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नप में रोज जन्म ले रहा नया विवाद

मामला. करोड़ों के घोटाले के बाद अब अनियमितता को लेकर प्रशासन सख्त तीन सदस्यीय समिति करेगी योजनाओं की जांच, रिपोर्ट के लिए मिला 15 दिन का समय सासाराम कार्यालय : वर्ष 2014 में एक घोटाला उजागर हुआ था. इसके बाद से मानों नगर पर्षद में विवादों की बाढ़ आ गयी. कभी मुख्य पार्षद को लेकर, […]

मामला. करोड़ों के घोटाले के बाद अब अनियमितता को लेकर प्रशासन सख्त

तीन सदस्यीय समिति करेगी योजनाओं की जांच, रिपोर्ट के लिए मिला 15 दिन का समय
सासाराम कार्यालय : वर्ष 2014 में एक घोटाला उजागर हुआ था. इसके बाद से मानों नगर पर्षद में विवादों की बाढ़ आ गयी. कभी मुख्य पार्षद को लेकर, तो कभी अनियमितता को लेकर, तो कभी कार्यपालक पदाधिकारी को लेकर. नगर पर्षद हाल के दिनों में लगातार चर्चा में रही है. अब मुख्य पार्षद व कार्यपालक पदाधिकारी (इओ) का विवाद समाप्त भी नहीं हुआ था कि 22 अगस्त को डीडीसी ने नप कार्यालय का निरीक्षण क्या किया? एक नया विवाद जन्म ले लिया. मामला डीएम के यहां पहुंचा.
पहले से नगर पर्षद की योजनाओं की शिकायत का बंद पिटारा भी खुल गया. तत्काल डीएम ने एसडीओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया और जांच टीम को 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने की हिदायत दी है. इधर, डीडीसी ने नगर पर्षद कार्यालय की जांच के बाद मिले अनियमितता पर इओ से स्पष्टीकरण पूछा है.
डीडीसी के निरीक्षण के बाद मामला डीएम के पास पहुंचा
वर्ष 2014 में भी हुआ था करोड़ों का घोटाला
वर्ष 2014 से 2016 तक नगर पर्षद में करीब साढ़े सात करोड़ रुपये की लैपटॉप, हाइ मास्ट लाइट, डेकोरेटिव पोल स्ट्रीट लाइट, एलइडी लाइट, रेडिमेड यूरिनल-शौचालय आदि की खरीद हुई थी. उस समय टेंडर से लेकर वर्क ऑर्डर तक की प्रक्रिया एक सप्ताह से कम समय में पूरी कर ली गई थी. यूरिनल आनन-फानन लगाये गये, जिसका परिणाम हुआ कि कुछ ही दिनों में अधिकांश उपयोग के लायक नहीं रहे. एलईडी बोर्ड की हालत ऐसी रही कि कुछ दिनों के बाद एक-एक कर बंद हो गई.
स्ट्रीट डेकोरिटव लैंप के लिए कई जगह बेतरतीब तरीके से पुराने जीटी रोड के बीच में डिवाइडर बना दिया गया, जो दुर्घटना के आज भी कारण बन रहे हैं. कुछ डेकरोटिव स्ट्रीट लैंप सड़क के किनारे लगा दिये गये. लैपटॉप खरीद में भी बाजार दर से अधिक के भुगतान का आरोप लगा. करीब साढ़े सात करोड़ रुपये की खरीद हुई, लेकिन हो-हल्ला मचने पर भुगतान आधा ही हो सका. शहरवासियों का आधा पैसा बच गया.
अनियमितता की पहले से है शिकायत
पूर्व पार्षद अतेंद्र कुमार सिंह ने वार्ड 34 में योजनाओं में छेड़छाड़ के साथ बिना बोर्ड लगाये योजना का कार्य करने की शिकायत की थी. इसके बाद पार्षद ने स्लम क्षेत्र का शौचालय विरान जगहों पर बनवाने की शिकायत की. सूत्रों की माने तो दोनों ही मामलों में जांच के आदेश थे. पर प्रक्रिया सुस्त थी. लेकिन, नप कार्यालय में निरीक्षण के विवाद के बाद जांच टीम सक्रिय हो उठी है.
नयी सरकार के गठन के साथ ही विवाद
9 जून को कंचन देवी ने नगर पर्षद की मुख्य पार्षद का शपथ लिया और इसके साथ ही इओ व मुख्य पार्षद के बीच विवाद सामने आने लगा. लोगों ने इंतजार किया कि सशक्त स्थायी समिति की गठन के बाद मामला ठंडा पड़ेगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. 28 जून को सशक्त स्थायी समिति का गठन हुआ. इसक बाद बोर्ड की बैठक के लिए लोग इंतजार करने लगे. लेकिन, 10 अगस्त को पार्षदों की विशेष बैठक हुई भी, तो इओ को हटाने को लेकर. मामला डीएम व सरकार में गया है. वहां से अभी कुछ आया ही नहीं कि नगर पर्षद कार्यालय की जांच का मामला गरमा उठा.

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