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फुटबॉल के विकास के लिए सरकार के पास वीजन नहीं : थापा

फुटबॉल के विकास के लिए सरकार के पास वीजन नहीं : थापा पूर्णिया. फुटबॉल के विकास के लिए सरकार के पास कोई वीजन नहीं है. वीजन हो तो हम फिर से अपनी खोयी हुई गरिमा वापस पा सकते हैं. उक्त बातें भारतीय टीम के पूर्व फुटबॉलर सह कंचनजंघा फुटबॉल क्लब के तकनीकी निदेशक श्याम थापा […]

फुटबॉल के विकास के लिए सरकार के पास वीजन नहीं : थापा पूर्णिया. फुटबॉल के विकास के लिए सरकार के पास कोई वीजन नहीं है. वीजन हो तो हम फिर से अपनी खोयी हुई गरिमा वापस पा सकते हैं. उक्त बातें भारतीय टीम के पूर्व फुटबॉलर सह कंचनजंघा फुटबॉल क्लब के तकनीकी निदेशक श्याम थापा ने शनिवार को डीएसए मैदान में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही. श्री थापा ने कहा कि फुटबॉल के विकास के लिए सभी राज्यों में कम से कम एक आवासीय एकेडमी की आवश्यकता है. जिसका सालाना अधिकतम बजट 02 करोड़ से भी कम होगा, लेकिन सरकार इस दिशा में सोच तक नहीं रही है. उन्होंने राज्य फुटबॉल एसोसिएशन से ऐसे कार्यक्रम व प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री व खेल मंत्री के समक्ष रखने की अपील की. श्री थापा ने बताया कि 1970 के दशक में भारत एशिया की नंबर एक टीम थी. लेकिन धीरे-धीरे इसका क्षरण होता चला गया. 1970 में जब भारत एशिया कप में तीसरे स्थान पर रही तब वे टीम का हिस्सा थे, लेकिन उस वक्त केवल युरोपीय देश फुटबॉल विश्वकप खेलते थे. 1966 में उनका प्रथम बार बंगाल टीम के लिए चयन हुआ था, उस वक्त वे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे. कहा कि उन्हें मलाल है कि वे टीम के लिए विश्वकप पहीं खेल पाये, लेकिन इससे भी अधिक दुख इस बात का है कि सरकार फुटबॉल के बेहतरीन विरासत को संभाल नहीं पायी. उन्होंने आइएसएल व आइएल जैसे फुटबॉल टूर्नामेंट को खिलाडि़यों के लिए बेहतर अवसर बताया. कहा कि भारतीय टीम तक के चयन का सफर उन्होंने सुब्रतो मुखर्जी कप से आरंभ किया था. श्री थापा ने कहा कि हमारे पास हुनर है, लेकिन संसाधन नहीं हैं और सरकार को इसके लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने मौके पर खिलाडि़यों को अनुशासन व दृढ़ संकल्प के साथ ही सपने देखने की सलाह दी. कहा कि तीनों का संगम होगा तो सफलता भी अवश्यक मिलेगी. उन्होंने कोच अनवर करीम को भी आवश्यक टिप्स दिये. इससे पूर्व श्री थापा ने खिलाडि़यों से परिचय लिया तथा अपने अतीत के कुछ पहलू साझा किये. बताया कि वे नेपाल में चार साल तथा बंगाल के तीन साल तक कोच रहे. साथ ही कई एकेडमियों में भी उन्होंने खिलाडि़यों को गाइड किया है और फुटबॉल की बेहतरी के लिए उनका प्रयास जारी रहेगा. डीएफए अध्यक्ष डा मुकेश कुमार ने कहा कि खेल नौकरी पाने के लिए नहीं खेला जाना चाहिए. केवल खेलने मात्र से भी व्यक्ति जीविकोपार्जण कर सकता है. लेकिन नौकरी की आकांक्षा लेकर खेलने से पहचान भी खत्म हो जाती है. मौके पर डा अमित सिन्हा, डा गौतम सिन्हा, डीएफए उपाध्यक्ष भुपेंद्र नारायण सिंह, सचिव अजीत कुमार सिंह, क्लब के मुख्य सलाहकार अंजू शेरपा, कार्यकारी अध्यक्ष सुरेन प्रधान, उपाध्यक्ष रमेश प्रधान, सचिव प्रीतम थापा, कोच दीनकर क्षेत्री आदि मौजूद थे. फोटो : 2 पूर्णिया 7परिचय : प्रेस को संबोधित करते श्याम थापा व अन्य

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