शिवहर की राजनीति पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी जिलों से भी प्रभावित होती है
जयप्रकाश सिंह
शिवहर : शिवहर लोकसभा क्षेत्र का भूगोल जितना जटिल है, उतना ही यहां की राजनीति भी है. यहां की राजनीति अगल-बगल के जिलों – पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी से भी प्रभावित होती है. पूर्वी चंपारण के तीन और सीतामढ़ी के दो विधानसभा क्षेत्र शिवहर लोकसभा क्षेत्र में आते हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में 18 प्रत्याशी यहां से मैदान में हैं. मतदान 12 मई को होनेवाला है. भाजपा ने सांसद रमा देवी को तीसरी बार यहां से उतारा है, जबकि राजद ने उनके मुकाबले में सैयद फैसल अली को प्रत्याशी बनाया है. पेशे से पत्रकार रहे फैसल अली गया जिले के मूल निवासी हैं.
शिवहर क्षेत्र के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से यहां की राजनीति तेजी से बदली है. राजद से नाराज चल रहे लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप ने यहां से अंगेश सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. अंगेश ने लालू-राबड़ी मोर्चा के प्रत्याशी के रूप में नामांकन भी दाखिल किया, लेकिन तकनीकी कारणों से उनका नामांकन रद्द हो गया. दूसरी तरफ, पूर्व सांसद लवली आनंद हाल ही में एनडीए के समर्थन में उतर गयी हैं.
पूर्व विधायक ठाकुर रत्नाकर राणा की भाजपा में हाल में वापसी हो चुकी है. इन घटनाक्रमों से एनडीए प्रत्याशी रमा देवी को राहत मिली है. शिवहर में राजपूत मत निर्णायक माने जाते हैं. इसलिए सभी प्रत्याशियों का जोर इसी वोट बैंक को अपने पक्ष में समेटने का है. महागठबंधन ने क्षेत्र के पिछड़ापन को मुद्दा बनाया है, तो एनडीए मोदी सरकार की उपलब्धियां गिना रहा. हालांकि विकास से कहीं ज्यादा
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमा देवी ने अपने निकटतम प्रत्याशी राष्ट्रीय जनता दल के मोहम्मद अनवारुल हक को एक लाख 36 हजार 239 मतों से पराजित किया था. इसके पहले 2009 के चुनाव में रमा देवी की जीत का अंतर एक लाख 25 हजार मत रहा था. इस बार भी रमा देवी को अपने परंपरागत वैश्य मतों के अलावा सवर्ण मतों पर भरोसा है. दूसरी तरफ, राजद प्रत्याशी मुसलिम–यादव समीकरण को गोलबंद करने में जुटे हैं.
राजनेताओं ने देश, दुनिया में लहराया परचम
शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी और सहकारी आंदोलन के जनक ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जैसी शख्सियतों ने भी की है.
1951-52 के पहले आम चुनाव में मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट के इस सीट से 1953 में कांग्रेस के टिकट पर स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा में पहुंचे. वहीं, 1957 के चुनाव में यह पुपरी लोकसभा क्षेत्र था. 1957 में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह, 1962 में राम दुलारी सिन्हा, 1967 में एसपी साहू और 1971 में हरि किशोर सिंह जीते. इसके बाद इस संसदीय सीट का नाम शिवहर हो गया. 1977 में जनता पार्टी के ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने यहां से कांग्रेस प्रत्याशी को शिकस्त दी, लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं.
जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरि किशोर सिंह चुनाव जीते. इसके बाद शिवहर क्षेत्र से आनंद मोहन ने 1996 के चुनाव में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और फिर 1998 में ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर दूसरी बार जीते. 1999 में राजद के मोहम्मद अनवारुल हक ने जीत हासिल की. 2004 के चुनाव में भी आरजेडी के सीताराम सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की.
शिवहर लोस क्षेत्र में चंपारण के तीन विस क्षेत्र
मोतिहारी : तीन नदियों से घिरे शिवहर लोकसभा क्षेत्र की अजीब बनावट है. 1977 में बने शिवहर लोकसभा में पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) के ढाका और घोड़ासहन, सीतामढ़ी के मेजरगंज (बैरगनिया) और बेलसंड को मिलाकर नये लोकसभा का गठन हुआ. सीतामढ़ी और शिवहर की पूर्वी चंपारण से विभाजक बनी लालबकेया और बागमती नदी. फिर मोतिहारी लोस से ढाका, घोड़ासहन और अब मधुबन के लिए विभागज बनी बूढ़ी गंडक नदी. 2009 के परिसीमन में शिवहर लोस में मोतिहारी लोस के मधुबन विधानसभा को शामिल किया गया और सीतामढ़ी के मेजरगंज का नाम बदल कर रीगा कर दिया गया, जिसका कुछ भाग सीतामढ़ी से जुड़ा.
अधूरी पड़ी हैं कई योजनाएं
शिवहर जिले में कई योजनाएं अधूरी पड़ी हैं. रेल को लेकर शिवहर के लोग आज भी आस लगाये बैठे हैं. अदौरी खोरी पाकर पुल निर्माण की मांग पूरी नहीं हुई और बेलवा डैम निर्माण का योजना लंबित है. शिवहर-सीतामढ़ी एनएच 104 पथ का निर्माण कार्य अधूरा है.
4 विस सीट पर एनडीए
शिवहर लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की छह सीटें आती हैं- मधुबन, चिरैया, ढाका, शिवहर, रीगा और बेलसंड. चार सीटों पर एनडीए का कब्जा है जबकि दो सीट महागठबंधन के कब्जे में है.