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जिम्मेवारी आधी आबादी की, सुविधाएं नदारद
थानाध्यक्ष समेत मात्र एक महिला पुलिस पदाधिकारी हैं तैनात जिम्मेवारी आधी आबादी की और सुविधाएं नदारद, इसी बात को चरितार्थ कर रहा है सीवान का महिला थाना. जिस पर जिले की आधी आबादी अर्थात महिलाओं की समस्याओं के समाधान, उनके मामलों में कार्रवाई व सुरक्षा की जिम्मेवारी है. हालत यह है कि यह थाना जजर्र […]
थानाध्यक्ष समेत मात्र एक महिला पुलिस पदाधिकारी हैं तैनात
जिम्मेवारी आधी आबादी की और सुविधाएं नदारद, इसी बात को चरितार्थ कर रहा है सीवान का महिला थाना. जिस पर जिले की आधी आबादी अर्थात महिलाओं की समस्याओं के समाधान, उनके मामलों में कार्रवाई व सुरक्षा की जिम्मेवारी है. हालत यह है कि यह थाना जजर्र भवन में जैसे-तैसे चल रहा है. यहां संसाधनों का भारी अभाव है, जिसके कारण कार्यो के निष्पादन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सीवान : सरकार बड़े पैमाने पर महिला सशक्तीकरण, न्याय एवं अधिकारों की रक्षा की बात करती है, परंतु 26 जनवरी, 2012 को स्थापित महिला थाने को करीब साढ़े तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी अपना नसीब नहीं हो सका. यह थाना फिलहाल नगर थाना परिसर में एक जजर्र भवन में जैसे -तैसे संचालित हो रहा है. इस भवन की छत का प्लास्टर हमेशा टूट कर गिरता रहता है, जिससे खतरे की आशंका बनी रहती है.
न शौचालय न हाजत : महिला थाने की स्थिति यह है कि यहां न तो शौचालय है और न हाजत. इस स्थिति में महिला थाने में पदस्थापित महिलाकर्मियों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. महिला थानाध्यक्ष पूनम कुमारी कहती है कि हाजत नहीं होने के कारण गिरफ्तार अभियुक्तों को रखने में काफी परेशानी होती है. वहीं पीड़िताओं को भी भवन के अभाव में रखने में काफी दिक्कतें आती रही हैं. थानाध्यक्ष ने बताया कि इधर अल्पावास गृह के शुरू होने से इस परेशानी से कुछ निजात मिली है.
संसाधनों का है घोर अभाव : इस थाने पर आधी आबादी की जिम्मेवारी है, लेकिन संसाधनों का घोर अभाव है. महिला थाने में मात्र एक सब इंस्पेक्टर तैनात हैं, जबकि यहां तीन सब इंस्पेक्टर का पद रिक्त है. वहीं हवलदार का पद भी रिक्त है और सुरक्षा बलों को भी भारी कमी है.
थाने के पास मात्र एक वाहन है. ऐसी स्थिति में किसी घटना, छापेमारी व किसी सूचना पर त्वरित कार्रवाई में काफी परेशानी होती है. सबसे बड़ी बात है कि इस थाने में चालक का पद रिक्त पड़ा है और स्थानीय व्यवस्था के तहत इसका काम चलाया जाता है. इसी से थाने के स्थिति का आकलन किया जा सकता है.
नहीं बन सका मे आइ हेल्प यू काउंटर : महिला थाने की प्राथमिक जिम्मेवारी मामलों के समाधान के लिए काउंसेलिंग है. पारिवारिक मामले आने पर पहले उसे समझा -बुझा कर सुलझाने का प्रयास करना है. इसमें सफलता नहीं मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करनी है.
थाने में एक मात्र महिला पुलिस पदाधिकारी थानाध्यक्ष के ही पदस्थापित रहने के कारण इसमें परेशानी आती है. वहीं महिलाओं के उत्पीड़न, रेप आदि मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए उन्हें बाहर आने की स्थिति में काउंसेलिंग में दिक्कत आती है. भवन व महिला पुलिस पदाधिकारी की कमी के कारण अब तक मे आइ हेल्प यू काउंटर नहीं बन सका है.
क्या कहतीं महिला थानाध्यक्ष
महिला थाने में छह माह में हीं 272 विभिन्न मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि पटना महिला थाने में इस वर्ष अब तक 25 मामले ही दर्ज है. कर्मचारियों की कमी से कार्य बाधित हो रहा है. मुङो ही मुंशी का भी कार्य करना पड़ता है. फिर भी उपलब्ध संसाधन में बेहतर करने की कोशिश रहती है. प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद विगत वर्ष पुलिस कर्मियों का पदस्थापन हुआ था. अगर संसाधन उपलब्ध हों तो कार्यो को और बेहतर ढंग से किया जा सकेगा.
पूनम कुमारी, महिला थानाध्यक्ष, सीवान
क्या कहते हैं एसपी
थाने के लिए जमीन का आवंटन हो चुका है और प्रस्ताव भी स्वीकृत हो चुका है. शीघ्र ही थाना भवन का निर्माण कार्य शुरू होगा. थाने में संसाधनों को बढ़ाने के लिए विभाग प्रयासरत है और कार्रवाई की जायेगी. रिक्त पदों पर पदस्थापन किया जायेगा.
विकास वर्मन, पुलिस कप्तान सीवान
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