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नगर निगम. करोड़ों की योजनाएं फाइलों में रह जाती है कैद
नगर निगम शहरवासियों को केवल सपने दिखाने में मशगूल है. दरअसल बीते एक दशक में शहर का नक्शा बदल गया. जनसंख्या बढ़ी नगर परिषद नगर से नगर निगम बन गया, लेकिन शहर की सूरत नहीं बदली. ड्रेनेज, नाला, सड़क, पेयजल, बिजली, रोशनी, रैन बसेरा, यूरिनल और शौचालय को लेकर निगम की कवायद आज भी सपना […]
नगर निगम शहरवासियों को केवल सपने दिखाने में मशगूल है. दरअसल बीते एक दशक में शहर का नक्शा बदल गया. जनसंख्या बढ़ी नगर परिषद नगर से नगर निगम बन गया, लेकिन शहर की सूरत नहीं बदली. ड्रेनेज, नाला, सड़क, पेयजल, बिजली, रोशनी, रैन बसेरा, यूरिनल और शौचालय को लेकर निगम की कवायद आज भी सपना ही है.
पूर्णिया : नगर निगम का खेल निराला है. हर रोज योजनाएं बनती है लेकिन अमल बस एक कागजी खानापूर्ति तक कभी योजनाओं का प्रारूप फाइलों में कैद हो कर रह जाता है तो कभी कुछ कदम चल कर फिर एक सपना बन कर. या यू कहें कि निगम अब शहरवासियों को केवल सपने दिखाने में मशगूल है तो गलत नहीं होगा.
दरअसल बीते एक दशक में शहर का नक्शा बदल गया. जनसंख्या बढ़ी नगर परिषद नगर से नगर निगम बन गया, लेकिन शहर की सूरत नहीं बदली. ड्रेनेज, नाला, सड़क, पेयजल, बिजली, रोशनी, रैन बसेरा, यूरिनल और शौचालय को लेकर निगम की कवायद आज भी सपना ही है. ऐसा भी नहीं है कि निगम की बैठकों में इन समस्याओं को लेकर योजना नहीं बनी, लेकिन एकाध छोटी मोटी चीजों की खरीदारी को छोड़ एक भी बड़ी योजना सरजमीं पर नहीं उतारी जा सकी है.
स्थिति यह है कि लाखों खर्च कर जिन जन हितकारी सामग्रियों की खरीदारी की गयी, वह भी महीनों बाद जनहित में सुपुर्द नहीं किया जा सका है.
410 करोड़ के बजट से संवरा था शहर : नगर निगम के अंतिम बैठक में शहर में नाला, सड़क, रोशनी इत्यादि की व्यवस्था तथा चौक-चौराहों पर लगे हाइमास्ट लाइट और बिजली के खंभों में एलइडी लगा कर शहर को रोशन करने सहित अन्य कई आवश्यक जरूरतों को लेकर 410 करोड़ का बजट 15 मार्च को बोर्ड कैबिनेट ने पास किया था. स्थिति यह है कि दो महीने बाद भी इस बजट को लेकर कोई पहल शहर में नहीं दिख रहा है. मानसून आने के साथ बारिश शुरू हो गयी है. ऐसे में गली-मुहल्लों में जल जमाव होने लगा है. वहीं रोशनी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
धूल फांक रहा पांच अरब का मास्टर प्लान
करीब पांच वर्ष पूर्व शहर के मुख्य ड्रेनेज लालगंज नाला के पक्कीकरण, सहायक ड्रेनेज एवं शहर में नाला निर्माण, सड़क, पेयजल, यूरिनल, शौचालय का निर्माण सहित अन्य विकासोन्मुखी योजनाओं को लेकर 05 अरब का मास्टर प्लान बनाया गया था. बताया जाता है कि अरबों के इस मास्टर प्लान की फाइल सरकार को भेजी गयी थी.
लेकिन पांच वर्ष से अधिक गुजरने के बावजूद आज भी वह मास्टर प्लान फाइलों में कैद टेबल की धूल फांक रहा है. वही शहरवासी हर रोज इससे उत्पन्न परेशानियां झेलने को विवश हैं. विशेष तौर पर बारिश के दिनों में परेशानी और भी अधिक बढ़ जाती है. यहां तक कि शहर के निचले इलाकों में जलजमाव का पानी घर में प्रवेश करना भी आम बात हो गयी है.
शौचालय व यूरिनल की योजना हुई फ्लॉप
वर्ष 2013-14 में नगर निगम के बैठक एवं स्टेरिंग कमेटी की बैठक में शहर में यूरिनल लगाने एवं शौचालय निर्माण सहित अन्य कई ठोस फैसले जनहित में लिये गये थे. तब 13 वें वित्त मद से राशि आवंटन कर इस निर्णय को लागू करने पर भी सर्वसम्मति बनी थी. इस फैसले के आलोक में नगर निगम द्वारा वर्ष 2015 में दो चलंत शौचालय खरीदा गया और शहर में शौचालय एवं यूरिनल लगाने को लेकर सर्वे भी हुआ. जगह चिह्नित किये, लेकिन मामला फाइल में दब कर रह गया. इतना ही नहीं लाखों की लागत से खरीदा गया चलंत शौचालय का उपयोग भी शहर के लिए सपना बना हुआ है.
डोर टू डोर कचरा निष्पादन की फाइल बंद
शहर में स्वच्छता को लेकर खूब हाय तौबा मची, निगम द्वारा स्वच्छता अभियान भी चलाया गया. साथ ही शहर को साफ-सुथरा और स्वच्छ रखने के लिए निगम द्वारा डोर टू डोर कचरा निष्पादन को लेकर योजना का प्रारूप तैयार किया गया था. हालांकि यह योजना एनजीओ के माध्यम से लागू करने की योजना थी. लेकिन दो वर्ष गुजर जाने के बावजूद इस योजना का प्रारूप और इसका मास्टर प्लान फाइल में ही कैद है. वही लाखों रुपये खर्च के बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था ध्वस्त है.
कहते हैं नगर आयुक्त
सभी योजनाओं पर अमल किया जायेगा. कुछ फाइलें सरकार को भेजी गयी है, जिस पर निर्णय का इंतजार है. वहीं चुनाव के कारण भी थोड़ी परेशानी आयी है, अब सभी काम तेजी से होंगे.
सुरेश चौधरी, नगर आयुक्त, नगर निगम
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