राज्य की वर्तमान सरकार के विरुद्ध गुस्से का इजहार करते कहा कि समाज को नयी दिशा देने वाले व बच्चों के भविष्य को संवारने वाले वित्त रहित शिक्षकों की ऐसी दयनीय स्थिति है कि वे खुद के घर को भी रोशन नहीं कर पा रहे हैं. मोर्चा के अध्यक्ष प्रो केपी यादव व सचिव दिलीप कुमार मिश्र के नेतृत्व में वित्त रहित कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर समाहरणालय मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान धरनार्थियों को संबोधित करते हुए संघ के नेता द्वय ने कहा कि लगभग ढ़ाई दशक से प्रस्तावित माध्यमिक व उच्च माध्यमिक तथा संबंधन प्राप्त महाविद्यालय के शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मचारी सरकार की अमानवीय दृष्टि के कारण खुद को कोपभाजन का शिकार महसूस कर रहे हैं. वर्ष 2008 में वर्तमान सरकार द्वारा वित्त रहित शिक्षा नीति को शिक्षा कर्मियों को अनुदान की स्वीकृति के बाद उनके अंदर आशा व विश्वास की ज्योति सरकार के प्रति जगी थी.
जिलाधिकारी के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम आठ सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा गया. जिनमें वित्त रहित शिक्षा कर्मियों का सेवा सामंजन, अनुदान के बदले वेतनमान निर्धारण, कोषागार के माध्यम से शिक्षा कर्मियों को भुगतान सहित सरकारी कर्मचारी की तरह मिलने वाली सभी सुविधा दिये जाने की मांग की गयी. इस मौके पर प्रो रामयश भगत, प्रो गीता यादव, प्रो हरिनारायण यादव, प्रो राजकिशोर यादव, प्रो योगेंद्र कुमार, प्रो दिलीप कुमार सिंह, प्रो विनोद कुमार सिंह, प्रो अजीत कुमार झा, प्रो नूतन कुमारी, संजय कुमार गुप्ता, प्रो नूतन झा शामिल थे.