अमिताभ कुमार, सीतामढ़ी. आधुनिकता की बयार में संयुक्त परिवार में लोग बुजुर्ग माता-पिता के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं. इससे माता-पिता अपने आपको उपेक्षित महसूस करने लगे हैं. अपने ही घर उन्हें बेगाना लगने लगता है. कुछ मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जहां एक ओर माता-पिता ने आर्थिक संकट का सामना करके अपने बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल कर दिया, लेकिन आज उन बच्चों के लिए माता-पिता बोझ बन गये हैं.
13 साल बाद मां को भ्रमण कराने के लिए नौकरी छोड़ दी
इन सब के बीच समाज में सकारात्मक संदेश व चेहरे पर हल्की सी मुस्कान पैदा करने वाली एक बेहतरीन खबर देखने को मिली है. कर्नाटक राज्य के मैसूर के रहने वाले एक शख्स ने अपनी मां की इच्छाओं को पूरा करने के लिए शादी नहीं की. इतना ही नहीं 13 साल नौकरी करने के बाद उसने अपनी नौकरी छोड़ दी. आज की तारीख में वह पिता के स्कूटर पर अपनी मां को बैठाकर देश के धार्मिक स्थलों का दर्शन करा रहे हैं. डी कृष्ण कुमार अपनी 73 वर्षीया मां चूड़ा रतनमा को भारत के सभी हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दर्शन करवा रहे हैं. इस क्रम में वह सीतामढ़ी जिले में स्थित रामायणकाल से जुड़े पौराणिक व धार्मिक स्थलों का दर्शन करने पहुंचे. सीतामढ़ी पहुंचने पर उनका स्वागत गर्मजोशी से सामाजिक कार्यकर्ता मनोज शक्ति ने किया. अतिथि देवो भव: की तरह मनोज ने माता-पुत्र का अपने घर पर स्वागत किया.
भूटान, नेपाल व म्यांमार का करा चुके हैं भ्रमण
डी कृष्ण कुमार कहते हैं- पिता के स्कूटर पर लगता है कि उनके स्वर्गवासी पिता उनके साथ हैं. मल्टी नेशनल कंपनी में टीम लीडर के रूप में डी कृष्ण कुमार ने 13 साल तक काम किया. उसके बाद उस कमाई से जो पैसा जमा हुआ, उसको अपने मां के नाम पर बैंक में रख दिया. बैंक से मिले सूद के रुपये से वे अपनी मां को देश-दुनिया के धार्मिक स्थलों का दर्शन करा रहे हैं. भूटान, नेपाल व म्यांमार समेत कश्मीर से कन्याकुमारी तक वे अपनी मां को पुराने स्कूटर से घुमा चुके हैं. अब तक स्कूटर से वे 67 हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं.