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अधिक ब्याज के फेर में डूबे रुपये

एसपी ने थानेदारों को दिया कंपनियों की शाखाओं के कार्यकलापों की जांच का आदेश छपरा(सारण) : नॉन बैंकिंग तथा चिट फंड कंपनियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक तथा सेबी के नियमों के खिलाफ जिले में चलाये जा रहे वित्तीय लेन-देन के कारोबार के कारण आये दिन निवेशक धोखाधड़ी व ठगी के शिकार हो रहे हैं. इस […]

एसपी ने थानेदारों को दिया कंपनियों की शाखाओं के कार्यकलापों की जांच का आदेश
छपरा(सारण) : नॉन बैंकिंग तथा चिट फंड कंपनियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक तथा सेबी के नियमों के खिलाफ जिले में चलाये जा रहे वित्तीय लेन-देन के कारोबार के कारण आये दिन निवेशक धोखाधड़ी व ठगी के शिकार हो रहे हैं. इस पर रोक के लिए एसपी ने सभी थानाध्यक्षों और डीएम ने सभी सीओ को कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिये हैं. समाहरणालय में नॉन बैंकिंग कंपनियों से जुड़े मामलों की जांच के लिए अलग से कोषांग भी गठित है. बावजूद इसके कम समय में अधिक ब्याज देने का प्रलोभन देकर कंपनियों द्वारा की जा रही ठगी का धंधा फल-फूल रहा है.
इसे कहते हैं गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां : गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की परिसंपत्तियों का आकार पिछले लेखा परीक्षा किये गये तुलनापत्र के अनुसार 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक होना चाहिए. इस प्रकार से वर्गीकरण किये जाने के लिए तर्क यह है कि इन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गतिविधियों का हमारे देश की वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ेगा.
निवेश के पहले कंपनियों की करें जांच : एनबीएफसी भारतीय रिजर्व बैंक के पास पंजीकृत है या नहीं और जमा राशि स्वीकार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विशेषरूप से प्राधिकृत किया गया है़ इसकी जांच राशि निवेश करने के पहले निवेशकों को करना चाहिए. इसके लिए प्राधिकृत एनबीएफसी की सूची डब्लूडब्लूडब्लू डाट आरबीआइ डाट ओआरजी डाट इन पर उपलब्ध है.
क्या है नियम
– कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत हो
– इसका मुख्य कारोबार उधार देना, विभिन्न प्रकार के शेयरों/स्टॉक/ बांड्स/ डिबेंचरों/प्रतिभूतियों, पट्टा कारोबार, किराया-खरीद(हायर-पर्चेज), बीमा कारोबार, चिट संबंधी कारोबार में निवेश करना
– इसका मुख्य कारोबार किसी योजना अथवा व्यवस्था के अंतर्गत एकमुश्त रूप से अथवा किस्तों में जमा राशियां प्राप्त करना है.
– किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी में ऐसी कोई संस्था शामिल नहीं है
– मुख्य कारोबार कृषि, औद्योगिक, व्यापार संबंधी गतिविधियां हैं अथवा अचल संपत्ति का विक्रय,क्रय,निर्माण करना है
– भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 आइ (सी) एक महत्वपूर्ण पहलू है जो ध्यान में रखा जाना है
– धारा 45 आइ (सी) में किये गये उल्लेख के अनुसार ऋण,अग्रिमों से संबंधित गतिविधियां स्वयं की गतिविधि से इतर की गतिविधियां हों. यदि यह प्रावधान न होता तो समस्त कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां होतीं

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