पूर्णिया: भरत नाट्य कला केंद्र और ओम साईं राम मिशन के संयुक्त तत्वावधान में विगत 45 दिनों से चल रही नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला रंगबोध के समापन के बाद शुक्रवार से जिला स्कूल परिसर स्थित स्टेडियम ग्राउंड में दो दिवसीय भरत नाट्य महोत्सव की शुरुआत हुई. इस क्रम में सबसे पहले अंधों का हाथी और मम्मा, मुङो बचा लो का मंचन किया गया. अंधों का हाथी एक व्यंग्य रचना है.
इसमें पांच अंधे हाथी की बनावट को अपने-अपने तरह से व्यक्त करते हैं. समाज की कुंठाओं और कुरीतियों पर व्यंग्य करता हुआ यह नाटक दर्शकों को हंसाता रहा. रूबी रानी, सपना कुमारी, आशीष, राज, विवेक कुमार और सूरज कुमार ने अपने अभिनय से दर्शकों का खास मनोरंजन किया. कुमार संजय की रचना मम्मा, मुङो बचा लो, एक बच्चे के अपहरण की कथा है. किसी समय अपहरण बिहार का एक प्रमुख उद्योग रहा है. भले ही इस सुशासन में अपहरण की घटनाएं कम होती हो, लेकिन यह नाटक अपहरण उद्योग की याद ताजा कर गयी. स्कूल और कॉलेज के बच्चों द्वारा सुमन कुमार के निर्देशन में प्रस्तुत यह नाटक काफी प्रभावशाली रहा.
मम्मा, मुङो बचा लो में भरत कुमार, अमर कुमार, अंशु, निशा कुमारी, मनीषा कुमारी, दिनकर शुभम, अमित कुमार, राम लाल कुमार, दीपक कुमार, कनक कुमारी, वर्षा कुमारी, नेहा कुमारी आदि ने काफी सराहनीय कार्य किया. वस्त्र विन्यास सुमन कुमार और प्रकाश योजना विजय कुमार की थी. अगली नाटक कुमार संजय की रचना हवा रोको और सुमित कुमार की रचना भूख की प्रस्तुति क्रमश: राज कुमार झा और सुमित कुमार के निर्देशन में होगी. नाट्य कार्यशाला के कैंप डायरेक्टर मिथिलेश राय ने बताया कि इस कार्यशाला में बिहार की सांस्कृतिक राजधानी पूर्णिया के युवा कलाकारों ने काफी उत्साह दिखाया है.
इस कार्यशाला में चार नये युवा निर्देशकों द्वारा लगभग 150 नये नाट्य कलाकारों को तैयार किया गया और चार नाटक क्रमश: अंधों का हाथी लेखक शरद जोशी निर्देशक रूबी रानी, मम्मा, मुङो बचा लो लेखक कुमार संजय निर्देशक सुमन कुमार, हवा रोको लेखक कुमार संजय निर्देशक राजकुमार झा और भूख लेखक निर्देशक सुमित कुमार तैयार हुए