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धूल फांक रहा ब्लड बैंक की मशीन

धूल फांक रहा ब्लड बैंक की मशीन उदासीनतापुपरी पीएचसी का हालविभागीय लापरवाही के चलते 10 वर्षों से है मृतप्राय फोटो- 1 बेकार बना जांच मशीन, 2 पीएचसी प्रभारी डाॅ .सुरेंद्र कुमार प्रतिनिधि, पुपरी. विभागीय लापरवाही व पदाधिकारियों की उदासीनता के चलते स्वीकृति के बाद भी दस वर्षों में लोगों को ब्लड बैंक की सुविधा मुहैया […]

धूल फांक रहा ब्लड बैंक की मशीन उदासीनतापुपरी पीएचसी का हालविभागीय लापरवाही के चलते 10 वर्षों से है मृतप्राय फोटो- 1 बेकार बना जांच मशीन, 2 पीएचसी प्रभारी डाॅ .सुरेंद्र कुमार प्रतिनिधि, पुपरी. विभागीय लापरवाही व पदाधिकारियों की उदासीनता के चलते स्वीकृति के बाद भी दस वर्षों में लोगों को ब्लड बैंक की सुविधा मुहैया नहीं हो सकी है. विभागीय अधिकारियों के चलते अस्पताल को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की सरकारी कोशिशों पर पानी फिर गया. बरबाद हो रहा है उपस्कर यहां करीब 10 वर्ष पूर्व ब्लड बैंक की स्थापना को लेकर लाखों रुपये की लागत से उपस्कर की खरीद की गयी, जो अब डायग्नोसिस सेंटर के एक कमरे में धूल फांक रहा है. यहां बता दें कि जरूरतमंदों को ससमय व सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने के लिए तत्कालीन सिविल सर्जन ने पत्रांक 885 दिनांक 12 मार्च 2006 को इस अस्पताल में ब्लड बैंक की स्थापना के लिए संबंधित डिवाइस उपलब्ध कराया था. शुरू के दिनों में कमरे का अभाव व तक्नीशियन नहीं होने की बात कह एक जीर्ण-शीर्ण कमरे में बंद रखा गया. जब डायग्नोसिस सेंटर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया तो वर्ष 2010 में एक कमरे में ब्लड बैंक खोलने को लेकर संबंधित रेफरीजेरेटर, इक्युवेटर, वंच टू, सेंट्रीफ्यूज व डिवाइस को सजा कर रखा गया. साथ ही एक तक्नीशियन उद्घाटनकर्ता की वाट जोहते रहे और इस इंतजार में अंतत: तत्कालीन सिविल सर्जन के नये आदेश के पत्रांक 283 व दिनांक पांच फरवरी 11 के आलोक में हटना भी पड़ा. उसके बाद इसकी आस में रहे मरीजों के उम्मीदों पर पानी फिर गया. ब्लड के अभाव में चली जाती है जान जंग का शिकार हो रहे इस बेसकीमती डिवाइस के लिए कौन जिम्मेदार हैं? ब्लड बैंक के अभाव में मरीजों को हो रही परेशानी के लिए जिम्मेदार कौन हैं? यह जानना चाहती है यहां की जनता. स्थानीय लोगों का कहना है कि अनुमंडल प्रशासन अगर गंभीर होती हो यहां ब्लड बैंक कब का खुल गया होता. अनुमंडल मुख्यालय तीन हाइवे से जुड़ी हुयी है. आये दिन सड़क दुर्घटना में लोग गंभीर रूप से जख्मी होते रहते हैं. इलाज के दौरान ब्लड के चलते अब तक कई मरीजों की जान तक चली गयी है, पर प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है. विभागीय मंत्री से मांग इधर, ब्लड बैंक व ट्रामा सेंटर को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कुमार अमित ने बिहार सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के मंत्री व वरीय अधिकारियों को पत्र भेज कर जनहित में ब्लड बैंक व ट्रामा सेंटर की स्थापना शीघ्र कराने व प्रशिक्षित तक्नीशियन एवं चिकित्सक को पदस्थापित कराने की मांग की है. कहते हैं पीएचसी प्रभारी इस बाबत पीएचसी प्रभारी डाॅ. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि ब्लड बैंक की स्थापना पीएचसी में हुयी थी. इसके संचालन के लिए एक चिकित्सक व एक तक्नीशियन को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया. प्रशिक्षण के बाद एक तक्नीशियन की प्रतिनियुक्ति भी हुयी, पर चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी. लिहाजा चिकित्सक, तक्नीशियन व अनुज्ञप्ति के अभाव में ब्लड बैंक का कार्य स्थगित है और कीमती उपस्कर व मशीन खराब हो रहा है.

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