दरौंदा : पश्चिम बंगाल के कोलकाता से सीवान प्रवास पर आये युवा संत आध्यात्मिक गुरु वास्तु एवं ज्योतिषाविद् श्रीश्री शैलेश गुरु जी ने अक्षय नवमी व्रत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अक्षयनवमी व्रत से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी कहते हैं. इस दिन स्नान,
आंवले वृक्ष का पूजन, तर्पण, अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा एवं वहां भोजन बना कर परजिनों के साथ भोजन करने का विशेष महत्व है. उन्होंने कहा कि इस दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की कम-से-कम एक माला का जाप करना चाहिए. इस दिन कुष्मांड, गेहूं, सुपारी, घी, आंवला आदि का दान श्रेष्ठकर होता है. इस दिन भोजन के साथ आंवला अवश्य ग्रहण करना चाहिए.