मुजफ्फरपुर. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार सदियों से चला आ रहा है. इसका जिक्र स्कंध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत के वामनावतार कथा में मिलता है. यही एक ऐसा त्योहार हैं, जिसमें युग बीते, लेकिन बदलाव नहीं हुआ. आज भी बहनें उसी उत्साह और प्रेम के साथ भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई भी बहनों को उतने ही प्रेम से आशीष देते हैं.
रक्षाबंधन आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों में मजबूती लाता है. भाई-बहन का प्रेम बड़ा अनूठा और अद्वितीय माना गया है. रक्षाबंधन का गौरव अंतहीन पवित्र प्रेम की कहानी से जुड़ा है. उड़ीसा में पुरी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है. वहीं, रक्षाबंधन पर गुरुवार को उल्लास का माहौल रहा. हालांकि रात 8.26 बजे से राखी का मुहूर्त होने के कारण दोपहर के बाद से मिठाइयों की जमकर खरीदारी हुई. पिछले दो-तीन दशकों में ऐसा पहली बार हुआ जब रक्षाबंधन का मुहूर्त रात से शुरू हुआ हो.
रात में रक्षाबंधन का मुहूर्त होने के कारण दूर रहने वाली बहनें सुबह में बस व ट्रेन से भाइयों के घर पहुंचीं. बहनों ने सुबह से उपवास किया और राखी बांधने के बाद ही अन्न ग्रहण किया. रक्षाबंधन को लेकर महिलाओं ने कहा कि राखी का त्योहार हम बहनों के लिए वरदान है. इस दिन भाई की कलाई पर राखी बांध कर भगवान से कामना करते हैं. हम लोगों में पहले जैसी ही बात है. रक्षाबंधन पर खुद अपने हाथों से भाई को राखी बांधती हैं. किसी साल भाई घर आता है, तो कभी हमलोग भाई के घर चले जाते हैं. किसी कारणवश नहीं गए तो भाई के लिए राखी जरूर भेज देते हैं.
बता दें कि भाई-बहन का सबसे पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार भद्रा को लेकर 11 व 12 अगस्त दोनों दिन मनाया जा रहा है. अधिकतर लोगों द्वारा रक्षाबंधन का त्योहार 12 अगस्त को मनाया जायेगा. इस त्योहार में राखियों के साथ-साथ मिठाई की भी मांग काफी बढ़ जाती है. बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांध कर व मिठाई खिला कर रक्षाबंधन को हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं.