- धरती के भगवान का ओपीडी से जाने का समय निर्धारित आने का नहीं
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देर से आना जल्दी जाना, ए साहब ये ठीक नहीं…
धरती के भगवान का ओपीडी से जाने का समय निर्धारित आने का नहीं सहरसा : अधरती के भगवान का दर्जा प्राप्त चिकित्सकों का सदर अस्पताल के ओपीडी से जाने का समय निर्धारित है, लेकिन वह कब आयेंगे यह कहना मुश्किल है. बुधवार को सरकार के द्वारा निर्धारित ओपीडी के खुलने के समय पर मरीज पहुंचने […]
सहरसा : अधरती के भगवान का दर्जा प्राप्त चिकित्सकों का सदर अस्पताल के ओपीडी से जाने का समय निर्धारित है, लेकिन वह कब आयेंगे यह कहना मुश्किल है. बुधवार को सरकार के द्वारा निर्धारित ओपीडी के खुलने के समय पर मरीज पहुंचने लगे थे. लेकिन निर्धारित समय आठ बजे तो ओपीडी में ताला ही लटका था. पौने दस बजे तक एक भी विभाग में चिकित्सक नहीं पहुंचे थे.
लगभग नौ बजकर 50 मिनट पर ओपीडी में अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ जीपी गुप्ता पहुंचे और मरीजों का इलाज शुरू हुआ. सुबह दस बजे तक दूसरे कोई डॉक्टर नहीं पहुंचे थे. जानकारी के अनुसार शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ महबूब आलम एसएनसीयू में मरीजों को देख रहे थे. वहीं पुरुष वाह्य विभाग में डॉ रतन कुमार झा की ड्यूटी थी. उनकी ड्यूटी अस्पताल प्रशासन के द्वारा आपातकालीन वार्ड में भी लगा दी गयी थी. जिसके कारण वह इमरजेंसी ड्यूटी पर मौजूद थे.
पुर्जा काटें या ठीक करें बिजली
ओपीडी की हालत भगवान भरोसे है. लगभग आठ बजकर 50 मिनट पर मरीजों का पुर्जा कटना शुरू हुआ और बीस मिनट के बाद ही बिजली खराब हो गयी. ऑपरेटर ही चेंजर के समीप ठीक करने में जुट गये. लगभग आठ मिनट बाद आपूर्ति बहाल हुई और दोबारा पुर्जा कटना शुरू हुआ. पुन: नौ बजकर 42 मिनट में बिजली सप्लाई बंद हो गई. ऑपरेटर पुर्जा काटना छोड़ बिजली ठीक करने में जुट गये. काफी मशक्कत के बाद सप्लाई चालू हुआ. कर्मियों ने कहा कि तीन-चार दिन से यह समस्या हो रही है.
गर्मी में हाथ पंखा बना सहारा
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ओपीडी में जहां मरीज डॉक्टर का इंतजार करते हैं. वहां एक भी पंखा नहीं लगा है. भीषण गर्मी में मरीज व उसके परिजन को हाथ पंखा का सहारा लेना मजबूरी बना हुआ है. वहीं ओपीडी के प्रथम मंजिल जहां पंखे की कम आवश्यकता है. वहां कई पंखे लटके हुए है. इतना ही नहीं रजिस्ट्रेशन काउंटर पर भी एक अदद पंखा नहीं रहने के कारण ऑपरेटर को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
बदबू से कर्मी व मरीजों को परेशानी
लापरवाही की भी एक सीमा होती है. लेकिन सदर अस्पताल लापरवाही की पराकाष्ठा को भी पार कर चुका है. प्रसव वार्ड से निकलने वाले कचरे को ओपीडी स्थित रजिस्ट्रेशन काउंटर के बगल में फेंकने से ओपीडी में कार्यरत कर्मी व चिकित्सक से सलाह लेने आने वाले मरीज व उसके परिजन काफी परेशान रहते हैं. कर्मियों ने बताया कि धूप में उससे उठने वाले दुर्गंध से काफी परेशानी होती है. वरीय अधिकारियों को कई बार इस समस्या के निदान के लिए आग्रह किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
शौचालय की स्थिति बदत्तर
ओपीडी में मरीजों की सुविधा के लिए पुरुष व महिला के लिए बने अलग-अलग शौचालय की स्थिति काफी बदतर है. स्थिति देखने से लगता था कि वर्षों से शौचालयों की सफाई नहीं हुई है. कई पाइप या तो टूट कर लटके थे तो कई गायब थे.
अपडेट नहीं है ड्यूटी चार्ट
ओपीडी में लगे ड्यूटी चार्ट भी अपडेट नहीं है. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके डॉ विनय कुमार सिंह का नाम अभी भी लिखा है तो कई विभाग में चिकित्सक का नाम रिक्त छोड़ दिया गया है. सबसे खास तो महिला वाह्य विभाग में डॉ आर मोहन के अलावे किसी का भी नाम अंकित नहीं है.
सिमरी बख्तियारपुर : समय पर नहीं आते हैं चिकित्सक, मरीज आ जाते हैं
सिमरी. सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडलीय अस्पताल में मरीज इलाज, प्यास और गर्मी के लिए परेशान दिखे. प्रभात खबर द्वारा बुधवार सुबह की गयी पड़ताल में सुबह साढ़े आठ बजे ओपीडी में डॉक्टर नदारद तो मरीज इंतजार करते दिखे. वहीं हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन काउंटर भी खाली था. इलाज के लिए पर्ची कटाने को आतुर मरीज काउंटर खुलने के इंतजार में परेशान थे. प्रभात खबर के आने की खबर के बाद आठ बजकर 35 मिनट पर डॉ अनुपम हड़बड़ाए हुए पहुंचे.
वहीं आठ बजकर 40 मिनट पर आराम से ओपीडी काउंटर पर पर्ची काटने वाले कर्मचारी पहुंचे. इसके अलावे इलाज कराने पहुंचे मरीज गर्मी से परेशान दिखे. बिजली चले जाने के बाद जेनेरेटर सुविधा न होने की स्थिति में पूरा हॉस्पिटल गर्मी से भट्टी बना था. साथ ही पीने के पानी के लिए मरीज व उनके परिजन परेशान जहां-तहां भटक रहे थे. हालांकि अस्पताल में ड्यूटी पर स्वास्थ्य प्रबंधक महबूब आलम डटे दिखे.
11 बजे तक नहीं आये थे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
सत्तरकटैया. पीएचसी से सीएचसी का दर्जा प्राप्त कर चुके पंचगछिया अस्पताल का वर्षों से बुरा हाल बना हुआ है. लाख विरोध के बावजूद भी इस पीएचसी के स्थिति में कोई सुधार नही हुआ है. यहां कभी भी चिकित्सक या कोई अन्य कर्मी समय से नहीं आते हैं. रात में तो अस्पताल ममता के भरोसे ही चलता है. बुधवार को पड़ताल करने प्रभात खबर की टीम पहुंची तो 9:29 तक कोई भी कर्मी नहीं आये थे. एक सफाई कर्मी सफाई कर रहा था.
पंजीयन, ओपीडी सहित सभी कक्ष बंद पड़े थे. 9:30 में डाटा इंट्री ऑपरेटर जीवेंद्र व चंदन पहुंचे. दस बजे तक 20 मरीजों का पंजीयन किया गया. लेकिन तब तक एक भी चिकित्सक या अन्य कर्मी नहीं आये थे. दस बजे के बाद आरबीएस टीम के डॉ मुकेश पंडित व संतोष कुमार रजक, फार्मासिस्ट राकेश कुमार, एएनएम रंगिता कुमारी पहुंची. इस टीम को फील्ड वर्क करने जाना था. मीडिया का कैमरा चमकते देख किसी ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सूचना दी.
उन्होंने दूरभाष से डॉ संतोष कुमार रजक को फोन पर दवाब बनाकर ओपीडी चालू करने का निर्देश दिया. जबकि ओपीडी किसी अन्य चिकित्सक को करना था. 11 बजे तक प्रभारी सहित चिकित्सक व अन्य कर्मी गायब थे. अस्पताल में पांच-छह महिलाएं भर्ती थी. जिसे देखने वाला कोई नहीं था. एक ममता मौजूद थी. 11 बजे के बाद धीरे-धीरे कुछ कर्मियों का आना शुरू हुआ और अन्य सभी कक्ष खुलने लगे.
आयुष व दंत चिकित्सक के भरोसे चल रहा पीएचसी, उप स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे
महिषी. प्रखंड क्षेत्र की लाखों की आबादी के स्वास्थ्य व्यवस्था व इलाज का एकमात्र साधन केंद्र मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. सुदूर क्षेत्रों में अवस्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक की कागजी तैनाती तो की गयी है, लेकिन उन्हें अपना कार्यक्षेत्र छोड़ मुख्यालय में सेवा देना नियति बना है.
बुधवार को ओपीडी में दंत चिकित्सक डॉ अफगान खान व तेलवा उपस्वास्थ्य केंद्र में तैनात आयुष चिकित्सक डॉ रीतेश कुमार रोगियों के स्वास्थ्य परीक्षण में लगे थे. बता दें कि रात्रि काल में भी लगभग सभी दिन राजनपुर उपस्वास्थ्य केंद्र के डॉ बी मिश्रा व कुंदह उपस्वास्थ्य केंद्र के संविदा चिकित्सक डॉ उत्तम लाल महतो इमरजेंसी देखभाल में प्रतिनियुक्त होते हैं.
साधारण रूप से बीमार लोगों का रात में इलाज होता है. अन्यथा गंभीर से बीमारों को सीधा सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. मूल रूप से अधिकांश चिकित्सक जिला मुख्यालय में अपना निजी नर्सिंग होम चलाने में लगे हैं. पूर्व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एनके सिन्हा के स्थानांतरण के बाद बंध्याकरण की भी समस्या बनी है.
नहीं है महिला डॉक्टर, एएनएम कराती है प्रसव
पतरघट. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद सरकारी अस्पतालों का हाल बदतर होता जा रहा है. बुधवार को दिन के दस बजे तक गंदगी के अंबार के बीच भीषण गर्मी में डॉक्टर के इंतजार में मरीज बैठे हुए थे. लेकिन न तो रजिस्ट्रेशन कांउटर खुला हुआ था और न ही दवा वितरण कक्ष. ओपीडी कक्ष खुला हुआ था, लेकिन चिकित्सक नदारद थे. स्वयं पीएचसी प्रभारी डॉ एलपी भगत बीते एक सप्ताह से नदारद हैं.
प्रधान सहायक प्रतिनियोजन पर हैं और स्वास्थ्य प्रबंधक का पद प्रभार में चल रहा है. वे सौरबाजार से ही इसे संचालित करते हैं. आउटसोर्सिंग के तहत मरीजों को दिया जाने वाला नाश्ता, खाना, फल, दूध भी माह में कभी कभार ही दिया जाता है. उन्होंने बताया कि व्यवस्था की देखभाल करने वाला शेखर सिंह माह में कभी कभार आकर सब कुछ मैनेज कर सहरसा चला जाता है.
टीकाकरण केंद्र, एक्सरे रूम, दवा वितरण काउंटर सब बंद पड़े थे. मरीज सुगिया देवी, कबुतरी देवी, चतुरमैन देवी, कारी देवी, कारी शर्मा सहित अन्य ने बताया कि बाबू हो इ अस्पताल मैनेज सिस्टम से चलेय छै. एगो आयुष डॉ बीके प्रशांत के भरोसे पूरा अस्पताल चलै छै. जेनेरेटर खराब था पर, एंबुलेंस ठीकठाक था. चापाकल की स्थिति भी बहुत खराब है. यहां महिला चिकित्सक नहीं है. एक सरकारी एएनएम प्रसव कक्ष में थी.
मरीज ससमय, चिकित्सकों की लेटलतीफी जारी
@सुबह आठ से दस बजे
सुबह आठ बजे- सदर अस्पताल के ओपीडी में ताला लटका था और गोबरगरहा निवासी कैली देवी व उसकी पुत्री आशा कुमारी खुलने के इंतजार में थी.
सुबह 08:05 बजे- बांध के अंदर के गांव बरदी से पहुंची गोल्डी देवी व रूणा देवी.
सुबह 08:08 बजे- कर्मी शत्रुघ्न ठाकुर ने ओपीडी का ताला खोला.
सुबह 08:18 बजे- नेत्र पदाधिकारी पुलेंद्र कुमार पहुंचे.
सुबह 08:25 बजे- एक महिला झाड़ूकश व एक पुरुष झाड़ूकश पहुंच सफाई शुरू की.
सुबह 08:30 बजे- लैब टेक्नीशियन बिनोद शंकर झा पहुंचे.
सुबह 08:38 बजे- बंद पड़ा टीकाकरण केंद्र व महिला वाह्य विभाग
सुबह 08:39 बजे- बंद पड़ा दवा वितरण केंद्र
सुबह 08:42 बजे- मरीज थे इंतजार में और सफाई कर्मी दे रहे थे झाड़ू.
सुबह 08:49 बजे- रजिस्ट्रेशन काउंटर पर तैनात दो ऑपरेटर पहुंचे.
सुबह 08:49 बजे- नेत्र वाह्य विभाग का खुला ताला
सुबह 08:50 बजे- पुर्जा कटना हुआ शुरू
सुबह 08:52 बजे- टीकाकरण केंद्र में तैनात कर्मी उमा देवी पहुंची
सुबह 08:58 बजे- महिला वाह्य विभाग में तैनात नर्स के पति पहुंचे और कक्ष का खोला ताला
सुबह 08:59 बजे- महिला वाह्य विभाग में तैनात नर्स राजमणि पहुंची.
सुबह 09:03 बजे- बच्चा आउटडोर के पास इंतजार में बैठी मरीज
सुबह 09:11 बजे- विद्युत आपूर्ति खराब होने के बाद बाहर टहलते ऑपरेटर
सुबह 09:19 बजे- आपूर्ति ठीक करने में जुटे ऑपरेटर
सुबह 09:27 बजे- पुरुष दवा वितरण केंद्र का ताला खोलती ऑपरेटर सैंपी कुमारी
सुबह 09:40 बजे- महिला वाह्य विभाग के सामने चिकित्सक के इंतजार में महिलाएं
सुबह 09:47 बजे- पुरुष वाह्य विभाग के सामने चिकित्सक के इंतजार में मरीज
सुबह 09:50 बजे- पहुंचे डॉ जीपी गुप्ता ने शुरू किया मरीजों का इलाज
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