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छह दशकों में ही उजड़ने लगी गांधीवादी दीन के सपनों की बगिया

सीवान : कुष्ठ पीड़ितों के प्रति सद्भाव व प्रेम का बापू ने संदेश दिया था. महात्मा गांधी के संदेश को गांधीवादी बाबा जगदीश दीन ने शिद्दत के साथ महसूस किया. छह दशक पूर्व प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के सहयोग से कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए मैरवा में एक ऐसे केंद्र की स्थापना हुई, […]

सीवान : कुष्ठ पीड़ितों के प्रति सद्भाव व प्रेम का बापू ने संदेश दिया था. महात्मा गांधी के संदेश को गांधीवादी बाबा जगदीश दीन ने शिद्दत के साथ महसूस किया. छह दशक पूर्व प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के सहयोग से कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए मैरवा में एक ऐसे केंद्र की स्थापना हुई, जिसे पूरे देश में ख्याति मिली. बिना किसी सरकारी सहयोग के उस दौर में जगदीश ने 40 लाख रुपये से राजेंद्र कुष्ठ आश्रम की आधारशिला रखी थी.
अविभाजित सारण जिले के कुष्ठ रोगियों के इलाज व उनके पुनर्वास के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाबा जगदीश बीन, बाबा राघव दास तथा स्वतंत्रता सेनानी लोक नायक के प्रयासों से मैरवा के झरही नदी के तट पर 1953 में राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम की स्थापना की गयी. करीब 30 एकड़ जमीन में बने इस सेवाश्रम में उस समय आधुनिक सुविधाएं कुष्ठ रोगियों को उपलब्ध करायी जाती थीं.
कुष्ठ मरीजों के इलाज के लिए सारण प्रमंडल को कुल नौ क्षेत्रों में बांट कर 130 क्लिनिकों व उप क्लिनिकों की व्यवस्था की गयी थी, लेकिन राजेंद्र बाबू तथा बाबा जगदीश दीन के निधन के बाद इस संस्थान को चलाने के लिए कोई कुशल व्यक्ति नहीं मिल पाया तथा यह धीरे-धीरे इतिहास बनने लगा है. जिले के लोगों ने कई बार इसे चालू कराने के लिए आवाज उठायी, लेकिन विभाग के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों ने भी इसमें रुचि नहीं ली. कुछ माह पहले केंद्र सरकार ने राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम के संबंध में कुष्ठ विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी, जिसे कुष्ठ विभाग ने आज तक नहीं भेजा.
आधुनिक सुविधाओं से लैस था सेवाश्रम : राजेंद्र सेवाश्रम में कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास के लिए कई प्रकार के उद्योग,सजर्री यूनिट,अच्छी तरह से सुसज्जित प्रयोगशाला, कला फिजियोथेरेपी यूनिट व वोकेशनल ट्रेनिंग वर्कशॉप आदि की व्यवस्था थी. मरीजों के इलाज के लिए एक चिकित्सा पदाधिकारी, आठ पीएमडब्ल्यू, एक लैब सहायक, एक हेल्थ एजुकेटर थे.
राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम एक नजर में
सेवाश्रम की कुल जमीन-30 एकड़
बिना सरकारी सहायता के खर्च हुए-40 लाख
संस्थान में मरीजों के लिए बेड की संख्या-200
सारण को बांटा गया था- नौ इकाइयों में
इकाइयों में क्लिनिक की संख्या-130
कुल कर्मचारियों की संख्या-166
क्या कहते हैं अधिकारी
राजेंद्र कुष्ठ सेवाश्रम को पुन: चालू करने के उद्देश्य से सरकार ने मुझसे संस्थान के विषय में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. अन्य कार्यो में व्यस्तता के कारण उसकी जांच कर रिपोर्ट विभाग को नहीं भेजी जा सकी. शीघ्र ही समय निकाल कर उसकी जांच कर रिपोर्ट भेज दी जायेगी.
डॉ. प्रमोद कुमार पांडेय
प्रभारी जिला कुष्ठ पदाधिकारी

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