का है, जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला है. मां कालरात्रि के तीन बड़े-बड़े उभरे हुए नेत्र हैं. इनसे मां अपने भक्तों पर अनुकंपा की दृष्टि रखती हैं. देवी अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही होती हैं. देवी कालरात्रि के केश खुले हुए और हवाओं में लहरा रहे होते हैं. देवी काल रात्रि अपने वाहन गर्दभ पर सवार होती हुईं कांतिमय और अद्भुत दिखाई देती हैं. देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है अत: देवी को शुभंकरी भी कहा गया है.
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