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जिले में मवेशीपालकों की परेशानी बढ़ी

चिकित्सकों के अभाव में पशुओं को रोगों से सुरक्षा करने एवं उपचार करने की योजना पर भी ग्रहण लगने लगा है. जिले के पशु अस्पतालों का दारोमदार वहां तैनात अधिकांशत: चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों पर है. प्रत्येक अस्पताल में सालाना दवा पर खर्च हो रहे 80 से 90 हजार रुपये शेखपुरा : जिले में मवेशी चिकित्सा […]

चिकित्सकों के अभाव में पशुओं को रोगों से सुरक्षा करने एवं उपचार करने की योजना पर भी ग्रहण लगने लगा है. जिले के पशु अस्पतालों का दारोमदार वहां तैनात अधिकांशत: चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों पर है.

प्रत्येक अस्पताल में सालाना दवा पर खर्च हो रहे 80 से 90 हजार रुपये
शेखपुरा : जिले में मवेशी चिकित्सा भगवान भरोसे हो गयी है. यह स्थिति संविदा पर आधारित 11 चिकित्सकों का अनुबंध अवधि समाप्त होने के कारण हो गयी है. चिकित्सकों के अभाव में पशुओं को रोगों से सुरक्षा करने एवं उपचार करने की योजना पर भी ग्रहण लगने लगा है. जिले के पशु अस्पतालों का दारोमदार वहां तैनात अधिकांशत: चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों पर है.
वैसे में अस्पतालों की लचर व्यवस्था के कारण मवेशी पालकों को ग्रामीण पशु चिकित्सकों के सहारे ही बीमार मवेशियों का उपचार कराने को विवश है. जिले में सन 2012 में 19 वीं पशु गणना के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तब यहां सभी 01 लाख 06 हजार गाय एवं भैंस है. इन मवेशियों को उपचार सेवा से लाभान्वित करने के लिए प्रथम वर्गीय अस्पताल के अलावे यहां एंबुलेटरी पशु चिकित्सा की व्यवस्था है, जो गांव-गांव घुम कर बीमार मवेशियों का उपचार करते हैं. पिछले फरवरी माह में एंबुलेटरी चिकित्सा के जरिये 992 जबकि अस्पतालों के जरिये 3773 बीमार पशुओं को चिकित्सा लाभ दिये जाने का दावा किया जा रहा है. जिले में पशु चिकित्सकों की कमी को लेकर मवेशी पालकों में आक्रोश है.
क्या है योजना : जिले के एक लाख 06 हजार मवेशी पालकों के लिए सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं है. इन योजनाओं में एंबुलेटरी चिकित्सा सेवा के जरिये गांवों में चिकित्सा एवं मुफ्त दवा, खुरहा बीमारी से बचाव का व्यापक टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान समेत अन्य चिकित्सा लाभ की योजना चलायी जाती है. परंतु मैन पावर की कमी एवं व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में सरकार की योजनाएं अब दम तोड़ती नजर आ रही है.
बीपलएल परिवारों को मिलेंगे चूजे :
जिले के गरीबी रेखा के नीचे बसर करने वाले परिवारों को विभाग के द्वारा अनुदानित दर पर चूजा वितरण किया जायेगा. इस योजना को लेकर अरियरी प्रखंड के 60 परिवारों को चिन्हित कराया गया है. आगामी 08 मार्च को शिविर लगा कर कृषकों को लाभान्वित किया जायेगा. इस दौरान चूजा के लिए प्रत्येक लाभुक से प्रति चूजा दस-दस रुपये विभाग के द्वारा वसूली की जायेगी. चूजा वितरण को लेकर अधिकारियों ने बताया कि भागलपुर प्रक्षेत्र में आने वाले चूजे की मांग से काफी भागलपुर प्रक्षेत्र से आने वाले चूजे की मांग से काफी कम आपूर्ति के कारण इस योजना को वृहत पैमाने पर विस्तार नहीं किया जा रहा है.

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