बाढ़ का कहर. स्लुइस गेट बंद होने से बढ़ी लोगों की समस्या
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बजबजाये शहर के गली-मोहल्ले
बाढ़ का कहर. स्लुइस गेट बंद होने से बढ़ी लोगों की समस्या गेट खुलने के बाद कई मोहल्लों को जलजमाव से मिलेगी राहत समस्तीपुर : शहर से गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी के जल स्तर में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए एक सप्ताह पूर्व जिला प्रशासन ने स्लुइस गेट बंद कर दिया था. […]
गेट खुलने के बाद कई मोहल्लों को जलजमाव से मिलेगी राहत
समस्तीपुर : शहर से गुजरने वाली बूढ़ी गंडक नदी के जल स्तर में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए एक सप्ताह पूर्व जिला प्रशासन ने स्लुइस गेट बंद कर दिया था. अब स्थिति यह है कि शहर के विभिन्न हिस्सों में बने नाले ओवरफ्लो होकर सड़क पर बहने लगे हैं. वही नाला के गंदे पानी से दुर्गंध निकलने से लोग परेशान हैं. शुक्रवार को घोषलेन स्थित डीइओ कार्यालय परिसर में नाले का पानी घुसने से जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. स्लुइस गेट खुलने के बाद कई मोहल्लों को जलजमाव से राहत मिलेगी. इधर वार्ड 1, 2, 3 व 9 के लोग भी जल जमाव से त्रस्त हैं. सबसे ज्यादा परेशानी आर्यसमाज रोड, गणेश चौक,
गोला रोड व गुदरी बाजार के लोगों व व्यवसायियों को हो रही है.
पंप सेट से जलनिकासी के बाद भी समस्या बरकरार ़ वही मगरदही घाट के आसपास बसे इलाकों में पंप सेट के द्वारा जल निकासी की व्यवस्था करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुयी है. इस संबंध में पूछने पर सिटी मैनेजर अरविंद कुमार का कहना है कि नदी के जल स्तर में कमी होने के बाद ही स्लुइस गेट खोलने पर विचार विमर्श किया जायेगा. फिलहाल पंप सेट के द्वारा पानी निकासी की व्यवस्था की गयी है. बूढ़ी गंडक में अचानक पानी बढ़ने से शहर में जल-जमाव की समस्या बढ़ गई थी. इसको देखते हुए स्लुइस गेटों के पास से पानी निकासी के लिए पंपिंग सेट लगा पानी को बूढ़ी गंडक में ही छोड़ा जा रहा है.
समस्तीपुर : उत्तर बिहार के तराई व मैदानी इलाकों में इस सप्ताह हल्की बारिश हो सकती है. डाॅ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय ने मौसम पूर्वानुमान में बताया है कि इस दौरान आसमान में हल्के बादल छाये रहेंगे. इस दौरान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान बना रहेगा. 5 से 10 किलोमीटर प्रति घंटे से पुरवा हवा बहेगी.
मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों के लिये समसामयिक सुझाव जारी करते हुए कहा कि इस दौरान फूलगोभी की अगहनी, पूसी, पटना मेन, पूसा सिन्थेटिक 1, पूसा शुभ्रा, पूसा शरद, पूसा मेघना आदि किस्मों की बुआई करें.
ऊंचास जमीन में अरहर की बुआई करते समय प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फुर, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर का व्यवहार करें. बाल निकलने की अवस्था में जो मक्का की फसल आ गयी हो उसमें 30 किलोग्राम नेत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से उपरिवेशन करें. धान की खड़ी फसल में कहीं-कहीं खैरा बीमारी दिखाई पड़ने पर खेतों में जिंक सल्फेट पांच किलोग्राम तथा 2़5 किलोग्राम बुझा चूना का 500 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें. कीट का प्रकोप दिखाई देने पर बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का तीन मीली़ प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर छिड़काव करें.
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