बिना कंप्यूटर कैसे होगा पुलिसिया वैज्ञानिक अनुसंधान पूर्णिया. जमाना हाइटेक हो चुका है और साइबर क्राइम की संख्या में भी इजाफा हुआ है. अपराधी शातिर हो चुके हैं और अपराध के बाद कोई भी सुराग छोड़ना नहीं चाहते. लेकिन दूसरी ओर पुलिस आज भी बाबा आदम के जमाने की तरह अनुसंधान में जुटी हुई है. लिहाजा शातिर अपराधियों के सामने पुलिसिया पक्ष कई मामलों में कमजोर साबित होता है. इसका फायदा अपराधी उठा ले जाते हैं और बुलंद हौसले के साथ दुबारा अपराध की दुनिया में दस्तक भी देते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आज भी हमारा थाना हाइटेक नहीं हो सका है. जिले के थानों में कंप्यूटर की व्यवस्था नहीं होने से कांडों के अनुसंधान में परेशानी हो रही है. पुलिस सूत्रों के अनुसार जिले के सभी थानों को कंप्यूटरीकृत करने की प्रक्रिया लगभग 02 वर्ष पूर्व आरंभ हुई थी. इस दौरान शहर के केहाट एवं सदर थाने को 02 वर्ष पूर्व ही कंप्यूटर मुहैया करा दिया गया. बांकी बचे थानों के लिए भी कंप्यूटर पुलिस लाइन में महीनों से रखी धूल फांक रही है. परंतु थानावार ऑपरेटरों की प्रतिनियुक्ति नहीं होने से कंप्यूटर से काम करने की व्यवस्था शुरू नहीं हो पायी है. हो रही अनुसंधान में परेशानी थानों में कंप्यूटर की व्यवस्था नहीं होने से डाटा अपलोड नहीं हो पा रहा है. पुलिसकर्मी अपनी पुरानी परंपरा के आधार पर ही काम कर रहे हैं. कंप्यूटर के ऑनलाइन होने से क्राइम एंड क्रीमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) प्रणाली द्वारा कार्य नहीं हो पा रहा है. इससे थानावार अपराधियों के अपराध की प्रवृत्ति, आपराधिक इतिहास, चोरी के घटनाओं में सामानों का ब्योरा, लावारिस लाश, लापता बच्चे एवं लोगों के डाटा अपलोड होने से त्वरित जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है. थानेदार कहते हैं कि कांडों के अनुसंधान में संबंधित थानों से जानकारी हेतु मैसेंजर भेज कर मंगवाना पड़ रहा है. जिससे अनुसंधान में विलंब होने के अलावा खर्च और परेशानी भी हो रही है. सनद रहे कि जिले में थानों के अलावा 10 ओपी एवं टीओपी है.
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बिना कंप्यूटर कैसे होगा पुलिसिया वैज्ञानिक अनुसंधान
बिना कंप्यूटर कैसे होगा पुलिसिया वैज्ञानिक अनुसंधान पूर्णिया. जमाना हाइटेक हो चुका है और साइबर क्राइम की संख्या में भी इजाफा हुआ है. अपराधी शातिर हो चुके हैं और अपराध के बाद कोई भी सुराग छोड़ना नहीं चाहते. लेकिन दूसरी ओर पुलिस आज भी बाबा आदम के जमाने की तरह अनुसंधान में जुटी हुई है. […]
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