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हाजिरी बना लौट जाते हैं बच्चे
मोहनपुर : प्रत्येक प्रखंड में सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक आदर्श संकुल घोषित है. मोहनपुर प्रखंड में भी यह सम्मान उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दशहरा को प्राप्त है. परंतु सिर्फ नाम का ही आदर्श संकुल. न उपयुक्त कमरे, न आवश्यक सुविधाएं. जिले में आदर्श संकुलों की होनेवाली बैठकों में इसके संचालक और समन्वयकों को बुलाया […]
मोहनपुर : प्रत्येक प्रखंड में सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक आदर्श संकुल घोषित है. मोहनपुर प्रखंड में भी यह सम्मान उत्क्रमित मध्य विद्यालय, दशहरा को प्राप्त है. परंतु सिर्फ नाम का ही आदर्श संकुल. न उपयुक्त कमरे, न आवश्यक सुविधाएं.
जिले में आदर्श संकुलों की होनेवाली बैठकों में इसके संचालक और समन्वयकों को बुलाया जाता है. इनकी प्रशस्ति में पंजियां भरी जाती है और योजनाएं बनायी जाती है. परंतु यह सब सिर्फ कागजों पर ही सिमटी हुई है. सच्चाई कुछ और ही है.
यह संकुल जिस विद्यालय में चलता है, उसके पास अपना रसोई घर तक नहीं. मध्याह्न् भोजन योजना का भोजन एक कमरे में बनाया जाता है. कालिख से भरा हुआ वह कमरा अलग ही दृश्य बयां करता है. गोलघर में मध्याह्न् भोजन का खाद्यान्न, कुर्सियां और अन्य समान बेतरतीब फैले हुए हैं. उसी में प्रधानाध्यापक एवं पांच अन्य अध्यापकों का सदन भी है. छात्रों की संख्या सात सौ से ऊपर. चार कमरों में आठ वर्गो की पढ़ाई होती है. बरामदे व कमरों में बच्चे इस तरह ठूंसे रहते हैं कि दिन भर वर्ग-व्यवस्था संभालते ही वक्त बीत जाता है. निचले वर्ग के छात्रों को प्राय: उपस्थिति लेने के बाद छुट्टी दे दी जाती है.
ये बच्चे मध्याह्न् भोजन के समय पुन: प्रकट हो जाते हैं. सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी विद्यालयों को मिलने वाली भवन-निर्माण की राशि इस विद्यालय को मिली. वर्षो पूर्व विद्यालय के पिछवाड़े में खाली पड़ी जमीन में भवन निर्माण का कार्य आरंभ भी हुआ. पर पूरा नहीं हो सका. भवन निर्माण आरंभ करवाने वाले तत्कालीन प्रभारी प्रधानाध्यापक महीनों तक बगैर सूचना एवं प्रभार हस्तांतरण किये विद्यालय से फरार रहे.
शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इन्वेंट्री प्रभार हस्तांतरण कराया गया.तत्कालीन प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार सिन्हा लंबी छुट्टियां बिताने के बाद लौटे, पर आज तक उनसे काम लेने की कार्रवाई आरंभ नहीं हुई. प्रमोद कुमार सिन्हा की अनुपस्थिति के कारण उनसे नीचे की वरीय शिक्षिका इंदिरा कुमारी को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया. परंतु विद्यालय के सभी कार्य संभाल लेने के बावजूद वह आज तक अधूरे पड़े भवन-निर्माण कार्य पूरा नहीं करवा सकी.
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