समस्तीपुर : जिले में अकीदत के साथ दो सितंबर को ईद उल जोहा यानि बकरीद का त्योहार मनाया जायेगा. त्याग कुर्बानी के प्रतीक के रूप में मनाये जाने वाले इस त्योहार में व्यवधान उत्पन्न न हो इसके लिए कड़े निर्देंश दिये गये हैं. बकरीद के त्योहार को लेकर जिला प्रशासन काफी चौकसी बरत रहा है. पूरे सौहार्द व शांतिपूर्ण माहौल में ईद उल जोहा बकरीद का त्योहार संपन्न कराने को लेकर जगह-जगह पर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस बल की तैनाती की गयी है.
साथ ही उन्हें पूरी तरह से चौकस रहने का निर्देश दिया गया है. साथ ही अनुमंडल व जिला स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना की गयी है. डीएम प्रणव कुमार ने सभी मजिस्ट्रेट व पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने प्रतिनियुक्ति स्थल पर पूरी तरह से चौकस रहें व हर परिस्थिति पर नजर बनाये रखें. उन्होंने कहा कि इस कार्य में किसी भी तरह की कोताही बरतने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी. वही एसपी दीपक रंजन ने कहा कि वर्तमान दौर में अफवाहें बड़ी तेजी के साथ फैलती हैं.
उन्होंने सभी थानाध्यक्षों व एसडीपीओ को अपने क्षेत्र लगातार भ्रमणशील रहने का निर्देश दिया. एसपी ने आम लोगों से किसी भी तरह के अफवाह पर ध्यान न देने तथा इसकी सूचना अविलंब प्रशासन को देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि किसी को भी विधि-व्यवस्था में व्यवधान डालने की इजाजत नहीं दी जायेगी. शरारती तत्वों के साथ सख्ती से निपटा जायेगा. बताते चलें कि 194 दंडाधिकारी, 194 पुलिस पदाधिकारी के अतिरिक्त सशस्त्र बल और पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गयी है.
बाजार में उमड़ी भीड़, जमकर हुई खरीदारी : शहर की ईदगाह-मसजिदों में ईद-उल-फितर की नमाज का वक्त तय हो गया है. बकरीद की नमाज को लेकर शुक्रवार को ईदगाह और मसजिदों की रंगाई व पुताई और सफाई का काम किया गया. इसके साथ ही रास्तों को भी दुरुस्त किया गया. बकरीद पर लोगों ने जमकर खरीदारी की. शहर की दुकानों पर सेवई के सबसे ज्यादा खरीदार जुटे थे. इसके साथ ही फल और ड्राई फ्रूट भी खूब बिके. कपड़े की दुकानों पर भी काफी भीड़ रही. बकरीद की नमाज के लिए कुर्ता-पैजामा और टोपी की खरीदारी भी हुई. कुर्बानी के लिए लोगों को बकरे से ज्यादा दूम्बे पसंद आ रहे हैं. शहर की बकरा मंडी में दूम्बों की भी खूब बिक्री हुई. कुर्बानी के लिए 50-50 हजार रुपये के चार दूम्बे खरीदें.
बकरीद महीने का है विशेष महत्व
शिक्षक शाह जफर इमाम बताते है कि इस्लामी कलेंडर के अनुसार जिलहिजजा यानी साल का अंतिम महीना होता है. इस महीने का अपना एक अलग ही महत्व है. रमजानुल मुबारक के महीने के बाद फजीलत में इसी महीने का दर्जा आता है. इस महीने में यह आला ऊंचा दर्जा इसमें किये जाने वाले मुख्य कार्य के कारण आया है. वर्ना कोई भी महीना या दिन स्वयं न तो पवित्र होता है और न ही खराब. इस महीने के कुछ खास काम हैं जो दूसरे महीने में नहीं किए जाते हैं. खासकर इस माह के शुरू के दस दिन की कुरआन व हदीस में बड़ी फजीलत आयी है. इस पवित्र माह की अन्य इबादतों में एक मुख्य इबादत कुर्बानी है जो हजरत इब्राहिम और हजरत इस्माइल की यादगार है.
नमाज का समय
ईदगाह समय
जामा मसजिद गोल रोड सुबह 7:45
रामनगर सुबह 7:15
बेगमपुर ईदगाह सुबह 7:30
शाही ईदगाह बेगमपुर सुबह 7:30
सतमलपुर ईदगाह सुबह 7:30