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छात्रवृत्ति डकार गये लश्कारा के एचएम

गड़बड़ी. फर्जी हस्ताक्षर कर 2.94 लाख की निकासी अधिकारी व बैंक की संलिप्तता से नहीं किया जा सकता है इनकार मोरवा : मोरवा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लश्कारा में सचिव के फर्जी हस्ताक्षर कर एचएम द्वारा 2 लाख 94 हजार की निकासी का मामला प्रकाश में आया है. राशि छात्रवृत्ति और विकास की बतायी […]

गड़बड़ी. फर्जी हस्ताक्षर कर 2.94 लाख की निकासी

अधिकारी व बैंक की संलिप्तता से नहीं किया जा सकता है इनकार
मोरवा : मोरवा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लश्कारा में सचिव के फर्जी हस्ताक्षर कर एचएम द्वारा 2 लाख 94 हजार की निकासी का मामला प्रकाश में आया है. राशि छात्रवृत्ति और विकास की बतायी जाती है और इसे एचएम द्वारा निजी काम में खर्च करने की बात बतायी जा रही है. निकासी के तीन महीना बाद भी अधिकारी इस तरफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाये हैं और छात्रवृत्ति की राशि से बच्चों को वंचित होना पड़ रहा है. बैंक के क्रियाकलाप पर लोगों की ऊंगली उठने लगी है कि 12 चेकों के माध्यम से फर्जी हस्ताक्षर के सहारे निकासी होती रही और बैंक कर्मी को इसकी भनक तक नहीं लगी.
शिकायत मिलने के बाद भी प्रखंड स्तर से कोई कार्रवाई अबतक नहीं की गयी है. पहले तो लोगाें ने इसे लीपापोती कर एचएम पर राशि जमा करने का दबाव बनाया लेकिन अब तक न राशि जमा हुई और न ही विभाग किसी नतीजे पर पहुंच सका. इस बाबत प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ईश्वरचंद्र सिंह ने बताया कि उक्त विद्यालय के एचएम महेंद्र राम के द्वारा भारतीय स्टेट बैंक के मोरवा ताजपुर शाखा से सचिव उषा देवी के फर्जी हस्ताक्षर से 12 चेकों के माध्यम से छात्रवृत्ति मद के 2 लाख 82 हजार तथा विकास मद के 12 हजार की राशि निकले जाने की जानकारी मिली है.
स्थानीय लोंगों द्वारा इस मामले को रफा दफा कर राशि को जमा करने की तिथि 7 अक्टूबर निर्धारित करने की बात बतायी गयी बावजूद इसके अब तक राशि न तो जमा की गयी और न ही बच्चों को छात्रवृति का लाभ मिला. इस बावत अधिकारी का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है और शीघ्र ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा.
मामले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए प्रमुख स्मिता शर्मा ने कहा है कि मामला बेहद गंभीर है और उसपर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई होनी चाहिए. मुखिया मधु देवी का कहना है कि विद्यालय मद की राशि का दुरूपयोग करना सरासर अन्याय है और इसके लिए विभाग को कड़ा कदम उठाना चाहिए.
इस मामले में जिस तरह से आंख मूंद कर बैंककर्मियों के द्वारा लगातार भुगतान दिया जाता रहा यह कई सवाल खडा कर रहा है. सूत्रों की माने तो हस्ताक्षर यार्ड और चेक पर किये गये जाली हस्ताक्षर में भरी अंतर दिखाई दे रहा है बावजूद इसके 30 जून 2016 से लगातार विभिन्न तारीखों को भुगतान किया गया और किसी ने इस तरफ ध्यान तक नहीं दिया.
जिस तरह से भुगतान की प्रक्रिया पूरी की गयी वह बैंकिंग प्रणाली पर कई सवाल खड़ा कर रहा है. बैंक कर्मियों से संपर्क करने पर बताया गया कि राशि वापस करवाने के प्रयास किये जा रहे हैं. राशि वापस नहीं होने की सूरत में अन्य प्रक्रिया अपनायी जा सकती है.

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