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दीपावली के दौरान बरतें आवश्यक सावधानी

सीतामढ़ी . दीपावली को लेकर अग्निशमन विभाग अग्नि सुरक्षा को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली है.पदाधिकारी शशिकांत शर्मा ने बताया कि दीपावली के मद्देनजर अग्नि सुरक्षा को लेकर सभी वाहनों को दुरुस्त कर लिया गया है. वहीं, जिले के विभाग के सभी कर्मियों को अलर्ट रहने की चेतावनी दी गयी है, ताकि किसी भी […]

सीतामढ़ी . दीपावली को लेकर अग्निशमन विभाग अग्नि सुरक्षा को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली है.पदाधिकारी शशिकांत शर्मा ने बताया कि दीपावली के मद्देनजर अग्नि सुरक्षा को लेकर सभी वाहनों को दुरुस्त कर लिया गया है.

वहीं, जिले के विभाग के सभी कर्मियों को अलर्ट रहने की चेतावनी दी गयी है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना के दौरान जल्द से जल्द आग पर काबू पाया जा सके. उन्होंने बताया कि डुमरा अनुमंडल में दो बड़ी और एक छोटी अग्निशामक वाहन है. श्री शर्मा ने अपील करते हुए कहा कि दीपावली हर्षोल्लास का पर्व है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए बच्चों को पटाखा छोड़ने से परहेज करना चाहिए. वहीं अधिक आवाज वाले पटाखे नहीं फोड़ें. दीप को ज्वलनशील पदार्थ के करीब नहीं रखना चाहिए. यदि कहीं भी अगलगी की घटना घटती हैं तो तुरंत अग्निशमन विभाग के 06226250001, 9097570634, 7485805844 नंबर पर कॉल करे.

सीतामढ़ी प्रभात

सीतामढ़ी ्र पांच दिवसीय दीपोत्सव त्योहार के दूसरे दिन बुधवार को जिले भर में छोटी दिवाली के रूप में यम दिवाली मनाया गया.

हजारों महिला व पुरुष श्रद्धालु नरक चतुदर्शी का व्रत रखकर नर्क से मुक्ति के लिए श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की. मान्यता है कि पांच दिवसीय दिवाली का दूसरे दिन मूलत: मृत्यु के देवता यमराज की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन यम के निमित्त श्राद्ध व यम तर्पण का विधान है.

इस दिन चतुदर्शी यम अर्थात यमराज, धर्मराज, मृत्यु, अनंत, वैवस्त, काल, सर्वभूत शयर, औडुंबर, दध्ना, नीलगाय, परमेष्ठी, वृकोदर, पितू व चित्रगुप्त के निमित्त पूजा किया जाता है. साथ ही शाम के समय दक्षिण की ओर मुख कर यम तर्पण व दीप दान किया जाता है.

सीतामढ़ी : आज दिपोत्सव का त्योहार दिवाली मनाया जाएगा. इसकी सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली गयी है. विधि-व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सभी आवश्यक जगहों पर पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस जवानों की तैनाती की गयी है. श्रद्धालुओं की ओर से भी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने को लेकर चारों ओर उत्साह का माहौल व भक्तिमय वातावरण बना हुआ है.

शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में भी सुबह से देर शाम तक लोगों ने जमकर दिवाली की खरीदारी की. शहर में बुधवार को भी करोड़ों रुपये का कारोबार हुआ. बरतन, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिक दुकानों के अलावा सजावट व लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं की खरीदारी के लिए संबंधित दुकानों पर खरीदारों का दिन भर तांता लगा रहा. हर घर, हर दफ्तर व हर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए स्वच्छ बनाकर आकर्षक तरीके से सजाया गया है.

मान्यता है कि भगवान श्री रामचंद्र ने रावण पर विजयी प्राप्त कर कार्तिक कृष्ण पक्ष, अमावस्या को अयोध्या लौटे थे. भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने की खुशी में तमाम अध्योध्यावासियों ने दीप जलाकर श्री राम का स्वागत किया था. तभी से इस दिन दीपोत्सव का त्योहार दिवाली मनाया जाता है.

इस दिन रंग-बिरंगी खूबसूरत प्रकाश जलाकर लक्ष्मी-गणेश का आवाहन किया जाता है तथा खुशियां मनायी जाती है. इस दिन व्यापारी व आम गृहस्थ समेत सभी वर्ग के लोग शुभ लग्न में गंगाजल, फूल, पान, प्रसाद तथा धूप-दीप आदि से श्री लक्ष्मी-गणेश का आवाहन करते हैं. इस दिन गणेश चालीसा तथा लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए. इससे सभी प्रकार के मनोवांछित फलों की प्राप्ती होती है.

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी व दूराचारी असुर नरकासुर का वध किया था तथा देवताओं व ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवायी थी. साथ ही 16 हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त करा कर उन्हें सम्मान प्रदान किया गया था.

इस खुशी में इस दिन दियों की बरात सजायी जाती है. इसी दिन यमराज ने महापराक्रमी व महादानी राजा रंतिदेव की गलती सुधारने के लिए उन्हें जीवनदान देकर नरक के कोप से मुक्ति दिलायी थी. मान्यता है कि इस दिन देव ऋषि नारद ने राजा हिरण्यगभ को उनके कीड़े पड़ चुके सड़े हुए शरीर से मुक्ति का मार्ग बताया था, जिससे राजा हिरण्यगभ को सौंदर्य व स्वास्थ्य प्राप्त हुआ था.

इसी कारण इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में शरीर पर चंदन का लेप लगाकर तिल मिले जल से स्नान करने का महत्व है. इस दिन यमराज, श्रीकृष्ण व महाकाली की विशेष रूप से पूजन की जाती है. ऐसा करने से साधक को नर्क से मुक्ति मिलती है तथा लंबे समय तक जवानी व खुशहाली कायम रहती है.

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