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जयकारे के साथ कात्यायनी स्थान पहुंचती रही भीड़

जयकारे के साथ कात्यायनी स्थान पहुंचती रही भीड़ पूजा-अर्चना के बाद लगता रहा दही-चूड़ा का भोगप्रतिनिधि4सिमरी नगरचैत्र नवरात्र की शुरुआत के मौके पर शुक्रवार से कलश स्थापना के साथ ही धमारा घाट स्थित मां कात्यायनी मंदिर मे भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. शुक्रवार को सुबह से शाम तक सहरसा और खगड़िया दोनों तरफ के विभिन्न […]

जयकारे के साथ कात्यायनी स्थान पहुंचती रही भीड़ पूजा-अर्चना के बाद लगता रहा दही-चूड़ा का भोगप्रतिनिधि4सिमरी नगरचैत्र नवरात्र की शुरुआत के मौके पर शुक्रवार से कलश स्थापना के साथ ही धमारा घाट स्थित मां कात्यायनी मंदिर मे भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. शुक्रवार को सुबह से शाम तक सहरसा और खगड़िया दोनों तरफ के विभिन्न ट्रेनों से भक्तों की टोली मां कात्यायनी की जयकारे के साथ धमारा घाट पहुंचती रही. वहीं मंदिर में तय मुहूर्त मे आचार्य राजेन्द्र भगत और पंडित मणिकांत झाने मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना की. इधर, शुक्रवार को दिन भर मंदिर में पूजा और प्रसाद रूपी दही-चुड़ा का दौर चलतारहा. वहीं दिन भर भक्तों के धमारा पहुंचने से धमारा घाट स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ पूरे दिन बनी रही. मंदिर का इतिहासदिल्ली के महरौली से आये सेंगर वंश के राजा मंगल सिंह को मुगल बादशाह अकबर ने 1595 मे चौथम तहसील देकर मुरार शाही की उपाधि से नवाजा था. राजा व उनके मित्र श्रीपत जी महाराज को यह पवित्र स्थल शिकार व गौ चराने के क्रम मे मिला. किंवदंती है कि श्रीपत जी महाराज हजारो गाय-भैंसों के मालिक थे. चरने के क्रम मे उक्त स्थल पर गाय स्वत: दूध देने लगती थी. जिसे देखकर दोनों को आश्च›र्य होता था.स्वप्न मे मां ने दिया था आदेशलोगों का कहना है कि राजा को मां ने स्वप्न मे दर्शन देकर वहां मन्दिर बनाने का आदेश दिया था. इसी पर दोनों ने उक्त स्थान पर मन्दिर का निर्माण करवाया. खुदाई के क्रम मे उस स्थान से मां का हाथ मिला. जिसका पूजन आज भी किया जा रहा है. मां कात्यायनी की पूजा के बाद यहां आज श्रीपत जी महाराज की भी पूजा की जाती है. इस इलाके के लोकगीतों में भी राजा मंगल सिंह और श्रीपत जी की चर्चा होती है.लोगों की मान्यतायेंमंदिर के पंडित मणिकांत झा बताते है कि लोगों को शारीरिक कष्ट एवं पशुओं (गाय, भैंस, बकरी) के रोगों के निवारण के लिए श्रद्धालु मां कात्यायनी से याचना करते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर मां को दूध का चढ़ावा चढ़ाते हैं. रास्ते मे घंटों समय लगने के बावजूद चढ़ावा का दूध जमता या फटता नही है. मां कात्यायनी धार्मिक न्यास समिति के सदस्य कैलाश प्रसाद वर्मा और कोषाध्यक्ष चन्देश्वरी राम बताते हैं कि अन्य शक्तिपीठों की तरह इस शक्तिपीठ की भी काफी महत्ता है. इस नवरात्रि मां के छठे रूपमां कात्यायनी की बड़े पैमाने पर पूजा होगी और दिन भर भजन कीर्तन का कार्यक्रम कराया जायेगा.फोटो- दुर्गा 10 व 11- मंदिर मे पूजा करते श्रद्धालु व धमारा घाट स्टेशन पर लगी यात्रियों की भीड़

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