सीतामढ़ीः सूचना का अधिकार के तहत मांगी गयी एक सूचना को विद्युत कार्यपालक अभियंता केवी चंद्रा ने यह कह कर अवेदन को लौटा दिया है कि आवेदन के साथ 10 रुपये का नन जूडिशियल स्टांप दिया गया है जो मान्य नहीं है. श्री चंद्रा ने आवेदक को जो जवाबी पत्र भेजा है उसमें इसका उल्लेख नहीं किया है कि नन जूडिशियल स्टांप मान्य नहीं है, यह किसका आदेश है. आवेदक का कहना है कि कार्यपालक अभियंता को अपने जवाबी पत्र में यह स्पष्ट लिखना चाहिए था कि किसके आदेश पर व किस नियम के तहत 10 रुपये का स्टांप मान्य नहीं है.
इसको लेकर जब श्री चंद्रा से बात की गयी तो उनका कहना था कि विभाग का हीं आदेश है कि नन जूडिशियल स्टांप पर सूचना नहीं देनी है. इधर, सूचना का अधिकार कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी सह एसडीसी मुकेश कुमार ने बताया कि अगर कोई आवेदक आवेदन के साथ 10 रुपये का नन जूडिशियल स्टांप देता है तो उस पर भी सूचना देनी है. यह बात अलग है कि यह नियम सेंट्रल विभाग के कार्यालयों पर लागू नहीं होता है, जबकि बिहार सरकार के तमाम विभागों को नन जूडिशियल स्टांप पर भी सूचना देनी है. कहा कि राज्य सरकार के कुछ विभाग के अधिकारी शुल्क की राशि भुनाने में सुविधा के चलते 10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर या बैंक ड्राफ्ट लेना चाहते हैं, जबकि उक्त दोनों के अलावा नन जुडिशियल स्टांप भी लेना है. इसी तरह की बात आरटीआइ एक्टिविस्ट नागेंद्र प्रसाद सिंह ने भी कही है.
क्या है पूरा मामला
डुमरा प्रखंड के बेली गांव के हरिओम शरण नारायण ने 24 अगस्त 13 को आरटीआइ के तहत कार्यपालक अभियंता, विद्युत से सूचना मांगी थी कि मेथौरा पंचायत में जर्जर विद्युत तार के कारण बिजली की आपूर्ति बाधित है. इसके निदान के लिए विभाग के स्तर से कौन सी कार्रवाई की गयी है. इससे पूर्व विभाग को आवेदन दिया गया था और उक्त आवेदन के आलोक में कृत कार्रवाई की जानकारी मांगी गयी थी. करीब आठ माह बाद कार्यपालक अभियंता ने आवेदक को बताया है कि सूचना प्राप्त करने के लिए नगद 10 रुपये या बैंकर्स चेक या पोस्टल ऑर्डर या बैंक ड्राफ्ट ही मान्य है. परंतु उक्त सूचना के लिए आवेदन के साथ नन जूडिशियल स्टांप दिया गया है जो मान्य नहीं है.