मुख्य बस पड़ाव : समस्याओं का बिछा है मकरजाल, यात्री बेहाल उद्धारक की बाट जोह रहा है बस पड़ाव, समस्याओं का नहीं हो रहा है निदानबस पड़ाव से सरकार को लाखों की होती है राजस्व प्राप्ति, फिर भी झेल रहा है उपेक्षा की मारप्रतिनिधि, पूर्णियाशहर का मुख्य बस पड़ाव समस्याओं के मकरजाल से घिरा हुआ है और यात्री बेहाल हो रहे हैं.वही विभागीय अधिकारी से लेकर जन प्रतिनिधि तक इस ओर उदासीन बने हुए हैं.नतीजा है कि विकास के दौर में आधुनिक होने के बजाय, बस पड़ाव की समस्या बढ़ती ही जा रही है.ना तो यहां कचरा प्रबंधन नीति कारगर है और ना ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था.जबकि रोजाना सैकड़ों लोग यहां सफर के लिए आते हैं.गौरतलब है कि प्रमंडलीय होने के अलावा पूर्णिया को कोसी-सीमांचल के मिनी राजधानी के तौर पर भी जाना जाता है.यही कारण है कि यहां यात्रियों की भीड़ भी काफी अधिक होती है.लाखों के राजस्व की होती है प्राप्ति जिला प्रशासन के लिए मुख्य बस पड़ाव सोने का अंडा देने वाली मूर्गी साबित हो रही है.बस पड़ाव से सरकार को सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपये के राजस्व की प्राप्ति होती है.वही यहां से हजारों लोगों की रोजी-रोटी का सीधा संबंध है.सरकारी राजस्व में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और दूसरी ओर उसी रफ्तार से असुविधाओं का अंबार सा लगता जा रहा है.दरअसल ना पड़ाव का विस्तार हो रहा है और ना ही सुविधाएं बढ़ायी जा रही हैं. इसके विपरीत जो सुविधाएं यहां स्थापना काल में उपलब्ध थी, उनमें भी काफी कमी आयी है और प्रशासन उदासीन बना हुआ है.1987 में रखी गयी थी पड़ाव की नींव लगभग पांच एकड़ में फैले इस बस पड़ाव की नींव वर्ष 1987 में तत्कालीन उप विकास आयुक्त अजीत कुमार ने रखी थी.तत्कालीन डीएम राम सेवक शर्मा के पहल पर बस पड़ाव का निर्माण आरंभ हुआ.वर्ष 1992-93 में एक यात्री शेड का निर्माण कर 35 से 40 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गयी.लेकिन रखरखाव के अभाव में शेड भी अब उपयोग विहीन हो गया है.पड़ाव निर्माण के वक्त यहां जल निकासी के लिए नाले भी बनाये गये, जो अब बंद पड़े हैं.करीब 10 वर्षों से ना तो नाले की सफाई हुई है और ना ही जल निकासी की कोई व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है.बस पड़ाव बना है असुविधा का केंद्रपड़ाव में सुलभ शौचालय की व्यवस्था है, लेकिन स्नानागार उपलब्ध नहीं हैं.पेशाब करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, लिहाजा विशेष तौर पर महिला यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.इसके अलावा पड़ाव की नियमित सफाई भी नहीं करायी जाती है.सफाई के नाम पर खानापूरी प्रशासन की आदतों में शुमार हो चुका है.वही यहां रोशनी के लिए लगे हाईमास्ट लाइट भी करीब 06 माह से खराब पड़े हैं.जिससे शाम ढ़लते ही उचक्कों की गतिविधि आरंभ हो जाती है और शरीफ लोगों का यहां ठहराव मुश्किल हो जाता है.पेयजल के लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करना पड़ता है.गंदगी के कारण सक्षम यात्री बोतल बंद पानी पीना ही मुनासिब समझते हैं.परिवहन कर्मियों ने कई बार असुविधाओं के बाबत जिला प्रशासन को पत्र लिख कर समस्या के समाधान की मांग की है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है.जल जमाव की समस्या सबसे गंभीरगरमी हो या बरसात या फिर सर्दी का मौसम जल जमाव व कीचड़ पड़ाव की मूल समस्या बनी हुई है.दरअसल निर्माण काल यहां नालियों का निर्माण किया गया था, लेकिन कभी सफाई नहीं हुई.नतीजा रहा कि नालियां ध्वस्त हो गयी और जलजमाव यहां की मूल समस्या बन गयी.हालांकि गत वर्ष नवंबर-दिसंबर में जिला प्रशासन द्वारा कुछ हिस्से में नाला निर्माण कार्य कराया गया, लेकिन जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गयी.गंदगी के कारण पड़ाव में बदबू से यात्रियों का यहां रुकना मुश्किल होता है.वही अक्सर पड़ाव में सूअर विचरण करते नजर आते हैं.गौरतलब है कि पड़ाव में लगने वाले वाहनों की धुलाई भी अंदर ही की जाती है, ऐसे में समस्या और भी अधिक विकट हो जाती है.पेयजल की सुविधा भी नदारदबस पड़ाव से विभिन्न माध्यमों से सरकार को वर्ष में करीब 50 से 60 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है.वही रोजाना हजारों लोग अपने सफर के क्रम में यहां पहुंचते हैं.लेकिन यहां पेयजल के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है.हालांकि प्रशासन द्वारा यहां पूर्वी एवं दक्षिणी छोर पर एक-एक चापाकल लगवाये गये हैं, वह भी खराब पड़ा है.हनुमान मंदिर परिसर में मंदिर समिति द्वारा एक चापाकल लगाया गया है, जिससे लोगों की प्यास बुझती है या फिर बोतल बंद पानी यात्रियों की हलख बुझाते हैं. 10 वर्षों में नहीं हुआ कोई सुधारविकास के दौर में पूर्णिया की रफ्तार बढ़ी तो बीते 10 वर्षों में यहां आगंतुकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ.लेकिन सुविधाएं बढ़ने के बजाय कम होती चली गयी.हां, एक यात्री शेड बनाया गया, लेकिन रख-रखाव के अभाव में वह भी बेकार पड़ा है.गौरतलब है कि यहां एक और शेड निर्मित है.लेकिन गंदगी व कुव्यवस्था के कारण यहां रात गुजारना काफी मुश्किलों भरा है.वही रात को शराबी व अवांछित तत्वों का जमावड़ा लोगों की परेशानी को और भी अधिक बढ़ा देता है.जिला परिषद के अधीन है बस पड़ावपूर्णिया मुख्य बस पड़ाव जिला परिषद के अधीन है.यहां से प्राप्त राजस्व भी जिला परिषद कार्यालय के कोष में ही जमा होता है. जाहिर है, देखरेख की जिम्मेवारी भी जिला परिषद की ही होगी.लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण बस पड़ाव असुविधाओं का केंद्र बन चुका है.गौरतलब है कि वर्ष 2014-15 में बस पड़ाव का डाक सालाना 60 लाख रुपये में हुआ था.वर्ष 2015-16 के लिए 10 प्रतिशत का इजाफा होने से यह राशि 66 लाख पर पहुंच गयी है.बावजूद मूलभूत सुविधाओं के प्रति विभाग उदासीन है.हजारों लोगों की जुड़ी है रोजी-रोटी पूर्णिया बस स्टैंड से बिहार के सभी कोने के लिए बसें खुलती है.इसके अलावा यहां से नेपाल सीमा से सटे जोगबनी, भीमनगर, बंगाल के कोलकाता, सिलीगुड़ी, रायगंज, मालदह, दालकोला, झारखंड के बोकारो, जमशेदपुर, टाटा के अलावा मुजफ्फरपुर, बेतिया, रक्सौल, पटना, सुपौल, सहरसा, अररिया सहित सभी प्रमुख शहरों के लिए खुलती है.पूर्णिया से पटना के लिए लगभग चार दर्जन से अधिक लग्जरी बसों का परिचालन होता है.जाहिर है, हजारों परिवहन कर्मियों का यहां से रोजी-रोटी का सीधा संबंध है.वहीं कई लोग अप्रत्यक्ष तौर पर बस पड़ाव पर निर्भर हैं. शाम को जुटते हैं असामाजिक तत्व बस पड़ाव का हाई मास्ट लाइट करीब चार माह से खराब पड़ा है, जिससे शाम होते ही यहां अंधेरा छा जाता है.पड़ाव के उत्तरी भाग का बाउंड्री निजी दुकानदारों द्वारा तोड़ दिया गया है.शाम होते ही यहां नशेड़ी व असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है.अंधेरे का लाभ उठा कर कई बार ऐसे लोग हुल्लड़बाजी भी करते हैं.जिससे आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.विशेष तौर पर महिला यात्री शाम के समय पड़ाव में प्रवेश करते हुए असहज महसूस करती हैं.हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ दिनों पुलिस गश्ती ने भी पड़ाव का रुख किया है.जिससे लोगों को कुछ राहत मिली, लेकिन एक बार फिर स्थिति जस की तस हो गयी है.वाहन बढ़े, क्षेत्रफल नहींमुख्य बस पड़ाव से रोजाना सैकड़ों बसों का परिचालन होता है, लेकिन अब तक पड़ाव का क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में कोई सार्थक पहल होती नहीं दिख रही है.नतीजा है कि जगह की कमी के कारण दर्जनों बस पड़ाव के बाहर खड़े किये जाते हैं.जो सड़क जाम का कारण भी बनता है.साथ ही आम लोगों के लिए समस्या का कारण बनता है.गौरतलब है कि हाल के कुछ वर्षों में पूर्णिया मुख्य बस पड़ाव से चलने वाली वाहनों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.जबकि पड़ाव की बाउंड्री कई स्थानों पर ध्वस्त हो चुकी है और कुछ हिस्सों पर फुटकर विक्रेताओं का अतिक्रमण भी है.साथ ही जल जमाव वाले हिस्से में वाहन खड़े नहीं किये जाते हैं.लिहाजा समस्या पड़ाव का क्षेत्रफल सिकुड़ता जा रहा है.टिप्पणी :समस्याओं के निदान को लेकर शीघ्र ही बस पड़ाव का निरीक्षण किया जायेगा.इसके उपरांत नगर आयुक्त के साथ मिल कर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.यात्रियों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा जायेगा. राम शंकर, उप विकास आयुक्त, पूर्णियाफोटो: 28 पूर्णिया 3, 4परिचय: 3 – बस पड़ाव में जलजमाव से परेशानी4 – यात्री शेड के आसपास फैली गंदगी, कैसे रुके कोई
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