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प्राकृतिक आपदा: बाजार पड़ा सूना, कारोबार का ग्राफ गिरा
सहरसा नगर: शनिवार व रविवार को आये भूकंप के झटके ने सोमवार के दिन को भी अपनी जद में ले लिया है. लोग झटके आने का रविवार रात से ही इंतजार करते दिखे. झटके का झटका स्थानीय बाजार में कारोबारियों पर व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है. शहर के सिनेमा हॉल सहित मॉल […]
सहरसा नगर: शनिवार व रविवार को आये भूकंप के झटके ने सोमवार के दिन को भी अपनी जद में ले लिया है. लोग झटके आने का रविवार रात से ही इंतजार करते दिखे. झटके का झटका स्थानीय बाजार में कारोबारियों पर व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है.
शहर के सिनेमा हॉल सहित मॉल में भीड़ नगण्य रही. लोग जरूरत भर के सामान के लिए बाहर निकल रहे हैं. आपातकालीन व्यवस्था के तहत शहर के नर्सिग होम व एंबुलेंस व्यवस्था भी दुरुस्त कर ली गयी है. बाजार में लोगों की भीड़ अपेक्षाकृत साठ फीसदी कम हो गयी है, इसमें भी महिलाएं गिने चुने स्थानों पर ही नजर आ रही है. ज्ञात हो कि शहर में संचालित मॉल, सिनेमा हॉल सहित नर्सिग होम में कही भी भूकंप की स्थिति में अलार्म बजाने की व्यवस्था नहीं है.
मॉल में नहीं हो रही बिक्री : शहर के रिफ्यूजी चौक स्थित टूडे मेगा बाजार व पूरब बाजार स्थित वी मार्ट में अन्य दिनों की अपेक्षा ग्राहकों की भीड़ काफी कम रही. मॉल के प्रबंधकों ने बताया कि 25 अप्रैल से शुरू हुई मंदी अब तक पीछा नहीं छोड़ रही है.
उन्होंने बताया कि लगन के समय में बिक्री लगभग अस्सी प्रतिशत कम हो गयी है. वी मार्ट के असिस्टेंट स्टोर हेड विश्वास कुमार ने बताया कि इक्के दुक्के लोग स्टोर में पहुंच रहे हैं. खासकर महिलाएं व बच्चे नदारद है. इसके अलावा स्थानीय बाजार में भी ग्राहकों का उत्साह नहीं दिख रहा है. कपड़ा पट्टी स्थित पनघट के संदीप भीमसेरिया व किलर के मो अम्मार उर्फ छोटू, मोंटे कारलो के शशिशेखर सम्राट ने बताया कि भूकंप के बाद से ग्राहक खरीदारी के लिए नहीं पहुंच रहे हैं.
दर्शक नहीं, चालू है सिनेमा : भूकंप का दहशत स्थानीय लोगों पर इस कदर हावी हो गया है कि सिनेमा हॉल में नयी भोजपुरी फिल्म प्रदर्शित होने के बावजूद दर्शक को नहीं जुटा रही है. सोमवार को प्रशांत सिनेमा में 12 से 3 बजे के शो में 40 व मीरा टॉकिज में महज 35 लोग ही सिनेमा का मजा ले रहे थे. जबकि इन हॉलों में दर्शकों की क्षमता छह-छह सौ के करीब है.
प्रशांत सिनेमा के पप्पू कुमार ने बताया कि दर्शकों के अभाव में फिल्म घाटे का सौदा साबित हो रही है. इधर लोग बताते हैं कि सिनेमा हॉल की इमारत काफी पुरानी हो गयी है, भूकंप के झटके में हमेशा डर का खतरा बना रहता है. हॉल के मालिक बताते हैं कि शो के दौरान सभी दरवाजा खोल दिया जाता है.
सवारी के इंतजार में खड़ी रही बस : अमूमन बस स्टैंड पर सीट लेने के लिए यात्रियों को काफी मारामारी का सामना करना पड़ता था. लेकिन सोमवार को स्टैंड पर बस कतार में खड़ी रही, वहीं गाहे बगाहे पहुंचे यात्री बस में बैठते रहे. बस ऑनर एसोसिएशन के मनोज कुमार मिश्र बताते हैं कि सहरसा से सुपौल, त्रिवेणीगंज, जोगबनी, फारबिसगंज, पूर्णिया की तरफ जाने वाली बसों में 25 अप्रैल के बाद से यात्रियों की तादाद कम हो गयी है.उन्होंने बताया कि नंबर सिस्टम होने के बावजूद लोग बगैर सवारी बस परिचालित कर रहे हैं.
सड़क पर भी नहीं रही गहमागहमी : भूकंप के बाद शहरी क्षेत्र का भीड़भाड़ वाला इलाका शंकर चौक, डीबी रोड, कपड़ा पट्टी, बस स्टैंड में अमूमन अन्य दिनों से काफी कम भीड़ रही. इसके बावजूद शहर के प्रत्येक चौक चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात दिखे. ट्रैफिक इंचार्ज नागेंद्र राम ने बताया कि शहर में तैनात पुलिस के जवान लोगों को भूकंप की अफवाह से बचने के लिए जागरुक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अफरातफरी होने पर सड़क मार्ग में दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है.
अचानक रूक गया पलायन
भूकंप के झटके को दो दिन बीत जाने के बाद भी जमीन पर रहने वाले इंसान स्वयं को डोलता हुआ अनुभव कर रहे हैं. स्थानीय जंकशन से रोजाना हजारों की तादाद में सहरसा सहित सुपौल, मधेपुरा व पूर्णिया के लोग मजदूरी करने के लिए दिल्ली सहित पंजाब के विभिन्न शहरों में जाया करते थे, लेकिन भूकंप के बाद अचानक बाहर जाने वाले लोगों का पलायन रुक गया है.
अपने दर्द में करें शामिल
अगर आपके भी कोई मित्र या परिजन भूकंप की त्रसदी में बिहार के अन्य जिलों सहित नेपाल में हैं फंसे, उनसे नहीं हो रहा है संपर्क, हमें भी दे जानकारी. 9431807274
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