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सोमवार को हुई शादी, मंगलवार को मुखिया के लिए नामांकन
रह न जाएं पीछे. आरक्षण ने फेरा अरमानों पर पानी, ताे निकाली नयी तरकीब पंचायत चुनाव अपने पूरे रंग में दिखने लगा है. इसमें सबसे अधिक मुखिया पद के लिए लड़ाई हो रही है. हर कोई चाहता है कि जीत उसकी हो़ चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. पंचायत महिलाओं के लिए आरक्षित हुई […]
रह न जाएं पीछे. आरक्षण ने फेरा अरमानों पर पानी, ताे निकाली नयी तरकीब
पंचायत चुनाव अपने पूरे रंग में दिखने लगा है. इसमें सबसे अधिक मुखिया पद के लिए लड़ाई हो रही है. हर कोई चाहता है कि जीत उसकी हो़ चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. पंचायत महिलाओं के लिए आरक्षित हुई तो स्वयं नहीं लड़े, पर पत्नी, मां व भौजाई आ गयीं सामने.
बिक्रमगंज (रोहतास) : पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर ने मजबूर किया, तो पद बदल कर आ गये पंचायत के माननीय. महिला आरक्षण में पत्नी, माता, भाभी व भवे के भरोसे सीट बचाने की जुगाड़ लगा रहे हैं. एक प्रतिनिधि, तो सोमवार को शादी की और मंगलवार को पहुंच गये पत्नी का नामांकन कराने. पत्नी प्रखंड कार्यालय पर पहुंची नामांकन हुआ और जिंदाबाद के नारे भी लगे पर अपने उमीदवार का मुंह किसी ने नहीं देखा. दुल्हन के नाम की जब जयकारी तेज हुई, तो पति आये व कहा, तो हाथ निकाल समर्थकों का अभिनंदन स्वीकार किया व गाड़ी में बैठ चलते बनी नयी नवेली दुल्हन.
क्यों हो रही मुखिया पद पर विशेष लड़ाई?
15 वर्षों के पंचायती राज का इतिहास कहता है कि मुखिया पद पर आसीन अधिकतर जनप्रतिनिधि लाखों में खेल रहे हैं. कल तक साइकिल भी नसीब नहीं थी वह आज 10 लाख की महंगी गाड़ियो में सफर कर रहे हैं. राजगीर में हुए पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मलेन में सैकड़ों की संख्या में लक्जरी गाडियों से पहुंचे थे मुखिया जी. इस पर कई लोगों ने काफी प्रतिक्रिया भी दी थी.
पंचायतों को सशक्त बनाने व विकास के सारे कार्य गावों से शुरू करने के केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अस्वासनों के बाद तो मुखिया पद के लिए करो या मरो की स्थिती आन पड़ी है. तभी तो इस बार हर शक्ति को आजमाने और अस्त्र शास्त्र का प्रदर्शन कर जीत हासिल करने की तैयारी हो रही है.
कितनी महिला प्रत्याशी खुद के भरोसे
चुनाव में उतरने वाली महिलाओं के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. बिक्रमगंज के अंजवितसिंह कॉलेज में पंचायती राज व्यवस्था और महिलाओं की भूमिका पर आयोजित सेमिनार में पहुंचे अतिथियों ने कहा था कि खुद को सबला बनाएं अबला.
तब वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ लीला चंद साहा ने कहा था कि घर की चौखट से बाहर निकलों और खुद को साबित करो, तभी तुम्हारी जीत होगी. पति, पिता व भाइयों के सहारे की जब तक तुम्हें जरूरत रहेगी तुम अपना खुद का अस्तित्व नहीं स्थापित कर पाओगी.
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