सवारी गाड़ियों को लेकर इंतजार का सिलसिला अभी भी जारी है
पूर्णिया : पूर्णिया-सहरसा रेलमार्ग पर सवारी गाड़ी के परिचालन को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है. रेलवे के आलाधिकारियों का दावा था कि मार्च महीने तक रेल परिचालन आरंभ हो जायेगा, जो हवा-हवाई साबित हुआ. अब मई भी बीतने को है और जून माह में भी सवारी गाड़ी के परिचालन को लेकर कोई स्पष्ट परिदृश्य नजर नहीं आ रहा है. खास बात यह है कि अब इस बाबत न तो रेलवे के अधिकारी और न ही कोई राजनेता कुछ बोलने को तैयार हैं. हालांकि इस रूट पर माल गाड़ियों का परिचालन शुरू हो गया है. लेकिन सवारी गाड़ियों को लेकर इंतजार का सिलसिला अभी भी जारी है. गौरतलब है कि ऐसी चर्चा थी कि 26 मई को मोतीहारी से रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा द्वारा बटन दबा कर रेल परिचालन आरंभ कराया जायेगा.
चलने लगी मालगाड़ी, अब सवारी का इंतजार
उपलब्ध जानकारी अनुसार पूर्णिया-सहरसा रेल मार्ग पर माल गाड़ियों का परिचालन बीते एक सप्ताह से जारी है. सीमेंट, खाद एवं अन्य सामानों का खेप कटिहार से मधेपुरा और सहरसा पहुंचने लगा है. ऐसे में इस इलाके के लोगों को अब रेल परिचालन को लेकर उम्मीद बंधने लगी है. लोग अपने-अपने स्तर से कयास लगा रहे हैं. लेकिन यह कयास हकीकत में तब्दील कब होगा, कह पाना कठिन है. समस्तीपुर के डीआरएम भी इस बाबत कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं. बस एक ही रटा-रटाया जवाब दिया जाता है कि जब रेल परिचालन आरंभ होगा, सार्वजनिक रूप से सूचना प्रकाशित की जायेगी.
सीआरएस जांच को पूरे हुए एक माह
अप्रैल माह के 26 और 27 तारीख को सीआरएस पीके आचार्य द्वारा जांच की औपचारिकता पूरी की गयी थी. श्री आचार्य द्वारा 27 अप्रैल को पूर्णिया से लेकर सहरसा तक स्पीड ट्रायल भी किया गया था. इतना ही नहीं श्री आचार्य द्वारा 06 मई को रेल मंत्रालय को जांच रिपोर्ट भी सौंप दी गयी थी. जिसके बाद मई से इस रूट पर रेलगाड़ियों के परिचालन का रास्ता साफ हो गया था. यही वजह रही कि 26 मई को रेल परिचालन के उदघाटन की चर्चा जोरों पर थी. लेकिन मंत्री जी के इंतजार में मई माह भी बीत गया.
कहीं जून में भी न करना पड़े इंतजार
रेल परिचालन को लेकर लाखों लोगों की उम्मीदों को अब जून में पंख लगेगा या फिर हाथ लगेगा निराशा इसे लेकर अब तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है. संशय अभी भी बरकरार है. वजह यह है कि सहरसा-पूर्णिया रेल खंड पर रेल गाड़ियों के परिचालन की तिथि रेल मंत्रालय को तय करनी है. लेकिन इस संबंध में न तो अब तक मंत्रालय ने कोई सार्वजनिक घोषणा की है न ही केंद्र सरकार के दलगत प्रतिनिधियों को कुछ मालूम है.
ऐसे में तो बस इंतजार के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बच रहा है. अलबत्ता जून महीने में भी रेल परिचालन की स्थिति संशय के भंवर में फंसी हुई है. कोसी त्रासदी के बाद से इंतजार की घड़ी लगातार बढ़ती जा रही है. देखना दिलचस्प होगा कि इस रेलखंड पर प्रभु की कृपा कब तक हो पाती है.