* तटबंध के नाजुक बिंदुओं पर सतत निगरानी की है जरूरत
* 82वें किलोमीटर पर तटबंध से 13 मीटर की दूरी पर बह रही है कोसी
* जल स्तर बढ़ने पर 80.5, 81.75, 82, 82.80 किलोमीटर पर हो सकता है खतरा
नवहट्टा : एक सप्ताह बाद सरकारी कैलेंडर के अनुसार बाढ़ का समय शुरू हो जायेगा. तटबंध के मजबूतीकरण, पक्कीकरण व चौड़ीकरण का काम पिछले कुछ वर्षो से चल रहा है. 2008 की त्रसदी झेल चुका कोसी का यह क्षेत्र फिर ऐसी तबाही नहीं चाहता. ऐसे में तटबंध के सभी बिंदुओं को समय से पूर्व दुरुस्त कर लेने की जरूरत है.
कोसी नदी के जल स्तर में वृद्धि होने पर प्रखंड क्षेत्र के पूर्वी कोसी तटबंध के 80.5, 81.75, 82, 82.80 किलोमीटर पर खतरा उत्पन्न हो सकता है. हालांकि जल संसाधन विभाग ने बाढ़ के खतरे से निबटने के लिए पूर्वी कोसी तटबंध के विभिन्न नाजुक बिंदु पर बाढ़ पूर्व एंटीरोजन का कार्य कर दिया है.
लेकिन कोसी के मिजाज को जानने वाले इस एंटीरोजन कार्य को सिर्फ विभागीय खानापूर्ति मानते हैं. 15 जून से 15 अक्तूबर के बीच सरकारी कैलेंडर में बाढ़ का समय निर्धारित है. जैसे-जैसे 15 जून नजदीक आता जा रहा है. प्रखंड वासी की दिल की धड़कन धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. लोग इन बाढ़ के समय के लिए अपनी ओर अपने परिवार के रोजमर्रा के समान की जुगाड़ में लग गये हैं. वैसे तटबंध के अंदर बाढ़ के समय मुख्य समस्या पशुचारा की हो जाती है.
पूर्वी कोसी तटबंध के सबसे महत्वपूर्ण स्पर 80.5 जहां नदी अभी स्पर से दूर होकर बह रही है. लेकिन विगत वर्षो से नदी दूर होकर बाढ़ के दिनों में इस स्पर पर खतरा उत्पन्न करती रही है, जहां अभियंताओं को दिन-रात स्पर को बचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी थी. वहीं पूर्वी कोसी तटबंध का 82 किलोमीटर, जहां नदी की और तटबंध की दूरी मात्र 13 मीटर शेष है.
यहां पिछले कई वर्षो से अभियंताओं को इस बिंदु पर कैंप करना पड़ रहा है. पिछले वर्ष भी यहां नदी का रुख मोड़ने और तटबंध से इसे दूर रखने की भरपूर मशक्कत की गयी थी. जल स्तर में वृद्धि होने से इन सभी बिंदुओं पर खतरा उत्पन्न हो सकता है. पर्वतीय व मैदानी क्षेत्र में होने वाली बारिश कोसी का रुख तय करेगी, जिस तरह पिछले एक महीने में बारिश हुई है और मानसून आने के बाद फिर से अच्छी बारिश हो गयी तो कोसी को संभालना मुश्किल हो जायेगा.
अगर विशेष परिस्थिति में नदी तटबंध के आर-पार होती है तो प्रखंड के नवहट्टा पूर्वी पश्चिमी खड़का तेलवा, मुरादपुर चंद्रायण, मोहनपुर, शाहपुर, महिषी, बख्तियारपुर सहित अन्य प्रखंडों में नदी के द्वारा भारी तबाही होगी, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता.