कुव्यवस्था.सर्जन का पद रिक्त होने से रेफर किये जाते हैं मेजर सर्जरी के मरीज
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अनट्रेंड निभाते हैं एनेस्थेटिक की भूमिका
कुव्यवस्था.सर्जन का पद रिक्त होने से रेफर किये जाते हैं मेजर सर्जरी के मरीज सीवान : सरकार व स्वास्थ्य महकमा सदर अस्पताल में बेहतर इलाज करने के लाख दावे कर ले परंतु हकीकत कुछ और ही बयां करती है. अस्पताल में मेजर सर्जरी की जगह सिर्फ सीजेरियन होता है.यहां आॅपरेशन के लिए आनेवाले मरीजों की […]
सीवान : सरकार व स्वास्थ्य महकमा सदर अस्पताल में बेहतर इलाज करने के लाख दावे कर ले परंतु हकीकत कुछ और ही बयां करती है. अस्पताल में मेजर सर्जरी की जगह सिर्फ सीजेरियन होता है.यहां आॅपरेशन के लिए आनेवाले मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जाता है. हो भी क्यों न, छह माह का एनेस्थेसिया का रिफ्रेशमेंट कोर्स कर चिकित्सक जो मरीजों का आॅपरेशन कराते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने करीब चार साल पहले सदर अस्पताल में एक मूर्छक डॉक्टर की पदस्थापना की.
लेकिन सदर अस्पताल में योगदान देने के बाद उन्होंने एक दिन भी ड्यूटी नहीं की.सदर अस्पताल में करीब एक साल से किसी सर्जन की पदस्थापना नहीं की गयी. एक तरफ सरकार सरकारी अस्पतालों को हाइटेक बनाते हुए हर सुविधा से लैस कर रही है ताकि मरीजों को किस प्रकार की परेशानी न हो. साथ ही उन्हें सदर अस्पताल में ही सारी चिकित्सकीय सुविधा मिल सके. परंतु हकीकत एकदम उलट है. चिकित्सकों की कमी का दंश झेल रहे सदर अस्पताल में आपरेशन नहीं मरीजों की जान से खेला जाता है. चिकित्सक के अभाव में मेजर सर्जरी पूरी तरह से सदर अस्पताल में ठप है. अस्पताल में सिर्फ सीजेरियन आॅपरेशन होता है.
करीब एक साल से सर्जन का पद है खाली
सदर अस्पताल में मेजर सर्जरी पूरी तरह से ठप है. मेजर सर्जरी के आनेवाले मरीजों को लौटा दिया जाता है. इससे सरकारी अस्पताल के प्रति मरीजों का मोहभंग हो रहा है. सीजेरियन के अलावा छोटे-मोटे ऑपरेशन के लिए भी मरीजों को पीएमसीएच रेफर किया जाता है. ऐसी बात नहीं कि जिले के सरकारी अस्पतालों में सर्जन डॉक्टर नहीं है. विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने विभाग के आदेश के बावजूद कई स्वास्थ्यकर्मियों व डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति की है.सदर अस्पताल में किसी सर्जन की प्रतिनियुक्ति नहीं होना आश्चर्य की बात है.
प्रति माह 40 से 50 होता है सीजेरियन आॅपरेशन
सदर अस्पताल में सबसे अधिक सीजेरियन आॅपरेशन किया जाता है,वह भी नियम को ताक पर रख कर. यहां प्रति माह करीब 40-50 की संख्या में सीजेरियन आॅपरेशन होता है. परंतु बिना एनेस्थेटिस्ट चिकित्सक के ही मरीजों को बेहोश कर आॅपरेशन कर दिया जाता है. आॅपरेशन के लिए चिकित्सक तो हैं पर मूर्छक का टोटा है. करीब चार साल पहले विभाग ने सदर अस्पताल में डॉ रणजीत कुमार सिंह को मूर्छक के पद पर पदस्थापित किया, लेकिन सीवान सदर अस्पताल में योगदान देने के बाद उन्होंने एक दिन भी ड्यूटी नहीं की.
डॉ रणजीत कुमार सिंह के बिना सूचना के लंबी छुट्टी पर जाने के मामले को विभाग ने गंभीरता से भी नहीं लिया.
क्या कहते हैं अधिकारी
यह बात सही है कि करीब एक साल से सदर अस्पताल में सर्जन का पद रिक्त है. सदर प्रखंड के डॉ सुनील कुमार सिंह को ऑन काल विशेष परिस्थिति या मेडिको लीगल केस में बुलाया जाता था. उनके दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद कार्य बाधित है. सदर अस्पताल में दो मूर्छक हैं. एक लंबी छुट्टी पर हैं जबकि दूसरे डॉ वीरेश्वर प्रसाद काम करवाते हैं. इनके अलावा तीन डॉक्टरों ने छह माह की मूर्छक की ट्रेनिंग ली है. विभाग ने एक सर्जन डॉ सुधीर कुमार सिंह की पदस्थापना की है.
डॉ एमके आलम, उपाधीक्षक सदर अस्पताल, सीवान
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