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कोर्ट ने मठ की जमीन पर कब्जे को अवैध बताया

23 वर्ष पुराने जमीन विवाद के मामले में सुनाया फैसला सीवान : 23 वर्ष पुराने जमीन विवाद के मामले में सब जज 12 मनोज कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने मठ के जमीन को भू-हदबंदी के अंतर्गत पाते हुए कब्जे को अवैध करार दिया है. अवर न्यायाधीश 12 मनोज कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दोनों पक्षों […]

23 वर्ष पुराने जमीन विवाद के मामले में सुनाया फैसला

सीवान : 23 वर्ष पुराने जमीन विवाद के मामले में सब जज 12 मनोज कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने मठ के जमीन को भू-हदबंदी के अंतर्गत पाते हुए कब्जे को अवैध करार दिया है. अवर न्यायाधीश 12 मनोज कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दोनों पक्षों के साक्ष्य व दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय देते हुए सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. विदित हो कि एमएच नगर हसनपुरा के भीखपुर भगवानपुर निवासी सतनदेव सिंह ने वर्ष 1932 में अपने ही गांव के मठाधीश लक्ष्मण भगत से 91 रुपये मूल्य में मठ की जमीन का क्रय किया था. अन्य लोगों ने भी जमीन पर कब्जा कर लिया. मठ की जमीन लगभग 45 बीघा थी.
सरकार ने जमीन को भू-हदबंदी के अंतर्गत पाते हुए वर्ष 1976 में दर्ज किया. तत्कालीन अपर समाहर्ता मनु राम व जेपी वरियार ने जमीन के क्रेता के पक्ष में निर्णय सुनाया था. वहीं, वर्ष 1994 में अपर समाहर्ता ने उक्त आदेशों को पलट दिया और मामले को भू-हदबंदी के अंतर्गत पाया. इस पर राम सूरत राय ने प्रथम अवर न्यायाधीश की अदालत बिहार सरकार के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया.
यह सुनवाई के लिए सब जज 12 मनोज कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में चला. दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद अदालत ने मठ की जमीन पर कब्जे को अवैध पाते हुए बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. सरकार की तरफ से सरकारी वकील तरुण कुमार प्रसाद तथा आवेदक की तरफ से अधिवक्ता उत्तिम सिंह ने अपनी-अपनी दलीलें पेश किया.

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