नगरा : अभी तो यह अप्रैल माह की झांकी है. जून-जुलाई बाकी है. गरमी की शुरुआत होते ही क्षेत्र में पेयजल का संकट मंडराने लगा है. क्षेत्र के नगरा, कादीपुर, अफौर, बन्नी, तुजारपुर, महमदपत्ति, डुमरी, धूपनगर धोबवल, बंगरा सहित कई गांवों में नलकूपों ने पानी देना बंद कर दिया है, जिससे क्षेत्र के लोग काफी चिंतित हैं.
क्षेत्र के मदन भगत, मोहन कुमार, तैयब अली, डॉ युसूफ, ओम प्रकाश, भोला राय, तेरस साह, जमाल अख्तर, अंसार आलम, हातिम अली, रंजीत कुमार, संतोष कुमार, लक्ष्मण प्रसाद, हीरा साह, शैलेश कुमार, मोख्तार आलम, लालबाबु महतो, ललन प्रसाद, मुशा अली, जीतेंद्र सिंह, दीपक कुमार, विकास कुमार, मोबिन आलम, राजा, कुतुबुद्दीन अली सहित सभी को यही चिंता सता रही है कि अभी तो किसी तरह काम चल जा रहा है. अभी तो अप्रैल का महीना है,
लेकिन जब जून-जुलाई में गरमी चरम पर होगी, उस समय क्या होगा. क्षेत्र में लगे अधिकतर सरकारी नलकूप भी देख-रेख के बिना खराब पड़े हैं, जिसकी सुध लेनेवाला कोई भी संबंधित अधिकारी या कर्मचारी नहीं आता. लाखों की लागत से बनी जलमीनार भी अधिकारियों की लापरवाही का दंश झेल रही है. जलमीनार नगरा बाजार में शोभा की वस्तु बनी है. इनसान के साथ पशु-पक्षी भी पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. आहर, पोखर तो कब के सूख गये हैं.
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि अगर पानी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हुई, तो वो दिन दूर नहीं है कि क्षेत्र क्या पूरा देश जल संकट से त्राहिमाम कर उठेगा. जल संग्रह करने के लिए सरकार के द्वारा तरह-तरह का प्रचार-प्रसार तो किया जाता है अौर किया जा रहा है, लेकिन क्षेत्र के अाहर-पोखर को दबंगों द्वारा भर कर खेत बना लिया गया है, जिससे जल संग्रह नहीं हो रहा है और बरसात के मौसम में अधिकतर पानी बेकार हो जाता है.