गुलाबबाग मंडी. आज होगा आंदोलन का आगाज, डीएम को सौंपेंगे ज्ञापन
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कारोबारी लगायेंगे काला बिल्ला
गुलाबबाग मंडी. आज होगा आंदोलन का आगाज, डीएम को सौंपेंगे ज्ञापन गुलाबबाग मंडी की खस्ता हालत और मंडी में व्याप्त कुव्यवस्था को लेकर व्यवसायी गोलबंद हो गये हैं. बुधवार को काला िबल्ला लगाकर िवरोध जताने का िनर्णय िलया गया है. अगर िफर भी प्रशासन नहीं माना तो बंदी की जायेगी. पूर्णिया : गुलाबबाग कृषि मंडी […]
गुलाबबाग मंडी की खस्ता हालत और मंडी में व्याप्त कुव्यवस्था को लेकर व्यवसायी गोलबंद हो गये हैं. बुधवार को काला िबल्ला लगाकर िवरोध जताने का िनर्णय िलया गया है. अगर िफर भी प्रशासन नहीं माना तो बंदी की जायेगी.
पूर्णिया : गुलाबबाग कृषि मंडी की खस्ता हालत और कुव्यवस्था के खिलाफ बुधवार से कारोबारी आंदोलन की शुरुआत करेंगे. तीन दिन पहले आयोजित बैठक के निर्णय के अनुसार गुरुवार को मंडी के कारोबारी व्यवस्था के खिलाफ काला बिल्ला लगा कर अपने आंदोलन का आगाज करेंगे. हालांकि बुधवार को कारोबारी अपनी दुकानें और कारोबार कुछ ही घंटे बंद रखेंगे और जिला पदाधिकारी को समस्याओं से संबंधित एक आवेदन सौंप कर मंडी में उत्पन्न समस्याओं के निदान का आग्रह करेंगे.
मंडी की समस्याओं को लेकर महासंघ द्वारा तैयार की गयी आंदोलन की रणनीति के पहले चरण में डीएम को आवेदन देने के बाद धरना प्रदर्शन का भी आयोजन किया जायेगा. उसके एक महीने बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की जा सकती है.
हड़ताल और आंदोलन का क्या है कारण : दरअसल गुलाबबाग कृषि उत्पादन बाजार समिति (विघटित) के अंदर तकरीबन 400 से अधिक लाइसेंसी एवं 500 से अधिक छोटे दुकानदार कारोबार में संलग्न हैं. लेकिन हाल के वर्षों में जो स्थिति पैदा हुई है, उससे आंदोलन की राह पर चलना उनकी मजबूरी बन गयी है. जिस कदर मंडी समिति की स्थिति नारकीय बनी हुई है, ऐसी स्थिति में कारोबार के साथ-साथ स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है. स्थिति यह है कि अन्य प्रदेशों से आने वाले व्यापारी व कोसी के किसान बंगाल का रूख करने लगे हैं. यही वजह है कि मंडी के कारोबारी जान और जीविका को लेकर करो-मरो की स्थिति में है. यह हालात इसलिए भी पैदा हुआ है कि मंडी की सूरत संवारने की तमाम कवायद और गुहार नाकाफी साबित हुई है.
हुई बंदी तो पड़ेगा बड़ा प्रभाव : जिस तरह कारोबारियों में मंडी की समस्या और संबंधित व्यवस्था को लेकर निराशा और आक्रोश व्याप्त है, उसमें कारोबारी करो और मरो की स्थिति में है.
अगर मंडी के कारोबारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये तो केवल मंडी और पूर्णिया ही नहीं, समूचे कोसी और सीमांचल की अर्थव्यवस्था पर इसका व्यापक असर पड़ेगा. गौरतलब है कि कोसी और सीमांचल के खेतों में उपजे मक्का, धान, दलहन, तेलहन सहित चावल व किराना का थोक कारोबार इसी मंडी में होता है, जहां प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार होता है. अगर मंडी में हड़ताल हुई तो सारे कारोबार ठप पड़ जायेंगे और बैंक से लेकर कृषि कार्य व आर्थिक व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
भयावह बनी है स्थिति 68 एकड़ में फैली मंडी में सड़क जमींदोज
68 एकड़ में फैली कृषि मंडी में सड़क जमींदोज हो गयी है. तीन चौथाई हिस्से में जलजमाव है. बांकी में गड्ढे और कीचड़ भरे पड़े हैं. मुख्य द्वार के साथ पूरब और पश्चिमी गेट की सड़कें टूट कर गड्ढे में तब्दील है. न तो शौचालय, न ही पीने के लिए पानी उपलब्ध है. रोशनी की व्यवस्था नाममात्र की है. सफाई व्यवस्था का नामो-निशान नहीं है.
इस बीच प्रतिदिन तीन से चार हजार लोगों की भीड़ और करोड़ों का कारोबार अब दम तोड़ने लगा है. मंडी की दुर्दशा और नारकीय स्थिति को लेकर कारोबारियों, किसान व मजदूरों में काफी रोष व्याप्त है. कारण है पिछले चार वर्षों से प्रशासनिक अधिकारियों एवं संबंधित विभाग द्वारा मंडी के जीर्णोद्धार को लेकर आश्वासन के बावजूद सड़क निर्माण, नाला सफाई, पेयजल, रोशनी की व्यवस्था नहीं हो सकी. महासंघ से जुड़े कारोबारी एवं पदाधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2013-14 में 116 करोड़ का प्रोजेक्ट, 2015 के अंत और 2016 के शुरुआत में सड़क निर्माण के लिए सवा करोड़ और 16 करोड़ से जीर्णोद्धार का सपना अधिकारियों न दिखाया, लेकिन हुआ कुछ नहीं.
खास बातें
गुलाबबाग मंडी के तीन चौथाई हिस्से में जलजमाव
बाकी में गड्ढे व कीचड़ भरे हैं, मुख्य द्वार के साथ पूरब व पश्चिमी गेट की सड़कें टूट कर गड्ढे में तब्दील
मंडी परिसर में न तो शौचालय, न ही पीने के लिए पानी ही है उपलब्ध
िकसानों व अन्य को झेलनी पड़ती है परेशानी
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