डुमरा : प्रखंड अंतर्गत एपीएचसी, पकटोला का बूरा हाल है. वह भी कोई एक-दो दिन से नहीं. यह वर्षो से एक नहीं कई समस्याओं से घिरा हुआ है. चिकित्सक हैं, लेकिन जब व्यवस्था ही बदहाल हो तो वे करें तो क्या करें. जैसी व्यवस्था है, चिकित्सक उसी तरह अपनी ड्यूटी भी करते हैं.
सरकार के स्तर से इस एपीएचसी को मिलने वाली सुविधाएं नदारद है. कागजी खानापूर्ति के लिए एक चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति की गयी है. भवन व संसाधन के अभाव में चिकित्सक भी ड्यूटी का कोरम ही पूरा करते हैं. शौक से नहीं, बल्कि उनकी मजबूरी है. यहां न तो पर्याप्त रूम हैं और न अन्य सुविधाएं. एक कमरा है वह भी मरम्मत का इंतजार कर रहा है. छत से प्लास्टर गिर रहे हैं. कमरे के अंदर का हालात मवेशी घर जैसा मालूम होता है. उसी कमरे में एक कोने में बैठ कर चिकित्सक ड्यूटी का कोरम पूरा करते हैं.
* कई भूमिका निभाते हैं चिकित्सक
यहां चिकित्सक डॉ ओंकार नाथ मिश्र प्रतिनियुक्त हैं. वे अकेले कर्मी व कंपाउंडर की भूमिका अदा करते हैं. दवा लाना हो, उसे भंडारित करना हो या मरीजों के बीच वितरण करना हो, यह सब काम डॉ मिश्र ही करते हैं. कहा, समस्या से वरीय अधिकारी को अवगत कराते- कराते थक चुके हैं. नहीं सुनी जाती है.
* तीन पंचायतों की जिम्मेदारी
जिला मुख्यालय से यह एपीएचसी तीन किलोमीटर पर है. इस पर मिश्रौलिया, रसलपुर व कुम्हरा विशनपुर आदि तीन पंचायतों के हजारों लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है. बदतर व्यवस्था व एपीएचसी का हाल देख मरीज यहां आना भी नहीं चाहते.
* क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत पीएचसी डुमरा के प्रभारी डॉ कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि उक्त एपीएचसी के संबंध में सीएस को पत्र के माध्यम से कई बार जानकारी दी जा चुकी है. इधर, सीएस डॉ ओमप्रकाश पंजियार ने बताया कि एपीएचसी से संबंधित काम भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता को कराना है. उन्हें कई बार कहा जा चुका है. कार्रवाई अब तक नदारद है.