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सवालों के घेरे में मानकविहीन पैथोलॉजी का निबंधन

सवालों के घेरे में मानकविहीन पैथोलॉजी का निबंधन पूर्णिया. लाइन बाजार समेत जिला मुख्यालय में चल रहे लगभग डेढ़ सौ से अधिक मानकविहीन एवं अवैध पैथोलॉजी में से 23 सेंटर को बिना किसी मानक को पूरा किये विभाग से निबंधन मिल जाना सवालों के घेरे में है. सवाल उठना भी लाजिमी है कि जहां न […]

सवालों के घेरे में मानकविहीन पैथोलॉजी का निबंधन पूर्णिया. लाइन बाजार समेत जिला मुख्यालय में चल रहे लगभग डेढ़ सौ से अधिक मानकविहीन एवं अवैध पैथोलॉजी में से 23 सेंटर को बिना किसी मानक को पूरा किये विभाग से निबंधन मिल जाना सवालों के घेरे में है. सवाल उठना भी लाजिमी है कि जहां न कोई डॉक्टर,न प्रशिक्षित कर्मी है, उसके बावजूद विभाग की ओर से निबंधन कैसे प्रदान करना कर दिया गया. इन मानक विहीन पैथोलॉजी को छोड़ कर करीब डेढ़ दर्जन ऐसे पैथोलॉजी हैं जो विभागीय मानकों को पूरा करने के करीब हैं, लेकिन उन्हें विभागीय निबंधन की कोई आवश्यकता महसूस नहीं होती है. जाहिर है कि जब चारों तरफ फर्जीवाड़ा का खेल चल रहा हो तो हर कोई बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है. निबंधन पर उठ रहे हैं सवाल राज्य सरकार के निर्देश पर पैथोलॉजी का निबंधन शुरू हुआ, तो लाइन बाजार के 23 पैथोलॉजी का औपबंधिक निबंधन किया गया. लेकिन हैरत की बात यह है कि इन 23 में से कोई भी पैथोलॉजी विभागीय मानक को पूरा करना तो दूर उसके आसपास भी कहीं नजर नहीं आता है. जाहिर है कि इन पैथोलॉजी के निबंधन में विभागीय स्तर से लापरवाही बरती गयी और नियमों का खुला उल्लंघन हुआ. इनकी गुणवत्ता भी संदेह के दायरे में है. बावजूद स्वास्थ्य महकमा लापरवाह बना हुआ है और ऐसे पैथोलॉजी की ओर से हजारों लोगों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. खास बात यह है कि इन पैथोलॉजी में किसी विशेषज्ञ की ओर से मरीजों की जांच नहीं की जाती है. निर्देशों को दिखाया गया ठेंगास्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग होम एक्ट के तहत पिछले वर्ष सभी पैथोलॉजी, नर्सिंग होम को निबंधन का निर्देश दिया था. ऐसे पैथोलॉजी का निबंधन करना था, जहां जांच के लिए विशेषज्ञ नियुक्त हो. लेकिन ना तो शत प्रतिशत पैथोलॉजी निबंधित हुए और ना ही ऐसे विभागीय निर्देश को पैथोलॉजी निबंधन में प्राथमिकता मिली. लाइन बाजार में कुल 23 पैथोलॉजी का निबंधन किया गया. वहीं कई ऐसे पैथोलॉजी भी संचालित हैं, जिसमें डिप्लोमाधारी लैब टेक्निशियन तक नहीं हैं. क्या है विभाग की मजबूरी गत वर्ष स्वास्थ्य विभाग से निर्देश जारी हुआ तो जिले में पैथोलॉजी संचालकों में कई प्रकार की चर्चाएं चलने लगी. आनन-फानन में पैथोलॉजी निबंधन कार्य आरंभ हुआ और कई संचालक निबंधन कराने पहुंच गये. यही से विभागीय लापरवाही शुरू हो गयी. जब कागज देख कर पैथोलॉजी का निबंधन कर लिया गया. अधिकारियों ने यह देखने की जहमत भी नहीं उठायी कि वास्तव में जिन्हें निबंधित किया जा रहा है,वह जमीनी स्तर पर पैथोलॉजिकल नियमों पर खरा उतर भी रहा है या नहीं. कहां कितने पैथोलॉजीस्थान—–निबंधित—-अवैधएन. एच 31—15——45शिव मंदिर —06——40पोस्टमार्टम रोड 01 ——10बिहार टॉकिज रोड-01—30———————-कुल——23——-125———————-इन्हें निबंधन की नहीं है दरकारस्वास्थ्य विभाग के मानकों को लगभग पूरा करने वाले लगभग 14-15 पैथोलॉजी ऐसे हैं जिनका निबंधन अब तक नहीं हो पाया है. ऐसे पैथोलॉजी अपना निबंधन सिर्फ इसलिए नहीं करा रहे हैं क्योंकि इनके पास जांच के लिए विशेषज्ञ हैं. लेकिन इन्हें नियमों की परवाह नहीं. वहीं इसके अलावा भी दर्जनों पैथोलॉजी अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं. निर्देश प्राप्त होने के एक वर्ष से अधिक समय बीत चुके हैं. बावजूद इसके पैथोलॉजी रजिस्ट्रेशन को लेकर विभाग और संचालक दोनों ही लापरवाह हैं और इसमें किसी की दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में कुछ सड़क छाप पैथोलॉजी संचालक येन-केन प्रकार से निबंधन करा कर बेखौफ इस धंधा को अंजाम दे रहे हैं. विभाग की चुप्पी में भी है राजस्वास्थ्य नगरी में अवैध पैथोलॉजी वाले बेखौफ अपने धंधे को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन किसी भी अधिकारी को इतनी फुरसत नहीं है कि वे अवैध संचालकों के बारे में पता करे. जहां मरीजों के सैंपल जमा होते हैं वहां वास्तविक रूप से जांच होती भी है या नहीं, यह जांच का विषय है. जानकार तो कहते हैं कि हवा-हवाई जांच रिपोर्ट थमा कर मरीजों को ठगने का काम लगातार जारी है. निबंधन की पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है. लिहाजा पूरे प्रकरण में अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रहे हैं. टिप्पणी दवा दुकानों की जांच चल रही है. शीघ्र ही पैथोलॉजी सेटरों की जांच पर विचार प्रशासन के साथ किया जायेगा. उसके बाद ही कार्रवाई संभव हो पायेगी. डॉ एम एम वसीम, सिविल सर्जन,पूर्णियाफोटो: 2 पूर्णिया 4परिचय-पैथोलॉजी का प्रतीकात्मक तस्वीर

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