सीतामढ़ीः जिले में गुरुवार की रात से हीं त्याग व बलिदान का महान पर्व मुहर्रम मनाया जा रहा है. शुक्रवार की सुबह में ताजिया जुलूस निकाला गया. निर्धारित अखाड़ा पर ताजिया रख मुसलिम समुदाय के लोगों ने मुहर्रम मनाया. इस दौरान कर्बला की शहिदों की याद में शिया मुसलमानों ने मातम मनाये. हजरत मोहम्मद साहब के नमाज से इमाम हुसैन को यजिदों ने मक्का शरीफ में शहीद कर दिया था.
उन्हीं की याद में 10 वीं मुहर्रम को मुसलमानों ने सीना को धारदार हथियार से चीर कर मातम मनाये. डुमरा प्रखंड के हुसैना में लोगों ने सीना पर ब्लेड से प्रहार कर शरीर को लहु- लूहान कर मातम मनाया. इनमें ताजिम हुसैन, हसनैन अली, शब्बीर अली, हसन राजा, अली राजा, शरवल अली, सज्जाद अली, रिजवान रज्जा व अन्य शामिल थे.
जुम्मा के दिन मुहर्रम
इस बार के पर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि 10 वीं मुहर्रम शुक्रवार यानी जुम्मा के दिन हुई. इस दिन की बड़ी फजीलत है. इसलाम धर्म के अनुसार, इस्लाम में 10 वीं तारिख की एक अलग प्राथमिकता है. हजरत साहब की तौबा 10 वीं तारिख को हीं कबूल हुई थी. यह एक संयोग हीं रहा है कि हजरत इब्राहिम को जिस दिन आग के शोले में डाला गया, उस दिन भी 10 वीं तारिख हीं थी. इसी तारिख को इब्राहिम ने अपने फरजंद की गर्दन पर छुरी चलायी थी. इस तरह इमाम हुसैन की याद में मुसलिम समुदाय के लोगों ने ताजिया व अखाड़ा बना कर गम का पर्व मुहर्रम मनाना शुरू कर दिया.