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माई-बाबू हउवें घर के सिंगार बबुआ..

पूर्व संध्या पर प्रभात खबर की ओर से आयोजित की गयी कवि गोष्ठी सीवान : फादर्स डे की पूर्व संध्या पर शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय पर आयोजित कवि सम्मेलन कई मायने में यादगार रहा. क वि व साहित्यकारों के जमघट के बीच सृष्टि में पिता की भूमिका को याद करते हुए सबने अपनी रचनाओं […]

पूर्व संध्या पर प्रभात खबर की ओर से आयोजित की गयी कवि गोष्ठी
सीवान : फादर्स डे की पूर्व संध्या पर शनिवार को प्रभात खबर कार्यालय पर आयोजित कवि सम्मेलन कई मायने में यादगार रहा. क वि व साहित्यकारों के जमघट के बीच सृष्टि में पिता की भूमिका को याद करते हुए सबने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी यादों को प्रस्तुत किया.
कवि सम्मेलन की शुरुआत ख्याति लब्ध कवि व रचनाकार सुनील कुमार तंग इनायतपुरी ने मंचासीन कवियों का स्वागत करते हुए फादर्स डे की महत्ता की चर्चा की.उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में पिता को देवता के समान माना गया है. हमारी पहचान पिता के साथ जुड़ी है.
माता व पिता के चरणों में सभी तीर्थ धाम समाहित है.ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. पिता को ब्रह्म के रूप में तथा माता को पृथ्वी के रूप में माना गया है. इन दोनों का अनादर कर हम कभी सुखी नहीं रह सकते. वेद कहता है कि माता व पिता को देवता समझो. कवि सम्मेलन की शुरुआत परवाना सिवानी की भोजपुरी रचना से हुई. श्री सिवानी ने अपनी पंक्ति को सुनाते हुए कहा कि जबसे पिरितिया के तार टूटल जाता,जवार छुटल जाताका कहीं गउंवा जवार छुटल जाता.अबो याद आवे भूतहिया बगईचा,बइठस जवारी लगाके गलक्ष्चा.
पुरखन के सब यादगार छुटल जाता,जवार छुटल जाता.वहीं, अपनी दूसरी रचना को सुनाते हुए कहा कि जन्नत जब देखने की ख्वाहिश होती है, हम अपने मां बाप का दीदार करते हैं. राकेश रंजन रणधीर की रचना का भी तालियों की गड़गड़ाहट से लोगों ने स्वागत किया.श्री रणधीर ने कहा कि ह्यक्या पता क्यों रोज ये सपने आने लगे हैं. मुठ्ठिया उठा कर लोग चिल्लाने लगे हैं.चंद पागल शहर के लोग को समझाने लगे हैं, इन दिनों शहर को सिरफिरे भाने लगे हैं.सुनील कुमार तंग इनायतपुरी ने मां व पिता से जुड़ी रचनाएं प्रस्तुत कर कार्यक्रम को ऊंचा आयाम दिया.
उन्होंने कहा कि ‘सपने में रोज अक्सर आते हैं माई -बाबूजी,रख देते हैं सर पर हाथ माई बाबूजी,दुनियादारी की रस्सी पर संभल-संभल कर पांव रखो, इस दुनिया से कूच किये थे,कह कर माई बाबूजी. प्रख्यात साहित्यकार व कवि भगवान सिंह भाष्कर ने कहा कि ‘पिता के कर्ज को चुकाना आसान नहीं,जीवन के कठिन दौर में चढ़ पाना आसान नहीं’.सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए दारोगा प्रसाद राय महाविद्यालय के प्राचार्य सुभाष चंद यादव ने आयोजनकर्ताओं को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सीवान सांस्कृतिक व साहित्यिक पुरोधाओं की धरती रही.ऐसे में कवि सम्मेलन का आयोजन सराहनीय है. उन्होंने अपनी स्वलिखित भोजपुरी गीत ह्यमाई -बाबू हउवें घर के सिंगार बबुआ,काहें समङो ल उनका के भार बबुआ.
जेकरा चलते तवना पवल काहें उनका के बिसरवल,अपना मनवा में कर विचार बबुआ.कोरा कान्हे खेलवलें ,तोहके दुनिया देखवले,रखले पूतरी में संभाल बबुआसुनाई. प्रभात खबर के जिला प्रभारी जितेंद्र उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की. इस अवसर पर समाजवादी विचारक महातम भाई,डा.दीपक कुमार जायसवाल,पूर्व जिला पार्षद लाल बाबू प्रसाद,नंदजी यादव भी उपस्थित थे.

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