सीवान : फलों को सेहत बनाने के लिए लोग खाते हैं, पर वही फल सेहत को बिगाड़ भी सकते हैं, क्योंकि फल को जल्दी पकाने के लिए खुदरा विक्रेता खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये रसायन आम, केला और पपीता पकाने के लिए ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है.
रसायनों के इस्तेमाल से पके फलों को खाने से लीवर और गुर्दा प्रभावित हो सकता है. पर सेहत से खिलवाड़ करनेवालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. खुदरा विक्रेता आम और पपीते को पकाने के लिए कार्बाइड तथा केला पकाने के लिए कार्बाइड के अलावा इथराल का इस्तेमाल कर रहे हैं.
इथराल को पानी में मिलाने पर एथिलीन गैस निकलती है. इसके इस्तेमाल से लीवर खराब होने का खतरा होता है. इथराल आसानी से कुछ दुकानों में मिल जाता है.
वहीं सेब को अधिक दिन तक सुरक्षित रखने के लिए उस पर मोम की परत लगायी जाती है. खासतौर पर चाइनीज सेब पर मोम का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है. वहीं फल व्यापारियों का कहना है कि लोकल स्तर पर मोम का इस्तेमाल नहीं होता है.
जहां से सेब आता है वहीं से मोम लगा हुआ होता है. शहर की थोक मंडी में इथराल और कार्बाइड खुलेआम दुकानदार बेच रहे हैं. सबसे खास बात कि 10 रुपये में इथराल की पांच एमएल की शीशी मिलती है.
जेपी चौक व स्टेशन रोड में फल बेचनेवाले एक दुकानदार ने बताया कि पहले कार्बाइड से केला पकाते थे, लेकिन अब इथराल का इस्तेमाल करते हैं. इससे केला 16 से 24 घंटे में पक जाता है. वहीं कार्बाइड से 24 से 36 घंटे लगते हैं और कुछ केला ठीक से नहीं पक पाता है.
क्या होता है नुकसान
पाचन क्रि या प्रभावित होती है
गुर्दा को खराब कर सकता है
आंतों में सूजन आ सकती है
ऐसे करें पहचान
सामान्य से अधिक चमक वाले केले न खरीदें.
जरूरत से ज्यादा पके केले न खरीदें.
केले का छिलका काला हो, तो न खरीदें.
इथराल से पकाने का तरीका
एक घौद (10 से 12 दर्जन) केला पकाने के लिये पांच मिलीलीटर इथराल का प्रयोग किया जाता है. इथराल को पांच लीटर पानी में डाल कर केले को उसमें डुबोया जाता है. इसके बाद केला को जमीन पर रख कर ढंक देते हैं, ताकि उसमें हवा न जा सके. 16 से 24 घंटे के भीतर केला पक जाता है.
भट्ठी में पका केला फायदेमंद
खुदरा फल विक्रेता जीवन ने बताया कि पहले कच्चे केले को पकाने के लिये भट्ठी का इस्तेमाल किया जाता था, इस विधि में केला पकने में 48 घंटे से अधिक समय लगता है. इससे केला नुकसानदायक नहीं रहता था और उसकी मिठास भी बढ़ जाती थी.
– बाल्मीकि मणि तिवारी –