ताजिया जुलूस के दौरान उपद्रवियों पर रहेगी प्रशासन की नजर सदर थाना में आयोजित हुई शांति समिति की बैठकसहरसा सिटी मंगलवार को सदर थाना परिसर में सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सुबोध विश्वास की अध्यक्षता में मुहर्रम शांति समिति की बैठक हुई. सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह द्वारा सबसे पहले मुख्यालय के विभिन्न मुहल्लों से ताजिया कमेटी द्वारा दिये गये आवेदनों का विस्तृत विवरण समिति के सदस्यों को दिया गया. थानाध्यक्ष ने बताया कि ताजिया व मेला स्थल पर पुलिस बलों की तैनाती रहेगी. बैठक में मौजूद एसडीपीओ श्री विश्वास ने कहा कि पर्व के दौरान उपद्रव फैलाने वाले को बख्शा नहीं जायेगा. उन्होंने लोगों से सहयोग की अपील की. दर्जनों जगहों पर जुटेगा ताजियालोगों ने कहा कि जिले में हिंदु व मुसलिम समुदाय के लोग मिलकर मुहर्रम का पर्व मनाते हैं. आने वाले समय में भी लोग सद्भाव को कायम रखेंगे. बटराहा, सहरसा बस्ती, मीर टोला व नरियार सहित शहर के कई जगहों पर दर्जनों की संख्या में ताजिया का निर्माण होता है. जहां पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की आवश्यकता है. मौजूद लोगों ने कहा कि हमेशा से यहां सभी संप्रदाय के लोगों ने एक दूसरे के पर्व त्योहारों में शामिल होकर अपनी विशेषता का परिचय दिया है. मुर्हरम में भी यह नजर आयेगा. मुहर्रम के दौरान सभी चौक-चौराहों पर नशे की हालत में उपद्रव फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. सभी ताजिया स्थलों सहित मार्गों पर प्रशासन मुस्तैदी से अपना काम करे, जनता का पूरा सहयोग मिलेगा. मालूम हो कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों जगहों पर ताजिया का निर्माण होता है जिसमें सभी संप्रदाय के लोगों का सहयोग रहता है. बैठक में मो हयात खान, मो रहमत अली, मो कलाम, मो चुन्ना, मो फारूक, मो ाफा, मो डोमी, मो हबीब, मो आलीम, मो इस्माइल, मो टिंकु , मो गुलनियाज सहित अन्य मौजूद थे. फोटो- शांति 4 – बैठक में लोगों की राय सुनते पुलिस अधिकारीसजदे में अपने सर को कटाया था हुसैन नेशहादत के गम में मनाया जाता है मुहर्रम मुर्हरम 24 को सहरसा सिटीमुसलिम समुदाय के आस्था का पर्व मुहर्रम की तैयारी को लेकर विभिन्न मुसलिम बस्तियों में ताजिये का निर्माण हो चुका है. जिसे मुर्हरम के दिन शहर की सड़कों पर प्रदर्शन के लिए निकाला जायेगा. मुसलिम समुदाय के लिये मुहर्रम पूर्वजों की शहादत के गम में मनाया जाने वाला पर्व है. पर्व के दिन समुदाय के लोग सामूहिक रूप से शोक मनाते हैं. मुहर्रम के दिन हजरत मुहम्मद के छोटे नाती अली की शहादत व करबला के शहीदों के बलिदानियों को याद किया जाता है. कहा जाता है कि इसलाम को कर्बला के शहीदों ने एक नया जीवन प्रदान किया था. मुहर्रम के पहली चांद को मुसलिम समुदाय के लोग नये वर्ष के रूप में मनाते हैं. शहीदों द्वारा सर कलम करने के विरोध में समुदाय के लोग गम के रूप में रोजा, नमाज, कुरान की तिलावत कर शहीदों की आत्मा की शांति के लिये अल्लाह से दुआ की जाती है. मुहर्रम के संदेश व हजरत मुहम्मद की नाती की शहादत को देखते हुए मुसलिम समुदाय को संदेश देता है कि कभी भी असत्य, जुल्म व अन्याय की ओर न चल कर सदा सचाई को अपनाते हुए मुसलिमों को सही राह पर चलना चाहिए. कहा जाता है कि यदि इन राहों पर चलते हुए प्राणों की आहूति भी देनी पड़ी तो कभी पीछे नहीं हटना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार हिंदू-मुसलिम दोनों समुदाय द्वारा मन्नतें मांगने व पूर्ण होने पर अपने बच्चे को उजला वस्त्र धारण करवा कर जंजीरों से जकड़ हाथों में तलवार भाले ले इमाम हुसैन को याद कर इमामबाड़ा व ताजिये का परिक्रमा कर ली हुई वचन निभायी जाती है. साथ ही इमाम हुसैन को श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि नमाज क्या चीज था, बताया हुसैन ने, सजदे में अपने सर को कटाया हुसैन ने…और, मकतल में क्या हुजूम था, उस नूरे-इन पर, परवाने गिर रहे थे चिरागे हुसैन पर . इधर जंगियों द्वारा नंगे पांव दो दिन पूर्व से ही शहर की सड़कों सहित जिले के तमाम इमामबाड़ों का परिभ्रमण किया जाता रहा है.
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ताजिया जुलूस के दौरान उपद्रवियों पर रहेगी प्रशासन की नजर
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