संविधान में शामिल हो आर्थिक व सामाजिक अधिकार फोटो-21 सेवा योजना के कार्यक्रम में शामिल अतिथि, 22 परिसंवाद गोष्ठी में मौजूद लोगअंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रमों का आयोजनमानवाधिकार को कानूनी मान्यता देने की उठी मांगसीतामढ़ी. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर गुरुवार को नगर में विभिन्न संगठनों द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के कार्यालय में ‘आम लोगों का मानवाधिकार’ विषय पर एक विचार गोष्ठी अध्यक्ष डॉ आनंद किशोर की अध्यक्षता में हुई. गोष्ठी में डॉ किशोर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकार के संबंध में की गयी सार्वभौम घोषणा की स्वीकृति के बावजूद भारत में मानवाधिकार हनन की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही है. मानवाधिकार से जुड़े विभिन्न नागरिक तथा राजनैतिक अधिकारों को संविधान में शामिल किया गया है, परंतु आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों को संविधान में शामिल किये जाने की आवश्यकता है. गोष्ठी में प्रस्ताव पारित कर सर्वसम्मति से मानवाधिकार को कानूनी मान्यता देने के साथ प्रशासनिक स्तर पर आम लोगों के मानवाधिकार की सुरक्षा तथा समान इज्जत प्रदान करने के लिए सरकारी कार्यालयों में लोकसेवकों के द्वारा तुम के प्रयोग को दंडनीय अपराध अधिसूचित करने समेत अन्य प्रस्ताव पारित कर सरकार तथा जिला प्रशासन को भेजने का निर्णय लिया गया. गोष्ठी में महासचिव विनोद बिहारी मंडल, ब्रज मोहन मंडल, हरिओम शरण नारायण, इ. करुण कुमार, विंदेश्वर पासवान, दिनेश चंद्र द्विवेदी, नंदकिशोर मंडल, लालबाबू मिश्र, शिवशंकर यादव, रंजीत कुमार, राम तपन सिंह, सुबोध कुमार यादव, उपेंद्र प्रसाद कापड़, अधिवक्ता श्रीनिवास कुमार मिश्रा, पवन कुमार चौरसिया समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे. अनुच्छेद को आम जन तक पहुंचाने की जरूरत उधर नगर के श्री लक्ष्मी किशोरी महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया गया. इसकी अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य प्रो वीरेंद्र प्रसाद सिंह ने किया. राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो आनंद किशोर सिंह ने कहा कि मानवाधिकार के बढ़ते महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर को सार्वभौम मानवाधिकारों के 30 अनुच्छेद को आम जन तक पहुंचाने की जरूरत है. कर्तव्य के प्रति सजग रहने की अपीलप्रभारी प्राचार्य ने कहा कि संविधान के नीति निदेशक तत्वों की तरह मानवाधिकार की स्थिति है, जिसको कानूनी जमा पहनाना जरूरी है. पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ मुरारी शरण, प्रो गगन कुमार ने मानवाधिकार के विभिन्न पहलुओं के साथ छात्रों से अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहने की अपील की. मौके पर प्रो आलोक कुमार, प्रो सुरेश राय, छात्र सौरभ आनंद, राज शुभम, सत्यम कुमार, अलका कुमारी, पूजा कुमारी, ज्योति कुमारी समेत अन्य उपस्थित थे. जीने का अधिकार का प्रावधान विस्मयकारीवहीं मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के कार्यालय में ‘बिहार की पीड़ा से जुड़िये’ कार्यक्रम की कड़ी में सामाजिक समरसता विषय पर परिसंवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष इ. राकेश कुमार मिश्र ने की. श्री मिश्र ने कहा कि भारत के संविधान की उदेशिका के अनुच्छेद 14,15,16,17 और 21 में सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक न्याय एवं राजनैतिक समानता के साथ जीने का अधिकार का प्रावधान अत्यंत विस्मयकारी है. मधेसियों के अधिकारों का हननआजादी के 68 वर्षों के बाद और लोकतंत्र के 65 वर्ष बीतने के बाद भी दलित एवं पिछड़ा, अत्यंत पिछड़ा वर्ग तथा गरीब सवर्णों, अल्पसंख्यक समुदाय के 86 फीसदी परिवार आज भी मौलिक अधिकारों से वंचित हैं. मधेसी आंदोलनकारियों को नेपाल में उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है. मौके पर उपेंद्र यादव, महादेव साह, भूषण पांडेय, मो मोहमद्दीन खां, मो जिलानी, प्रमोद कुमार सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
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संविधान में शामिल हो आर्थिक व सामाजिक अधिकार
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